अंबिकापुर के सबसे बडे कार्मेल स्कूल पर धार्मिक पढ़ाई की शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने लिया सख्त एक्शन
विद्यालय में यदि धर्म विशेष की शिक्षा दी जाएगी तो बच्चे कैसे बनेंगे धर्म निरपेक्ष, स्कूल की मान्यता को रद्द किये जाने की कि अनुशंसा
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के सबसे बडे कार्मेल स्कूल पर धार्मिक पढ़ाई की शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने सख्त एक्शन लिया है। शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर ने स्कूल की मान्यता को रद्द किये जाने की अनुशंसा की है।
दरअसल, अंबिकापुर में गांधी जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश पर कार्मेल स्कूल में 200 से अधिक स्कूली बच्चों को यूनिफार्म में बुलाकर कथित धर्म सभा किए जाने का मामला प्रकाश में आया था। जब इस बात की जानकारी शहर के कुछ युवा संगठन को पता चली तो वे तत्काल स्कूल पहुंच गये और उन्होंने देखा की स्कूल में कई बच्चे यूनिफार्म में पहुंचे हैं और उन्हें एक धर्म विशेष की शिक्षा दी जा रही है।
जिसके बाद युवकों और स्कूल के शिक्षकों से विवाद हुआ। संगठनों ने पूरे मामले की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी दी। जिसके बाद पुलिसबल के साथ अधिकारी कार्मेल स्कूल पहुंचे। इस दौरान स्कूल प्रबंधन में हडकंप मच गया। जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल प्रबंधन को तत्काल स्कूल बंद करने के निर्देश दिये और बच्चों को घर वापस भेजने को कहा। इस पूरे घटना की जानकारी कलेक्टर को दी गई। वहीं कलेक्टर के नोटिस का प्रबंधन संतोषजनक जवाब नहीं दे सका है। अब डीईओ स्तर से होने वाले स्कूल संचालक की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई के साथ ही कलेक्टर ने केंद्रीय बोर्ड को स्कूल की मान्यता रद्द करने की सिफारिश भेजी है।
नोटिस में कलेक्टर ने क्या कहा
कार्मेल स्कूल नमनाकला प्रबंधन को जारी नोटिस में कलेक्टर विलास भोस्कर ने कहा है कि धर्म निरपेक्षता भारत के संविधान की आत्मा है। संविधान के 42 वें संशोधन के अनुसार संविधान की मूल संरचना को किसी भी प्रकार से परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्टतः कहा है कि संविधान के मूल संरचना को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। आपके द्वारा अपने संस्था में विशेष वर्ग के बच्चों को बुलाकर स्कूल में विशेष धर्म की शिक्षा दी जा रही है। स्कूल के जो बच्चे होते हैं उनका समाज एवं देश के प्रति जो नजरिया तैयार होता है वह विद्यालय से तैयार होता है। विद्यालय में यदि धर्म विशेष की शिक्षा दी जाएगी तो बच्चे धर्म निरपेक्ष कैसे बनेंगे। आपके द्वारा धर्म विशेष की शिक्षा दिए जाने से बच्चे धर्म निरपेक्ष नहीं हो सकेंगे। विशेष धर्म के बच्चों को बुलाकर विशेष धर्म की शिक्षा दी जाएगी तो वे बच्चें अन्य धर्म के बच्चों के प्रति भेदभाव रखेंगे तथा बड़े होने पर उनमें संविधान की मूल भावना को पालन करने का भाव पैदा नहीं हो पाएगा।
कलेक्टर ने यह भी कहा है कि आपको जारी नोटिस के जवाब में आपके द्वारा यह उल्लेखित किया गया है कि विशेष धर्म के बच्चों को धार्मिक शिक्षा हेतु विद्यालय बुलाया गया था। इससे संविधान की मूल भावना का स्पष्टतः उल्लंघन किया जाना प्रतीत होता है। इससे यह स्पष्ट है कि कार्मेल स्कूल के संस्था प्रमुख, प्राचार्य और प्रबंधन बार-बार अपने प्रशासनिक व नैतिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन में अक्षम साबित हुए हैं। उनके स्वेच्छाचारी कार्यशैली के कारण विगत एक वर्ष से कम की अवधि में ही एक से अधिक अवसरों पर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगडी है तथा बच्चों की सुरक्षा पर आंच आई है। इसलिए इस संबंध में संस्था की केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल को प्रतिवेदित किया जाना तथा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी मान्यता, कक्षा संचालन की अनुमति को निरस्त करने की आवश्यकता है। साथ ही राज्य स्तरीय आडिट दल से विद्यालय के आय-व्यय का आडिट कराए जाने की आवश्यकता है।
कार्मल स्कूल में इसके पूर्व सरस्वती पूजा आयोजित नहीं करने को लेकर भी विवाद की स्थिति बन चुकी है। 8 माह पूर्व स्कूल में अध्यनरत एक छात्रा ने शिक्षिका के प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। इसे लेकर भी विवाद की स्थिति बनी थी। कार्मल स्कूल में करीब 4000 छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं।