बंगाल की खाड़ी पर तैयार हुए चक्रवाती तूफान के सिस्टम ने प्रदेश के मध्य व दक्षिणी हिस्से में बदला मौसम का मिजाज

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बंगाल की खाड़ी पर तैयार हुए चक्रवाती तूफान के सिस्टम ने प्रदेश के मध्य व दक्षिणी हिस्से में बदला मौसम का मिजाज

बंगाल की खाड़ी पर तैयार हुए चक्रवाती तूफान के सिस्टम ने प्रदेश के मध्य व दक्षिणी हिस्से में बदला मौसम का मिजाज

60 से 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं तेज हवाये, हो सकता है फसलों को नुकसान



बंगाल की खाड़ी पर तैयार हुए चक्रवाती तूफान के सिस्टम ने प्रदेश के मध्य व दक्षिणी हिस्से में मौसम बदल दिया है। मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को चक्रवाती सिस्टम से दक्षिण के हिस्से में झमाझम होने की संभावना है। दक्षिण छत्तीसगढ़ के जिलों में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश और एक या दो स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने राजधानी रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, दुर्ग, राजनांदगांव, बस्तर और बालोद समेत 10 जिलों में बारिश होने की संभावना जताई है।

छत्तीसगढ़ में मौसम का मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है। प्रदेश के कई जिलों में तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने बताया कि, प्रदेश में बारिश होने से तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी। तापमान में गिरावट होने से ठंड में बढ़ोतरी होने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग  में भारी बारिश की संभावना जताई है। साथ ही विभाग ने 24 से 48 घंटे के बीच भारी बारिश को लेकर चेतावनी भी जारी की है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि दक्षिणी जिलों में तेज हवाएं 60 से 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं। मौसम में आया यह बदलाव 29 अक्टूबर को भी जारी रहेगा। 

सोमवार को मौसम ने पूरे प्रदेश में करवट ली। पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहे और हल्की ठंडी हवाओं ने शहरवासियों को उमस भरी गर्मी से राहत दी। कई क्षेत्रों में मंगलवार और बुधवार को हल्की से मध्यम बारिश के आसार बने हुए हैं। मौसम में आई यह ठंडक आने वाले दिनों में सर्दी की दस्तक मानी जा रही है, जिससे आमजन ने भी अपने गर्म कपड़े निकालने शुरू कर दिए हैं।

फसलों को नुकसान
अक्टूबर महीने के आखरी में हो रही बारिश का असर फसलों पर पड़ेगा। खेतों में खड़ी फसल तेज हवा और बारिश के कारण खराब हो सकती है। वहीं, जिन किसानों की धान कटाई हो गई है उसके भंडारण में असुविधा हो सकती है। छत्तीसगढ़ में अभी धान की कटाई कई इलाकों में शुरू नहीं हुई है जिससे फसल के नुकसान होने का डर है।

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