एक तरफ सरकार हिडमा के एनकाउंटर को नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जीत बता रही, तो दूसरी तरफ हिडमा के हिमायती भी बढ़े
दिल्ली में एक ऐसी हवा चली जिसने इंडिया गेट से छत्तीसगढ़ तक कर दिया तूफान खड़ा
गृहमंत्री विजय शर्मा ने की माडवी हिडमा के समर्थन में की गई नारेबाजी की अआलोचना
‘‘यदि वे असलियत जानना चाहते हैं तो बस्तर आ सकते हैं, मुझे बताएं, मैं सारी व्यवस्था कर दूंगा- विजय शर्मा
रविवार को दिल्ली में प्रदूषण और जहरीली हवा के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था लेकिन उसी भीड़ के बीच एक और हवा बह रही थी। एक ऐसी हवा जिसने इंडिया गेट से छत्तीसगढ़ तक तूफान खड़ा कर दिया।
एक तरफ सरकार हिडमा के एनकाउंटर को नक्सलवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जीत बता रही है। तो दूसरी तरफ हिडमा के हिमायती बढ़ते जा रहे हैं। वो सवाल उठा रहे हैं। एनकाउंटर फर्जी है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ने कहा कि, बच्चों को मानसिक रूप से प्रभावित किया गया है। वहीं डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा किस, टुकड़े-टुकड़े गिरोह एक्टिव है।
ये पोस्टर में इन हाथों में हैं एनकाउंटर में मारे गए देश के मोस्ट वांटेड नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा की तस्वीर और अब नारे सुनिए और पोस्टरों पर लिखा है। बिरसा मुंडा से लेकर माड़वी हिड़मा तक संघर्ष जारी रहेगा। युवा, स्टूडेंट्स, कॉलेज के लड़के-लड़कियां जिनके हाथों में पोस्टर थे, जिनकी आवाज में नारे थे क्या उन्हें पता भी है हिडमा कौन था? क्योंकि जब हिडमा जंगल में खून से लाल इतिहास लिख रहा था तब इनमें से कई दुनिया में भी नहीं आए थे। फिर अचानक इन युवाओं के हाथों में हिडमा के पोस्टर कैसे पहुंचे? उनके नारों में हिडमा की महिमा कैसे गूंज उठी? और प्रदर्शन की भीड़ में एजेंडा किसने डाला?
आप सोच सकते हैं कि जिस दुर्दांत नक्सली लीडर ने जीते-जी 26 सबसे घातक नक्सल हमले करवाए, जिन हमलों में सैंकड़ों जवान शहीद हुए और आम लोग मारे गए। उसके एंकाउंटर पर कुछ लोग आंसू बहा रहा हैं। इस कदर आहत हैं कि दिल्ली में प्रदर्शन कर उसके समर्थन में नारे लगवा रहे हैं। गंभीर बात ये है कि जिन युवा प्रदर्शनकारियों से नारे लगवाए उन्हें खुद नहीं पता को हिडमा कौन था, क्या था, क्या किया उसने क्यों उसके मरने पर बस्तर में पटाखे फूटे?
प्रदूषण पर बहस चल रही थी, लेकिन मंच बदल गया माहौल बदल गया और पर्यावरण की लड़ाई की आड़ में विचारधारा का संघर्ष चमकने लगा। पुलिस ने रोकने की कोशिश की और तभी भीड़ की तरफ से पुलिस पर मिर्च स्प्रे तीन–चार पुलिसकर्मी घायल दो थानों में FIR, 23 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार।
इस मामले में बस्तर के आईजी ने कहा कि किसी विचारधारा का समर्थन अलग बात है लेकिन अगर कोई हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने में शामिल पाया जाता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि मांडवी हिड़मा के पास आत्मसमर्पण का विकल्प था। उनके कई वरिष्ठ नेताओं ने यह विकल्प चुना और सरकार ने भी उन्हें सुरक्षित आत्मसमर्पण का अवसर देने की कोशिश की।
आईजी ने कहा कि हिंसक गतिविधियों को लेकर समाज में कोई स्वीकार्यता नहीं है और अपराध करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्ती से कार्रवाई करती है। सोशल मीडिया पर जो प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, उन पर पुलिस लगातार नजर बनाए हुए है।
छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने दिल्ली में माओवादी माडवी हिडमा के समर्थन में की गई नारेबाजी की अआलोचना की है। उन्होंने कहा कि बस्तर के बारे में गलत बातें फैलाकर किसी को गुमराह नहीं किया जा सकता। सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का निवासी हिडमा 18 नवंबर को पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में मुठभेड़ के दौरान मारा गया था। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इस कार्रवाई को दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सलवाद के ‘ताबूत में आखिरी कील’ बताया।
रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर हिडमा के समर्थन में नारे लगाए। विजय शर्मा ने कहा- ‘‘मैंने वीडियो देखा है। वे छोटे बच्चे हैं। उनमें ऐसी भावनाएं भरी हुई हैं जो अच्छी नहीं हैं। वे कह रहे थे कि सतत कृषि ‘जनताना सरकार’ के जरिए की जाती है और पर्यावरण सुरक्षित है। उन्होंने न तो इसे (बस्तर) को देखा है और न ही इसे समझा है।’’ उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठकर मनगढ़ंत कहानियां गढ़कर बस्तर के बारे में गलत धारणा नहीं बनाई जा सकती।
विजय शर्मा ने कहा, ‘‘यदि वे असलियत जानना चाहते हैं तो बस्तर आ सकते हैं। मुझे बताएं, मैं सारी व्यवस्था कर दूंगा। बस्तर के उस 25 साल के नौजवान से मिलें जिसने पहली बार टीवी देखा है। वे बस्तर में कैसी ‘जनताना सरकार’ की बात कर रहे हैं। वहां न स्कूल थे, न अस्पताल, न आंगनबाड़ी, न बिजली, न सड़कें। दूर-दराज के गांवों में ये सुविधाएं हाल में पहुंचना शुरू हुई हैं और अब आगे बढ़ रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि सरकार पर सवाल उठाना गलत नहीं है, लेकिन ‘‘बोलने से पहले चीजों को समझना जरूरी है। सुनी-सुनाई बातों के आधार पर बोलना सही नहीं है।’’ उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जब वीडियो में दिख रहे ये बच्चे वास्तविकता देखेंगे, तो वे स्वयं समझ जाएंगे। उन्होंने दोहराया कि माओवाद को किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई सरकार बंदूक की नली पर बनी है तो वह बंदूक की नली से ही बात करती है। ऐसी सरकार कभी नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र की रक्षा करना और देश को संविधान के अनुसार चलाना हमारा कर्तव्य है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देखिए, माओ की सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर कितना खून बहाया गया, लॉन्ग मार्च के दौरान कितनी जानें गईं। लेनिन और माओ दोनों ने सरकारें बनाईं, लेकिन नतीजा तानाशाही था। ऐसी सरकारें सबकुछ दबाकर चलना चाहती हैं, जहां लोकतंत्र समाप्त हो जाता है। ऐसी मंशा पालने वाले बच्चों से मैं कहता हूं कि आप विषय को समझें। समझने में हम आपकी पूरी मदद करने को तैयार हैं।’’
क्या लिखा है लेटर में
नक्सली संगठन ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीएम को लेटर लिखा है। यह बयान माओवादियों की स्पेशल जोनल कमेटी की तरफ से जारी किया गया है। लेटर में कहा गया है कि तीनों राज्यों की सरकारें 15 फरवरी 2026 तक युद्धविराम को रोक दें। संगठन का कहना है कि यदि सरकारें गोलीबारी रोकती हैं तो वे भी इस अवधि में PLGA गतिविधियों को बंद रखेंगे। संगठन ने यह भी लिखा कि अगर सरकार युद्धविराम मानती है तो वे आगे बातचीत के लिए भी तैयार हैं।
नक्सलियों ने तीन राज्यों के मुख्यमंत्री से अपील की है कि 15 फरवरी तक ऑपरेशन रोक दें। इस दौरान नक्सली भी कुछ नहीं करेंगे। युद्धविराम के दौरान कोई गोलीबारी नहीं हो। नक्सली संगठन हिड़मा के एनकाउंटर के बाद से खौफ में हैं।
खूंखार नक्सली हिड़मा के एनकाउंटर के बाद नक्सली संगठनों में हड़कंप मचा हुआ है। नक्सलियों ने तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेटर लिखकर संघर्ष विराम की अपील की है। नक्सलियों के लिखे लेटर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। राज्य में नई सरकार बनने के बाद से ही लगातार नक्सलियों से अपील की जा रही है कि वे हिंसा के रास्ते को छोड़कर मुख्यधारा में लौटें और विकास की राह पर आगे बढ़ें।




