महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रख वट वृक्ष का किया विधि-विधान से पूजन-अर्चन, बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का होता है वास, बरगद पेड़ की पूजा का होता है विशेष महत्व
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। देश मे इस वर्ष वट सावित्री व्रत 19 मई शुक्रवार को याने आज मनाया जा रहा है। वैसे तिथि तारीख को लेकर अलग अलग विद्वानों के अलग अलग मत है, परन्तु अधिकतर महिलाएं आज ही वट सावित्री का विधी विधान से पूजा की। इस दिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रख विधि-विधान से पूजन-अर्चन करती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं। ऐसे में महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं।
मान्यता है कि वट वृक्ष ने ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था, जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके। इसलिए वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके विधि विधान के साथ बरगद पेड़ की पूजा करती हैं। आज के दिन बरगद पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं कि यमराज ने माता सावित्री के पति सत्यवान के प्राणों को वट वृक्ष के नीचे ही लौटाया था और उन्हें 100 पुत्रों का वरदान दिया था। कहते हैं उसी समय से वट सावित्री व्रत और वट वृक्ष की पूजा की परंपरा शुरू हुई। मान्यता है कि आज के दिन बरगद पेड़ की पूजा करने से यमराज देवता के साथ त्रिदेवों की भी कृपा प्राप्त होती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके बरगद की पूजा करती हैं और अपने पति के लिए लंबी आयु की कामना करती हैं।
पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। पाराशर मुनि के अनुसार- 'वट मूले तोपवासा' ऐसा कहा गया है। पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है।