ऐ दीदी कचरा वाला आये हे कचरा निकाल, स्वच्छता अभियान को सफल बनाते स्वच्छता मित्र, घर घर जाना घरों से कचरा मांगने से चलता है इनका घर, साफ-सफाई के महत्व को जानना एवं समझाना हमारा भी कर्तव्य
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। महिला सफाई कर्मचारियों के आने का संकेत कभी सीटी बजाना तो कभी ऐ दीदी कचरा वाला आये हे कचरा निकाल कह चिल्लाने से सभी वार्डों के घर की महिलायें बाहर निकल जाती है, नगरपंचायत द्वारा बांटे गये डस्टबीन में रखे घर के सारे कचरे को देने निकल जाती हैं। स्वच्छ भारत मिशन में 30 महिलायें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। शहर की सफाई में हजारो तक का लाखों खर्च होता है, सुबह शाम पंचायत के सफाई कर्मचारी हाथों में झाड़ू लिये सफाई करते नजर आते है। पर हमारी स्वम् की जिम्मेदारी से हम भागते नजर आते है और जहां पाये वहां कचरा फैलाते नजर आते है। हमारी जिम्मेदारियों को हमे भी समझना होगा। दूसरों पर नही आत्मनिर्भर होना भी एक बड़ी बात होती है।
शहर में चल रहे मिशन क्लीन सिटी से 30 महिलाएं जुड़ी हैं जिन्हें नाम दिया गया है स्वच्छता मित्र। शहर को साफ सुथरा रखने में इन स्वच्छता मित्रों का अहम योगदान है। शहर की गलियों में गंदगी को देख उसे फेंकने वाले हम जैसे लोग मुंह सिकोड़ते हैं लेकिन ये स्वच्छता मित्र चेहरे पर मुस्कान लिए गंदगी साफ करती हैं। स्वच्छता मित्र बनने से इन महिलाओं को रोजगार भी मिला है। एवम इन्ही के बदौलत इनका घर एवम परिवार का खर्च भी चलता है। इनका कहना है कि इस काम के एवज महीने में 5 से 6 हजार ही कमाते है प्रशासन को इस भारी महंगाई के दौर में जहां सब अपनी अपनी तनख्वाह बढ़ाने में लगे है तो हमारी परिस्थिति को देखते हुवे कुछ सोचने की आवश्यकता है।
घर की महिलाओं की परिवार के सेहत सुधारने में स्वच्छता का बड़ा योगदान रहता है। साफ- सफाई से ही महिलाओं एवं परिवार के अन्य सदस्यों की सेहत सुधरेगी। गृहणीयों में अब यह दिनचर्या में एक आदत सी हो गई है। इनका भी साफ सफाई के प्रति जागरुक होना जरुरी है, क्योंकि घर के बच्चे देखने से ही सीखते हैं, बच्चों को बचपन से ही आदत होने से आज नही कल वे भी स्वच्छता के प्रति जागरुक होंगे। नगरपंचायत पत्थलगांव के अर्न्तगत घर-घर से कुड़ा कचरा इकट्ठा करने के प्रशंसनीय काम में स्व सहायता समूह के महिलायें सक्रियता से जुटी हैं। महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता का संन्देश देती इन महिलओं का स्वच्छता के प्रति अतुलनीय योगदान है।
सूखे कचरे से बिकने लायक सामग्री कबाड़ में बेच दी जाती है। गीला कचरा से खाद बनाने प्रकिया भी शुरू हो चुकी है। इस काम के लिए स्वच्छता मित्रों को शासन से कोई मानदेय नहीं मिलता बल्कि दुकानों व घर से ये निर्धारित शुल्क वसूलती हैं। इसी से इन्हें मानदेय मिलता है। घरों से मिले सूखे कचरे को छांटकर कबाड़ में बेचने से प्रत्येक महिला को माह में थोड़ी बहुत अतिरिक्त कमाई हो जाती है।
शुरू में लोग करते थे उपेक्षा, आने लगा बदलाव
महिलाएं सुबह 7 बजे से तक डोर टू डोर जाकर सूखा गीला कचरा एकत्रित करती हैं। महिलाएं ई रिक्शा,रिक्शा एवं छोटा हाथी के जरिये कचरा जमा करती हैं। शुरू में महिलाएं कचरा एकत्रित करने घरों में पहुंचती तो लोग उनकी उपेक्षा करते थे लेकिन अब समय के साथ लोगों में जागरूकता आने लगी है तथा लोग इनसे सकारात्मक व्यवहार करने लगे हैं। शुरू में लगता था कैसे इस काम को करेंगे। अब लोगों को नजरिया बदलने लगा है लोग उनका सम्मान करने लगे हैं।
पहले सिर्फ घर रखती थी साफ, अब पूरा शहर
कई बुद्धिजीवी महिलाओं का कहना ह कि इन महिलाएं पूरी तरह समर्पित होकर काम कर रही हैं। पहले महिलाएं अपने घरों की साफ सफाई करती थी पर ये महिलाएं अपने घर के साथ साथ शहरों के सफाई की भी जिम्मेदारी उठा ली हैं। घर का काम ही कईयों को नागवार जाता है ऐसे में इन महिलाओं का कार्य वाकई सराहनीय है।ऐसे में सफाई काम करने वाली महिलाओं को शहरवासी भी अब सहयोग करने लगे हैं।
महात्मा गांधी के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान चलाकर समाज के हर वर्ग
को एक नई दिशा दी है। स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” 2 अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई। स्वच्छता के लिए जन आंदोलन की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से आह्वान किया कि वे साफ और स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के सपने को पूरा करें। नरेंद्र मोदी ने स्वयं कई स्थनों की सफाई कर सफाई अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री ने स्वयं झाड़ू उठाई और देश भर में स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आंदोलन बनाते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को न स्वयं गंदगी फैलानी चाहिए और न किसी और को फैलाने देनी चाहिए। उन्होंने ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’ का मंत्र दिया। समाज के विभिन्न वर्गों के लोग आगे आए और सफाई के इस जन आंदोलन में शामिल हुए। सरकारी अधिकारियों से लेकर जवानों तक, बॉलीवुड अभिनेताओं से लेकर खिलाड़ियों तक, उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य से जुड़े।
साफ-सफाई के महत्व को जानना एवं समझाना हमारा भी कर्तव्य
सबसे पहले हमें खुद को बदलना होगा, हमें स्वयं जागरुक होना होगा और अपने बच्चों, दोस्तों एवं पड़ोसियों को भी जागरुक करना होगा। हम अपने घरों का कचरा आंगन में रखे डस्टबीन में रोज जमा करें और घर के सभी सदस्यों को डस्टबीन का उपयोग करने को बाध्य करें। जब हम इस प्रकार से डस्टबीन में कचरा एकत्र करने लगेंगे तो नगर निगम को भी उस कचरे को उठाकर ले जाने में सुविधा होगी, सफाई के लिये उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
कचरे से कुछ रासायनिक खाद भी बनायीं जाने लगी है जिसका उपयोग किसान अपने खेतो में फसल उगाने में कर सकता है. गांवों में प्रायः निकलने वाला कचरे का सीधे जैविक खाद के रूप में उपयोग हो सकता है, जिससे आसपास साफ सफाई भी रहेगी और कचरे का भी उपयोग हो जायेगा। इस प्रकार हमारा गांव, शहर, मुहल्ला साफ सुथरा बना रहेगा, सड़क पर फैली गंदगी को देखकर नाक मुंह सिकोड़ने के बजाय साफ सफाई को लेकर सबसे पहले हमें स्वयं और अपने बच्चों को जागरुक करना होगा, उसी तरह रोड पर फैला कचड़ा भी हमारे समाज को अशोभनीय बना देता है, साथ ही अपने घर की तरह समाज को साफ सुथरा रखने का संकल्प भी लेना होगा। आज भी कई महिलाएं कचरों को नाली में डाल देती है जिससे नाली जाम एवम कई प्रकार की समस्या पैदा हो जाती है, उसके पश्चात नगरपंचायत को दोष देते है हमारी गलती हमे नजर नही आती। जाहिर है जब हम बदलेंगे युग बदलेगा, हम सुधरेंगे युग सुधरेगा।
हर नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि अपने गांव, मोहल्ले और शहर को साफ़ सुथरा रखे, लेकिन अफसोस कि वे अपने घर को तो साफ रख लेते हैं मगर बाहर की सफाई पर उनका ध्यान बिलकुल ही नहीं जाता, हमने देखा है गलियों, सड़कों और चौराहों पर कूड़े करकट का एक अम्बार सा लगा रहता है और वह कई कई दिनों तक इस उम्मीद पर पड़ा रहता है कि नगर पालिका के कर्मचारी आएंगे और इसे साफ करेंगे। हम यह बिल्कुल नही सोचते कि अपने घर के सामने कुडों का अम्बार लगाने से हमारा ही नुकसान है, इसके लिए हमें सरकार पर निर्भर ना होकर खुद को जागरूक और समाज को जागरूक बनना होगा, हम लोग आम तौर पर अपने घर का कचरा कूड़ा घर के बाहर खुले में फेक देते है, अगर डस्ट बिन है तो भी हम इसका उपयेग सही तरीके स नही करते हैं। हमें अपने आस पास के क्षेत्र को अपना घर समझकर साफ करना होगा, कचरा को एक निश्चित स्थान पर फेकना चाहिए, और बच्चो को भी ये आदत डलवानी चाहिए।