एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के साथ गुजरने वाली बातें, हँसती गुदगुदाती, कुछ रुलाती, संघर्षों से भरी, एक जाती तो दूसरी खड़ी समस्या

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एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के साथ गुजरने वाली बातें, हँसती गुदगुदाती, कुछ रुलाती, संघर्षों से भरी, एक जाती तो दूसरी खड़ी समस्या

एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार के साथ गुजरने वाली बातें, हँसती गुदगुदाती, कुछ रुलाती, संघर्षों से भरी, एक जाती तो दूसरी खड़ी समस्या



विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव

...समाज मे मेरे मतानुसार चार प्रकार के वर्ग है अति उच्च वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग,निम्न मध्यम वर्ग, एवम निन्म वर्ग। इस भरी महँगाई में अति उच्च वाले को परवाह नही, उच्च मध्यम लोगों को थोड़ी, निम्न मध्यम को तो हमेशा हर एक चीज में सामंजस्य बैठाना होता है, निम्न वर्गीय जहां है वही रहते है इनकी जिंदगी में अधिक उतार चढ़ाव नही रहता।

एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के जीवन में सारे रंग मौजूद रहते हैं। इसमें सपने हैं, उम्मीद है, योजनाएँ हैं, उम्मीदों का बिखरना है और योजनाओं का बिगड़ना है। छोटी-छोटी खुशियाँ हैं, बड़े-बड़े गम है। निराशा है, उदासी है और मायूसी भी लेकिन इस निराशा, उदासी और मायूसी को हमेशा के लिए दूर करने का जुनून भी है। इनका हर पल जंग के जैसा ही रहता है, किसी की शादी में जाने की खुशी से ज्यादा वहां होने वाले खर्चो पर चिंता होने लगती है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनकी शादी तक का सामंजस्य बैठाना महत्वपूर्ण हो जाता है।

ऐसे में निम्न मध्यम वर्ग हमेशा से संघर्ष करता रहा है। निम्न मध्यम वर्ग वह है जहाँ खुशी बाद में आती है उससे पहले उसे भविष्य की चिंताएं सताने लगती है। लूडो की खेल की भांति रास्ता देख आप अपनी गोटी बचाने का तो सोचते हो पर बचा नही पाते कोई न कोई आपकी गोटी काट ही देता है, या खुशकिस्मत हो यदि नही कटा। इसी तरह से हम मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी है जहां एक समस्या से उबर नही पाये तो दूसरी बड़ी समस्या सामने खड़ी मिलती है। सुबह के पेस्ट से लेकर रात के बचे खाने तक कि चिंता मन मे बनी रहती है। हमारा विदेश जाने का सपना केवल कागजों पर होता है और अंत नाना नानी के यहां या दादा दादी के यहां इसमें ही समाप्त हो जाती है। यदि कोई रिश्तेदार बड़े जगह पर रहता है तो हमारे लिये फक्र की बात होती है, वहीं जाकर खुश हो जाते है। पर एक बात तो है हम संघर्षों के साथ आगे बढ़ना बखूबी जानते है। बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल निकाल ही लेते है। 

यह एक ऐसा वर्ग है जो कितना ही महंगाई बढ़ जाये, भ्रष्टाचार की सारी हदें पार हो जाये, पर सरकार कोसने, अधिकारी कर्मचारी को कोसने के अलावा कुछ नही कर सकता। अपनी आवाज बुलंद नही कर सकता क्योंकि हमारे पास समय का ज्यादा अभाव रहता है। महंगाई बढ़ती है तो साथ मे नये काम की तलाश, अपनी खुशियों में कटौती, एवम अन्य प्रकार से सामंजस्य बनाते है ताकि इस महंगाई के दौर पर हम भी चल सकें। अन्य की भांति सड़क जाम, आगजनी, धरना हमे शोभा नही देता क्योंकि जीवन भर दुखों से जुड़ा आदमी लोगों को परेशान नही करता। जीवन भर चिंताये इतनी रहती है कि इन्ही चिंताओं में उलझ कर रह जाते है। 

हमारे जैसे परिवार के लोग स्कूलों के समय मे पिताजी के कपड़े को जो माँ के द्वारा हाथो से हमारे नाप की बना दी जाती थी, जिसे पहनने में हम नये जैसा सोचते थे और खुशी से पहनते थे। नये कपड़े भी अपने से कुछ बड़े लिये जाते थे कि बाद में किसी के काम आ जाये। अपनी नाप से बड़े दिलवाए कपड़ों में बड़ी समस्या होती थी कि बचपन में अपनी पैंट संभाले या नाक पोंछें वो अलग बात है कि हम पैंट पे ज्यादा ध्यान देते थे। यदि कपड़े अच्छे मिल जाते थे तो लगातार दो से तीन तक पहना जाता था, चाहे कोई बड़ा आदमी या अपने मित्रों में कोई कितना भी मजाक उड़ा ले,बेशर्म की तरह सुन लेते थे, क्योकि और कुछ अच्छा रहता ही नही था। जवानी में बाहर घूमने जा रहे मित्रों को देख मन तो करता है कि उनके साथ चला जाये पर कुछ परेशानियों की वजह से न जाना ये भी एक बड़ा दर्द महसूस होता है। खैर हमारे वर्ग के युवा बड़े होने के साथ साथ माता पिता के कष्ट भरी जीवन से सिख जल्द जिम्मेदार हो जाते है। 

बचपन एवम स्कूली समय नासमझी के दौर तक हमारी घरों में माताये खाना आपके पसंद का बनाई है तो आप चाव से खाते थे, वरना मां की चप्पल से। नए जूते और नई साइकिल के लिए आपको ऋषि मुनियों से भी दुष्कर तप करना पड़ता था, नही तो शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता था। एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हर छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा जाता है, जिसमें हर चीज का भरपूर फायदा उठाया जाता है, ताकि कुछ भी बेकार न जाए। इस्तेमाल किए गए टूथब्रश से लेकर फटे कपड़ों तक हर चीज का इस्तेमाल तब तक किया जाता है जब तक वह खराब न हो जाये। हमे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बीएमडब्लू की कीमत बढ़ती है या ऑडी या कोई नया फोन लॉन्च होता है। हमे तो अपना हेंग होता मोबाइल ही अच्छा लगता है क्योंकि खरीदने की हैसियत भी नही रहती।  एक फोन कभी किस्त पर ले लिये तो क़िस्त खत्म होने के साथ वो भी हैंग होने लगता है। हमने ज्यादातर घरों में देखा होगा कि हम हमेशा अंतिम समय तक टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं, ब्रश खराब होने पर भी उसे फेंका नहीं जाता, बालों में मेंहदी,आलता लगाने जैसे अन्य कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है और पंखे या अन्य वस्तु को साफ करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। वे टूथपेस्ट के साथ भी ऐसा ही करते हैं। टूथपेस्ट का इस्तेमाल हो जाने पर भी लोग उसे फेंकते नहीं हैं, बल्कि उसके ढक्कन के पास कैंची से काट दिया जाता है और अगले दो दिनों तक इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ तक कि साबुन बचने एवम टुकड़ों को एकत्रित कर बाद में हाथ धोने उपयोग में लाया जाता है।

निम्न मध्यम वर्गीय के बच्चे माता पिता को रोज नई नई समस्या के साथ जीता देख कम मीले उसमे ही खुशीपुर्वक जीना सीख जाते है। निम्न मध्यम वर्गीय लोग हमेशा गरीबी से दूर भागना एवम अमीरी के नजदीक जाने की सोचते रहते है और इसके लिये हमेशा संघर्ष करते रहते है। इसके लिए चाहे हमारी जेब हमे इजाजत दे या न दे।  निम्न मध्यम वर्गीय काफी स्वाभिमानी भी होते है। अपने बच्चों को हर सम्भव वो देने को ततपर रहते है जो उन्होंने जीवन मे नही पाया। ये अपने बच्चों को हमेशा सफलता के चरम पर देखना चाहते है। इसी क्रम में जीवन के हर कठिन भरी राह पर अपनी सामंजस्यता बैठा जीवन भर चलते रहते है।

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