पत्थलगांव में धूमधाम से मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस, सर्व आदिवासी समाज ने निकाली भव्य रैली, कई संगठनों के साथ हजारों लोग हुए शामिल
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। पत्थलगांव नगर में सर्व आदिवासी समाज की ओर से शहर में रैली निकाल कर विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया । इस उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया । जिसमें पत्थलगांव के आसपास क्षेत्र से आए हुए आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम में आदिवासी समाज की ओर से रैली शांतिनगर चर्च मैदान से निकलकर पत्थलगांव शहर के तीनों प्रमुख मार्ग होते हुवे हाईस्कूल में समाप्त हुई। इस दौरान सभी लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। पूरा मुख्य मार्ग कार्यकर्ताओं से भर गया था। इधर पुलिस की भी माकूल व्यवस्था थी। थाना निरीक्षक धीरेंद्र नाथ दुबे मय बल पूरी तरह मुस्तैद थे। वही तहसीलदार अग्रवाल भी अपने स्टाफ के साथ उपस्थित रहे।
वही समाज की तरफ से मणिपुर में हुई घटना को लेकर नगर के मध्य इंदिरा गांधी चौक में श्रद्धांजलि भी दी गई। बच्चे एवम बूढ़े कार्यक्रम में आदिवासी समाज की पारंपरिक परिधान धारण कर लोग इस आयोजन में शामिल होकर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी । कार्यक्रम में वक्ताओ ने कहा की हम आदिवासी समाज जल जंगल जमीन के रक्षक है । प्राकृतिक पूजक है उन्होंने आदिवासी सांस्कृतिक को जिंदा रखने व समाज को शशक्तिकरण व उसकी बढ़ोतरी की बात कही ।
समाज के वरिष्ठ ने बताया कि इस दिन को पहली बार दिसंबर 1994 की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा द्वारा घोषित किया गया था। तब से, हमने इस दिन को दुनिया भर में महत्वपूर्ण दिनों में से एक के रूप में मान्यता दी है। यह दिन पूरे अमेरिका में आदिवासी लोगों के भूले हुए अतीत, वर्तमान और आने वाले भविष्य का सम्मान करता है।
बता दे कि आज का दिन विश्व अंतराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो दुनिया भर में आदिवासी लोगों और उनके योगदान का जश्न मनाता है। इसके अलावा, यह दिन इन आदिवासी लोगों द्वारा सदियों से दिए गए ज्ञान को याद करता है। यह इन समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा पर भी ध्यान देता है। हर साल इस दिन को मनाने की एक विशेष थीम होती है। यह ‘आदिवासी महिलाओं की भूमिका है जो पैतृक ज्ञान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण हैं जो बड़े पैमाने पर समाज के लिए सहायक हो सकते हैं। आदिवासी महिलाएं अपने क्षेत्रों और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा में भाग लेती है और वे मूल जनजातियों के अधिकारों के लिए भी लड़ते हैं।