आज से 10 दिनों तक घर-घर विराजेंगे विघ्नहर्ता, गणेश चतुर्थी को लेकर जबर्दस्त उत्साह, श्रद्धालुओं ने सजाए पंडाल

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आज से 10 दिनों तक घर-घर विराजेंगे विघ्नहर्ता, गणेश चतुर्थी को लेकर जबर्दस्त उत्साह, श्रद्धालुओं ने सजाए पंडाल

आज से 10 दिनों तक घर-घर विराजेंगे विघ्नहर्ता, गणेश चतुर्थी को लेकर जबर्दस्त उत्साह, श्रद्धालुओं ने सजाए पंडाल





पत्थलगांव। मंगलवार याने आज से आरंभ हो रहे श्रीगणेश चतुर्थी को लेकर सोमवार को पूरा दिन गणेश जी की मूर्ति खरीदारी की धूम दिखाई दी। बाजार में एक से बढ़कर एक छोटे बड़े खूबसूरत मूर्ति उपलब्ध है, जिसे लेने श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। गणेश जी की पंडालों के पदाधिकारी पंडाल सजाने में लगे रहे और उन्होंने पंडालों को भव्य रूप दिया है। उन्होंने पंडालों में श्रद्धालुओं की सुविधा और पूजा अर्चना करने की पूरी व्यवस्था की है। वहीं आम लोग अपने घरों में गणेश जी मूर्ति स्थापित करने की तैयारी में जुटे रहे।

आज भगवान गणेश की स्थापना के सिर्फ दो मुहूर्त हैं। मुहूर्त के मुताबिक दोपहर 2 बजे तक ही गणेश स्थापना की जा सकती है लेकिन अगर किसी कारण से आप इस समय तक ना कर पाएं तो फिर इसके बाद के किसी अच्छे चौघड़िए में भी स्थापना कर सकते हैं। वैसे सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर का ही है क्योंकि शास्त्र भी कहते हैं भगवान गणपति का जन्म दोपहर में ही हुआ था।

आज से मंगलमूर्ति गणेश 10 दिन के लिए विराजेंगे फिर अनंत चतुर्दशी पर उनकी विदाई होगी। मान्यता है कि अगर आप किसी कारण से पूरे 10 दिन गणपति पूजा ना कर सकें तो स्थापना के तीन, पांच या सातवें दिन भी विसर्जन कर सकते हैं। उसी के मुताबिक यहां 3, 5 और 7वें दिन के विसर्जन के मुहूर्त भी दिए जा रहे हैं।

इस बार गणेश स्थापना पर मंगलवार का संयोग बन रहा है। विद्वानों का कहना है कि इस योग में गणपति के विघ्नेश्वर रूप की पूजा करने से इच्छित फल मिलता है। गणेश स्थापना पर शश, गजकेसरी, अमला और पराक्रम नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बना रहे हैं।

जैसे योग सतयुग में गणेश जन्म के समय थे, वैसे ही आज भी हैं

पुराणों के मुताबिक गणेश जी का जन्म भादौ की चतुर्थी को दिन के दूसरे प्रहर में हुआ था। उस दिन स्वाति नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त था। ऐसा ही संयोग आज बन रहा है। इन्हीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग में मध्याह्न यानी दोपहर में जब सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है, तब देवी पार्वती ने गणपति की मूर्ति बनाई और उसमें शिवजी ने प्राण डाले थे।






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