पत्थलगांव क्षेत्र के 8 बार बने वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह ने बेक़ाबिज वन भूमि जमीन को बताया पुश्तैनी और किसी तरीके से पात्र बन ले लिया पट्टा, ग्रामीणों ने पट्टा निरस्त कर जमीन वापस दिलाने प्रशासन से लगाया गुहार
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। पत्थलगांव क्षेत्र के 8 बार चुने गये वरिष्ठ विधायक प्रोटेम स्पीकर इस बार अपने एक कार्यों के कारण फसते नजर आ रहे है। पत्थलगांव क्षेत्र के अधिकारियों एवं कर्मचारियो को प्रभाव में लेकर बगैर कब्जे वाली बड़े झाड़ वाली वन भूमि पर विधायक ने अपना कब्जा दर्शाकर गुपचुप तरीके से वन अधिकार पट्टा ले लिया है। ग्रामीण लोगों का आरोप है कि हमे तो पता ही नही चल पाया कि पट्टा उन्हें प्रदाय किया जा चुका है। जबकि हम कई पीढ़ियों से खेती करते आ रहे है। उन्होंने बताया कि अपात्र होने के बावजूद विधायक किसी तरीके से बिना कब्जा के वन अधिनियम के तहत वन भूमि में पट्टा हासिल कर लिया है।
ग्रामीणों ने बताया कि इस ग्राम पंचायत की भूमि को मिलीभगत से लाखों की जमीन पर उनके नाम से फर्जी पट्टा बनवाया है। जबकि इस जमीन पर हमारे पूर्वजों का काबिज वनभूमि है। उसका फर्जीवाड़ा कर पट्टा हासिल करने एवम वन अधिकार पट्टा को जांच कर निरस्त करने की मांग की है। उक्त वन भूमि पर बरसों से काबिज किसानों ने अपने नाम वन अधिकार पट्टा देने की मांग करते हुए पूरे मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की है।
चूंकि मामला वरिष्ठ विधायक से जुड़ा है इस कारण से यह मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस प्रकार कर कार्य को लेकर जनता के बीच इस बार अलग ही प्रभाव पड़ सकता है। उधर बेदाग छवि वाले विधायक रामपुकार का मामला सामने आने के बाद विपक्षी पार्टी भाजपा नेताओं ने प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक को घेरना शुरू करते हुए लगातार कुछ न कुछ बयान बाजी करते नजर आ रहे हैं।
ग्रामीणों ने पंचायत प्रतिनिधियों, समिति के सदस्यों के भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि उच्च जांच कर इसे जांच करा निरस्त किया जाये और वास्तविक काबिज लोंगो के परिवार को जमीन वापस दिलाया जाये। उन्होंने बताया कि विधायक ऐसे व्यक्तियों में नही आते वे हमारे आदर्श रहे है, पर किसी के बहकावे या अन्य कारण से ऐसा हुवा होगा। मामला सामने आने के बाद ग्रामीण हैरान हैं, और विधायक पर सांठगांठ जैसे आरोप भी लगाए गए हैं।
उनके द्वारा दिये आवेदन में लिखा है कि निवेदन है कि हम सभी पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम पालीडीह के निवासी है दिनांक 31/12/2017 की स्थिति मे निरस्त वन अधिकार अंतर्गत व्यक्तिगत दावों का परीक्षण पश्चात पात्र / अपात्र व्यक्तियों की सूची के क्र. 85 रा.प्र.क्र.85 / अ-66 / 2022-23 ग्राम पालीडीह प.ह.न. 9 दावेदार का नाम रामपुकार सिंह पिता स्व श्री ठाकुर शोभा सिंह गोंड खसरा नंबर 93 कुल रकबा 5.332 स्वीकृत रकबा 0.506 बड़े झाड का जंगल को पात्र दर्शाया गया है उक्त सूची को लेकर हम लोगों का यह कहना है कि हमारे पुर्वज आदिकाल से उक्त ग्राम मे निवासरत रहते आए हैं हमारे पुर्वजों ने और न ही हम लोगों ने रामपुकार सिंह पिता स्व ठाकुर शोभा सिंह को आज प्रयंत तक खसरा नंबर 93 के किसी भी हिस्से में खेती करते नही देखे है और नही किसी भी प्रकार का रामपुकार सिंह का कब्जा कहीं देखा गया है।।
उक्त खसरा मे जागेश्वर दास पिता स्व अहिवरन दास जाति पनिका, रमली पिता बुधुराम उरांव निवासी पालीडीह लाखझार आदि ग्रामीणों का शुरू से कब्जा है एंव उनके पुर्वजों को आदिकाल से खेती करते देखते आ रहे है। ऐसे मे उपखण्ड स्तर वन समिति के अध्यक्ष एसडीएम रामशिला लाल एंव उपखण्ड स्तर वन समिति के सदस्य जनपद पंचायत मुख्यकार्यपालन अधिकारी पवन कुमार पटेल एसडीओ फोरेस्ट आरपी सिंह एंव मंण्डल संयोजक, जनपद पंचायत सदस्य मुकेश पैंकरा, राधेश्याम गुप्ता, बसन्ती निज द्वारा पत्थलगांव विधायक रामपुकार सिंह को उक्त बडे झाड के जंगल खसरा नंबर 93 म रामपुकार सिंह का नामोनिशान का कोई जमीन भी नही है ना ही किसी प्रकार का कोई कब्जा है ना ही कभी रामपुकार सिंह द्वारा खेती कराया जाता रहा है उन्हे वन अधिकार पटटा के लिए पात्र घोषित किया जाना और वन अधिकार पटटा दिया जाना अवैधानिक है। अतः महोदय से निवेदन है कि उक्त प्रकरण की पुनः जांच कर वास्तविक कब्जेदार को वन अधिकार पटटा देने की कृपा करें।
साथ ही उक्त मामले की गंभीरता से जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की कृपा करें जिन्होंने आज तक बेदाग रहे प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह के नाम इस तरह का विवादित वन अधिकार पट्टा जारी करवाने मे भुमिका निभाई है।
ये है नियम:-
वे लोग या समुदाय हैं जिनका प्राथमिक निवास और निर्वाह का स्रोत 13 दिसंबर, 2005 से पहले कम से कम तीन पीढ़ियों तक वन या वन भूमि रहा है।
वहीं सूत्रों की माने तो बताया जाता है विधायक के एक करीबी और नगर के व्यापारि ने चार से पांच ग्राम पंचायत में वन अधिकार पट्टा के लिए आवेदन लगाया है। और अवैध रुप से राजनीति का दबाब देकर वन अधिकार पट्टा ले लिया है। वहीं लाखझर में ही एक व्यक्ति का फर्जी तरीके से बनवाया पट्टा को पूर्व के अधिकारी जब्ती की कार्रवाई करने का भी मामला सुनने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि सत्ता पर आसीन लोग वोटर या उन्हें उस तक पहुंचाने वाले लोगों का हक छीनने पर उन्हें वापस वहां पहुंचा सकते है ये भूल जाते है।
पत्थलगांव एसडीएम अकांक्षा त्रिपाठी ने बताया कि ग्रामीणों से आवेदन प्राप्त हुआ है। चूंकि कि पट्टा प्रदाय का कार्य मेरे कार्यभार लेने से पहले ही जारी हो चुका है। जो भी है नियमानुसार जांच करवाती हूँ, और ग्राम पंचायत में जो भी इसका पात्र होगा उसके लिये मेरे द्वारा उच्च अधिकारियों को सम्प्रेषित की जायेगी।