बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ते ऑनलाइन ठगी, अपनी सुरक्षा अपने हाथ, फर्जी लिंक, डेबिट क्रेडिट कार्ड के नाम की ओटीपी, ऑनलाइन मुफ्त में मिलने वाले लाखों रुपये मैसेज आदि से बचें

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बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ते ऑनलाइन ठगी, अपनी सुरक्षा अपने हाथ, फर्जी लिंक, डेबिट क्रेडिट कार्ड के नाम की ओटीपी, ऑनलाइन मुफ्त में मिलने वाले लाखों रुपये मैसेज आदि से बचें

बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ते ऑनलाइन ठगी, अपनी सुरक्षा अपने हाथ, फर्जी लिंक, डेबिट क्रेडिट कार्ड के नाम की ओटीपी, ऑनलाइन मुफ्त में मिलने वाले लाखों रुपये मैसेज आदि से बचें

अनजान ऑनलाइन लिंक पर न करे क्लीक वरना खाली हो जाएगा आपका खाता,

मुफ्त कुछ नहीं मिलता, इसलिए मुफ्त मिलने संबंधी काल पर अलर्ट हो जाएं रहें सावधान



आजकल ऑनलाइन ठगी करने वाले ओटीपी स्कैम, बैंक की केवाईसी, एटीएम सम्बंधित, बिजली बिल और कौन बनेगा करोड़पति,फाइनेन्स कम्पनी की किस्त के नाम पर या अन्य किसी माध्यम से लोगोँ को अपने चंगुल में फंसा कर ऑनलाइन ठगी करते रहते है। और आमजन भी इतने समझाईस के बाद भी इनके ठगी का शिकार होते नजर आते है। ऑनलाइन ठगी के शिकार होते ही लोगों के जुबान पर झारखंड के जामताड़ा का नाम सबसे पहले जुबां पर आता है। ऐसे ठगी करने वालों में एक रिपोर्ट के मुताबिक अबतक झारखंड के जामताड़ा को साइबर क्राइम और ठगी का अड्डा माना जाता था लेकिन एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। भरतपुर और मथुरा अब साइबर क्राइम के नए जामताड़ा हैं। अध्ययन के मुताबिक शीर्ष 10 जिले से देश में 80 प्रतिशत साइबर अपराध करते हैं। 

आजकल उच्च शिक्षा प्राप्त करना तो आसान हो गया पर उंस लायक मौजूदा हालात में नोकरी नही है। बड़े बड़े महानगरों में जहां न तो रोजगार के बहुत ज्यादा मौके हैं, जिस वजह से कमाई के लिए लोग साइबर क्राइम की ओर बढ़ रहे हैं, आम लोगों में जागरुकता और डिजिटल लिटरेसी की भी कमी देखी गई है जिसकी वजह से इस प्रकार के अपराधों में बढ़ोतरी नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर कानूनी एजेंसियां और साइबर क्राइम यूनिट में एक्सपर्ट्स की कमी के कारण भी साइबर अपराधी बढ़ने का कारण हो सकता हैं। आजकल फर्जी दस्तावेजों की भरमार है।इसका इस्तेमाल कर अपराधी फर्जी सिम कार्ड खरीद लेते हैं और गुमनाम तरीके से काम करते हैं।

ये फ्लैट, महंगे गिफ्ट, मैट्रीमोनियल साइट, बिजली बिल और नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी लिंक, ओटीपी और डेबिट व क्रेडिट कार्ड के नाम पर। ऐसे बचें साइबर ठगी से इंटरनेट मीडिया, एसएमएस के माध्यम से आए किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें। किसी से भी ओटीपी और एटीएम कार्ड का पासवर्ड साझा न करें। मुफ्त कुछ नहीं मिलता। इसलिए मुफ्त मिलने संबंधी काल पर अलर्ट हो जाएं। 

जानकारों की माने तो बैंक कभी फोन करके केवाईसी कराने को नहीं कहता। ऐसे फोन आएं तो सतर्क हो जाएं। कोई व्यक्ति टीम व्यूवर, एनीडेस्क जैसे एप डाउनलोड करने को कहे तो फोन काट दें। विभिन्न साइट पर अपने पासवर्ड एक जैसे न रखें। पासवर्ड मुश्किल बनाएं और नियमित रूप से बदलते रहें। 

आईआईटी-कानपुर में स्थापित एक गैर-लाभकारी स्टार्टअप, फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (एफसीआरएफ) ने अपने नवीनतम अध्ययन पत्र ‘ए डीप डाइव इनटू साइबर क्राइम ट्रेंड्स इम्पैक्टिंग इंडिया’ में इन नतीजों का जिक्र किया है।

स्टडी में समाने आया है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर वेरिफिकेशन प्रॉसेस और अपर्याप्त केवाईसी (Know Your Customer) की वजह से अपराधियों को फर्जी पहचान बनाने में मदद मिलती है। इससे लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों को भी उन्हें ट्रेस करना चुनौतीपूर्ण होता है। ब्लैक मार्केट में रेंट पर मिल रहे सिम कार्ड और फर्जी अकाउंट्स के जरिए ये साइबर क्रिमिनल गुमनाम होकर ठगी को अंजाम देते हैं। एआई की वजह से अपराधियों के लिए साइबर क्राइम करना और आसान हो गया है।

सभी तरह के साइबर अपराधों की बात करें तो सबसे ज्यादा 77.41 प्रतिशत आर्थिक, 12.02 प्रतिशत आनलाइन एवं इंटरनेट मीडिया संबंधित और 1.57 प्रतिशत हैकिंग से संबंधित अपराध हो रहा है। आनलाइन आर्थिक अपराध की 47.25 प्रतिशत घटनाएं यूपीआइ के माध्यम से हो रही हैं। इसके अलावा 11.27 प्रतिशत घटनाओं में साइबर ठग डेबिट और क्रेडिट कार्ड के नाम पर चपत लगा रहे हैं।  देश में साइबर ठगी के टाप-10 केंद्र स्थान, हिस्सेदारी भरतपुर (राजस्थान), 18 प्रतिशत मथुरा (उत्तर प्रदेश), 12 प्रतिशत नूह (हरियाणा), 11 प्रतिशत देवघर (झारखंड), 10 प्रतिशत जामताड़ा (झारखंड), 9.6 प्रतिशत गुरुग्राम (हरियाणा), 8.1 प्रतिशत अलवर (राजस्थान), 5.1 प्रतिशत बोकारो (झारखंड), 2.4 प्रतिशत कर्म तंड (झारखंड), 2.4 प्रतिशत गिरिडीह (झारखंड), 0.3 प्रतिशत - इस तरह की जा रही ठगी राजस्थान सेक्सटार्शन, ओएलएक्स, कस्टमर केयर और इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से।

भरतपुर... मथुरा... नूंह... देवघर... ये वो जिले हैं जिन्होंने जामताड़ा को पछाड़ दिया है। भरतपुर साइबर ठगी का नया हाटस्पाट जामताड़ा पांचवें स्थान पर - फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन के शोध में सामने आए साइबर अपराध से जुड़े दिलचस्प तथ्य - यूपीआइ के माध्यम से की जा रही सबसे ज्यादा ठगी 47.25 प्रतिशत पीड़ित इसके शिकार सोबन सिंह गुसांई देहरादून पिछले कुछ समय में साइबर ठगी के तरीकों के साथ साइबर ठगों के ठिकाने भी बदले हैं। अब राजस्थान का भरतपुर साइबर ठगी का हाटस्पाट बन गया है। जबकि, साइबर ठगी के लिए सर्वाधिक कुख्यात झारखंड का जामताड़ा शहर पांचवें स्थान पर खिसक गया है। हालांकि, झारखंड अब भी साइबर ठगों के लिए सबसे सुरक्षित अड्डा बना हुआ है।




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