यदि आपने आपका लोन चुका दिया लेकिन आपको प्रॉपर्टी के कागजात वापस नहीं मिले तो बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीच्यूशन को भरना होगा भारी जुर्माना, RBI ने लिया फैसला
नई दिल्ली:- एजेंसी। यदी आपने बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीच्यूशन से अपना लिया लोन चुका दिया है और आपको प्रॉपर्टी के कागजात वापस नहीं मिले है। ऐसे में बैंक को जुर्माना भरना होगा। होम लोन, कार लोन पर्सनल लोन या गोल्ड लेने वाले व्यक्तियों के साथ अक्सर ऐसा वाकया सुनने को मिलता है। आपने किसी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीच्यूशन से लोन लिया है। बदले में अपनी चल-अचल संपत्ति को गिरवी रखा है। आपने इस लोन की पाई-पाई का भुगतान कर दिया है। लेकिन आपने बैंक के पास अपनी प्रॉपर्टी के जो कागजात जमा कराए थे या जो चल संपत्ति गिरवी रखी थी, वह वापस नहीं मिल रहा है। इस पर रिजर्व बैंक सख्त हो गया है। आरबीआई ने सभी बैंकों और Regulated Entities (REs) ने 30 दिन के अंदर इसे वापस करने का निर्देश दिया है। नहीं तो उसे हर दिन की 5,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा।
आरबीआई बैंक को शिकायत मिल रही थी कि ग्राहकों द्वारा लोन की पाई पाई जमा करने के बावजूद बैंकों के द्वारा जमा किए कागजात को वापस लेने में काफी समस्या आती है और देरी के चक्कर में पुलिस व कोर्ट तक बात पहुंच जाती है। जिसे लेकर RBI ने लोन लेने वाले लोगों के लिए एक राहत भरा फैसला लिया है।
केंद्रीय बैंक ने देश की तमाम बैंक, एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियोंको सलाह देते हुए ये फैसला लिया है. इसके आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. खास बात ये है फुल लोन पेमेंट के बाद इन वित्तीय संस्थानों द्वारा जुर्माने के रूप में हर रोज के हिसाब से 5000 रुपये की जो रकम भरी जाएगी, वो ग्राहकों को मिलेगी. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई द्वारा जारी किए गए एक सर्कुलर में बताया गया है कि ये फैसला 1 दिसंबर 2023 से प्रभावी होने जा रहा है। रिजर्व बैंक के इस कदम का उद्देश्य बैंकों, एनबीएफसी या अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन लेने वाले ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करना और लोन देने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। दरअसल, रिजर्व बैंक को लगातार शिकायत मिल रही थीं कि ग्राहकों के लोन चुकाने के बाद भी बैंक व एनबीएफसी उसके द्वारा गिरवी रखे गए प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट्स को वापस लौटाने में देरी करते हैं। इसके चलते विवाद और मुकदमेबाजी जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं।
आरबीआई ने ये निर्देश बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 की धारा 21, 35A और 56, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (RBI Act 1934) की धारा 45JA और 45L और नेशनल हाउसिंग बैंक एक्ट, 1987 की धारा 30ए के तहत जारी किए हैं।
ये हैं आरबीआई सर्कुलर के खास प्वाइंट्स
केंद्रीय बैंक द्वारा सर्कुलर में जारी किए गए इन दिशा-निर्देशों के प्रमुख प्वाइंट्स पर नजर डालें तो पहला लोन पेमेंट के 30 दिन के अंदर जमा दस्तावेजों की वापसी करनी होगी. इसके अलावा लोन लेने वाले ग्राहक को उसके मूल चल/अचल संपत्ति के डॉक्युमेंट्स या तो उस बैंकिंग आउटलेट/ब्रांच से प्राप्त करने का विकल्प दिया जाएगा, जहां पर उसका लोन अकाउंट ओपन किया गया था या फिर REs के किसी अन्य कार्यालय से जहां दस्तावेज उपलब्ध हों।
इसके अलावा सर्कुलर में ये भी निर्देशित किया गया है कि लोन के बदले बैंकों-एनबीएफसी के पास जमा ओरिजनल दस्तावेजों की वापसी की समयसीमा और स्थान का उल्लेख प्रभावी तिथि पर या उसके बाद जारी किए गए लोन अप्रूवल डॉक्यूमेंट्स में किया जाना जरूरी है. अगर लोन लेने वाले का आकस्मिक निधन हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में लोन देने वाले संस्थानों के पास कानूनी उत्तराधिकारियों को मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों की वापसी के लिए एक अच्छी तरह से निर्धारित प्रक्रिया होनी चाहिए।