आज पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जायेगा मकर संक्रांति का पर्व, 77 साल बाद मकर संक्रांति पर दुर्लभ संयोग

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आज पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जायेगा मकर संक्रांति का पर्व, 77 साल बाद मकर संक्रांति पर दुर्लभ संयोग

आज पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जायेगा मकर संक्रांति का पर्व, 77 साल बाद मकर संक्रांति पर दुर्लभ संयोग



सोमवार को यानी कि आज पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा।

मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने का खास महत्व होता है। इसी कारण इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन पिता सूर्य ऒर पुत्र शनि आपस मे मिले थे। प्रसन्न होकर इस लिए इस दिन उत्तरायण भी प्रारम्भ होगा। शास्त्र के अनुसार इस दिन दान में कम्बल, सोना, ऊनि बस्त्र, अन्न आदि दान करने से अनंत फल मिलता है।

मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्‍नान करना विशेष तौर पर गंगा स्नान करने का बड़ा महत्‍व है। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा और दान किया जाता है। मकर संक्रांति पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के मौके पर ही मनाया जाता है। हर साल इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर मकर में प्रवेश करते हैं।

मकर संक्रांति पर दुर्लभ संयोग

इस साल मकर संक्रांति पर विशेष शुभ योग बन रहा है। 5 साल बाद मकर संक्रांति सोमवार के दिन पड़ रही है। इससे मकर संक्रांति का दिन सूर्य देव, शनि देव के साथ भगवान शिव की भी कृपा पाने का विशेष मौका होता है। साथ ही मकर संक्रांति पर 77 साल बाद रवि योग और वरियान योग का संयोग बन रहा है। पंचांग के अनुसार रवियोग 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। वहीं वरियान योग 14 जनवरी को रात 02 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 15 जनवरी की रात 11 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।

मकर सक्रांति 2024 शुभ समय

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और दान आदि कार्य पुण्य काल में करने का विशेष महत्व होता है। इस साल मकर संक्रांति पर स्नान-दान का महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 15 मिनट तक है।

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्‍नान या पवित्र नदी में स्‍नान ना कर पाएं तो घर पर ही गंगाजल मिले पानी से स्‍नान करें। फिर सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, रोली, अक्षत, गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर अर्घ्‍य दें। इस दौरान ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। फिर सूर्य चालीसा और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।  इसके बाद तिल, गुड़, खिचड़ी, घी, गरम कपड़े आदि का दान करें। मकर संक्रांति के दिल काली उड़द दाल-चावल की खिचड़ी, तिल गुड़ खाने और दान करने का बड़ा महत्‍व है।

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