केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ छोटे वाहन चालक, ट्रक, डंपर और बस चालकों ने अपनी वाहन खड़ीकर जताया विरोध

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केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ छोटे वाहन चालक, ट्रक, डंपर और बस चालकों ने अपनी वाहन खड़ीकर जताया विरोध

केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ छोटे वाहन चालक, ट्रक, डंपर और बस चालकों ने अपनी वाहन खड़ीकर जताया विरोध





पत्थलगांव। केंद्र सरकार के नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ छोटे वाहन चालक, ट्रक, डंपर और बस चालक अपने वाहनों को खड़ेकर इस कानून के विरोध पर उतर आए हैं। सब्जी, पेट्रोल-डीजल जैसी बुनियादी चीजों की सप्लाई करने वाली ट्रांसपोर्ट सेवाएं भी ठप रही। देश के अलग-अलग शहरों के साथ साथ पत्थलगांव में लोग परेशान होते नजर आये। एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए बसों का इस्तेमाल करने वाले लोग घंटों तक बस स्टैंड पर बसों का इंतजार करते दिखाई दिये। 

हिट एंड रन का मतलब है तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और फिर भाग जाना। भारतीय न्याय संहिता की धारा 104 में हिट एन्ड रन का जिक्र किया गया है जिसमें ड्राइवर की लापरवाही से पीड़ित की मौत होने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है।

क्यों हड़ताल पर हैं वाहन चालक

दरअसल, केंद्र सरकार ने हिट एंड रन को लेकर नए कानून बनाए हैं, जिसके तहत अगर कोई ट्रक या डंपर चालक किसी को कुचलकर भागता है तो उसे 10 साल की जेल होगी। इसके अलावा 7 लाख रुपये जुर्माना भी देना होगा। पहले इस मामले में कुछ ही दिनों में आरोपी ड्राइवर को जमानत मिल जाती थी और वो पुलिस थाने से ही बाहर आ जाता था। हालांकि, इस कानून के तहत भी दो साल की सजा का प्रावधान था। लेकिन नया कानून लागू होने के बाद दोषी को अब दस साल जेल में रहना होगा। हालांकि, घायल को अस्पताल पहुंचाने पर कुछ रियायत का प्रावधान है। 

पहले और अब के कानून में क्या बदलाव

अब तक हादसा होने पर ड्राइवरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279 यानी लापरवाही से वाहन चलाने, 304ए यानी लापरवाही से मौत और 338 यानी जान जोखिम में डालने के तहत केस दर्ज किया जाता रहा है, लेकिन नए कानून में मौके से फरार होने वाले ड्राइवर के खिलाफ 104(2) के तहत केस दर्ज होगा। पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचित ना करने पर उसे 10 साल की कैद के साथ जुर्माना भी देना होगा।

बता दें कि हिट एंड रन कानून के पीछे सरकार का इरादा अच्छा है, लेकिन प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। इन पर दोबारा सोचने की जरूरत है। ट्रांस्पोटरों का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालकों का है। ऐसे में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ट्रक ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। इस हड़ताल का आम आदमी पर सीधा असर देखने को मिलेगा। ट्रकों की हड़ताल होने से दूध, सब्जी और फलों की आवक नहीं होगी और कीमतों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। वहीं, पेट्रोल-डीजल की सप्लाई रुक जाएगी, जिससे लोकल ट्रांसपोर्ट और आम लोगों को आवाजाही में दिक्कत होगी। भारत में 28 लाख से ज्यादा ट्रक हर साल 100 अरब किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करते हैं। देश में 80 लाख से ज्यादा ट्रक ड्राइवर हैं, जो हर दिन जरूरत का सामान एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसपोर्ट करते हैं। हड़ताल के कारण इतनी बढ़ी संख्या में ट्रकों के रुकने से जरूरी चीजों की किल्लत हो सकती है।

ड्राइवरों का कहना है कि हमे 10 हजार या उससे कम रुपए की तनख्वाह मिलती है। ऐसे में नए कानून के मुताबिक कहां से जमानत के लिए 7 लाख रुपए लाएंगे। 9-10 हजार की तनख्वाह मिलती है। दूसरी ओर हमारी जिल्लत भरी जिंदगी है। 

ड्राइवर संघ ने आवेदन के जरिए सरकार से निन्म मांगे रखी है:-

चालक आयोग का गठन दुर्घटना में चालक की मृत्यु होने पर 30 लाख का मुआवजा और सड़को पर बिना वजह बर्बरता के साथ चालकों की पिटाई एवं मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत 10 साल सजा व 7 लाख जुर्माना करने के संदर्भ में प्रार्थना पत्र ।


विनम्र निवेदन है कि संगठन के द्वारा पहले भी हम अवगत करवा चुके है और पत्राचार के माध्यम से भी हम अवगत करा चुके है कि जिस प्रकार से 25 करोड़ चालक जो दिन रात समाज के लिए सरकार के लिए व देश की जनता के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर सड़कों पर अपनी सेवा प्रदान करते है। मगर चालक

समाज के प्रति किसी का ध्यान नही जाता। आए दिन पुलिस, आर.टी.ओ. डी. टी. ओ. और कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है। महोदय, हम भी इस देश का एक हिस्सा है इस देश के बढ़ते हुए विकास में हमारा भी मुख्य योगदान है।


अतः आपसे प्रार्थना है कि देश के 25 करोड़ चालकों का भविष्य और उनके परिवार का जीवन यापन सही तरीके से चले। अगर शांतिपूर्ण तरीके से मांगो को सरकार नहीं मानती है तो ड्राइवरों का आन्दोलन उग्ररूप धारन कर लेगी तो इसमें महासंगठन कोई जवाबदारी नहीं होगी क्योंकि ये ड्राईवरो की स्वयं की हक की लड़ाई है। अतः आपसे निवेदन है कि जल्द से जल्द हमारी मांगे मानी जाए आपकी अति कृपा होगी।


हमारी मांगे :-


1) दुर्घटना होने पर ड्रायव्हर को दस साल की सजा और सात लाख जुर्माना ये काला कानून तुरंत सरकार वापस ले । 2) देश के सारे ड्रायव्हर चालको के लिये राष्ट्रीय वेल्फर बोर्ड का गठण करके उसमे सामाजिक सुरक्षा।


आरोग्य सुविधा, बच्चो को पढ़ाई की सुविधाये मिले, और बुढापे में पेन्शन की सुविधा मिले। 3) राष्ट्रीय चालक आयोगका निर्माण कराया जाये।


4) देशभर से सरकार की तरफ से ड्राइवर दिवस मनाया जाये।





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