पत्थलगांव में एशप्रा स्किल्स के द्वारा शुरु किया गया जिले का पहला विश्वकर्मा प्रशिक्षण केंद्र, जिले के विश्वकर्मा समाज से जुड़े हो सकेंगे लाभान्वित
जल्द ही यहां समस्त 18 व्यवसायों का प्रशिक्षण भी किया जायेगा प्रारंभ
पत्थलगांव। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत जशपुर जिले के पत्थलगांव कौशल विकास केंद्र में भारत सरकार की MSME, वित्त तथा कौशल विकाश एवं उद्यमता तीनों मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना प्रधान मंत्री विश्वकर्मा योजना का एस्प्रा स्किल ने किया विधिवत शुभारंभ किया गया।
कल् हुवे इस शुभारंभ के प्रथम दिवस के प्रशिक्षण में विश्वकर्माओं का उत्साह वर्धन हेतु उद्योग विभाग के महा प्रबंधक एम एस पैंकरा , जनपद पंचायत CEO पवन पटेल एवं CSC के जिला प्रबंधक विश्वजीत पंडा उपस्थित हुए।
अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षु पुस्तिका का वितरण किया गया । विश्वकर्माओं के कौशल और प्रशिक्षण की गुणवत्ता जांच हेतु विश्वकर्माओं का प्रायोगिक परीक्षण कराया । योजना के संबंध में जानकारी पूछी गई और उन्नत प्रशिक्षण एवं प्रबंधन हेतु एस्प्रा के प्रशिक्षक राजिया खातून और केंद्र प्रमुख तुषार शर्मा की सराहना की।
उद्योग विभाग के महा प्रबंधक महोदय द्वारा विश्वकर्माओ को उद्योग मंत्रालय के अन्य योजनाओं से परिचित कराया गया। Ceo जनपद पंचायत पवन पटेल जी द्वारा प्रशिक्षण उपरांत बैंक से लोन प्राप्त करने में सहयोग करने का आश्वासन प्रदान किया गया । CSC के जिला प्रबंधक विश्वजीत पंडा जी के द्वारा वित्त एवं व्यवसाय प्रबंधन में आधुनिक बैंक प्रणाली (डिजिटल ट्रांजेक्शन)के महत्व को समझाया गया। और कहा कि यहां जल्द ही समस्त 18 व्यवसायों का प्रशिक्षण भी प्रारंभ किया जायेगा।
पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य
‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं को रोजगार देना और उनके शिल्प कौशल को बढ़ावा देना है। यानि कि अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के अभ्यास को बढ़ावा देना और मजबूत करना तथा गुणवत्ता के साथ-साथ उनके उत्पादों और सेवाओं की पहुंच में सुधार करना भी है। ‘पीएम विश्वकर्मा’ के तहत 18 पारंपरिक शिल्प को कवर किया जाएगा।
इस योजना के तहत 1. बढ़ई (सुथार), 2. नाव निर्माता, 3. अस्त्रकार; 4. ब्लैकस्मिथ (लोहार), 5. हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, 6. ताला बनाने वाला, 7. गोल्डस्मिथ (सुनार)8. पॉटर (कुम्हार), 9. स्कल्पटर (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला, 10. मोची (चर्मकार)/जूता बनाने वाला/फुटवियर कारीगर, 11. मेसन (राजमिस्त्री), 12. टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला/कॅयर बुनकर, 13. गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), 14. बार्बर (नाई), 15. गारलैंड मेकर (मालाकार), 16. वाशरमैन (धोबी), 17. टेलर (दर्जी) और 18. फिशिंग नेट निर्माता को शामिल करेगी। बता दें कि मंत्रालय के मुताबिक योजना के तहत लाभार्थियों को 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। इसके साथ ही लाभार्थियों आधारभूत कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसका मकसद लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का एक प्रयास है। जिले के लोगों को इसके तहत जहां प्रशिक्षित किया जाएगा, वहीं स्थानीय स्तर पर पात्रों को टूलकिट का भी वितरण होगा। विश्वकर्माओं को प्रशिक्षण के दौरान प्रति दिन 500 रुपए भत्ता 1000 रुपए यात्रा भत्ता एवं 15000 रुपए के टूल किट के साथ व्यवसायिक पंजीयन और 3 लाख रुपए 5 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण का लाभ मिल सकेगा।