सरकार परिवर्तन होते ही हो जाते है राशनकार्ड बदलने की प्रक्रिया तेज
राज्य कोष से किये जाते है लाखों-करोडों रुपये खर्च, हर बार सरकार को करोड़ों की लगती है चपत
अपने आप को चमकाने और फोटो छपवा कर जनता को दिखाने के बजाय इन पैसों को विकास कार्य के लिए भी किया जा सकता है इस्तेमाल
सरकार बदलने के साथ साथ राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में परिवर्तन किया जाता हैं। इस बीच खाद्य विभाग में राशन कार्ड में परिवर्तन भी पूर्ण होने के कगार पर है। दरअसल इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की तस्वीर छपी थी। सरकार बदलने पर कार्ड पर नए मुख्यमंत्री और नए खाद्य मंत्री की तस्वीर छापने की परंपरा शुरू हो चुकी है, इस कारण हर बार सरकार को करोड़ों की चपत लगती है। आम लोगों का मानना है कि यदि सरकार चाहे तो इन पैसों का इस्तेमाल राज्य के अन्य विकास कार्यों में भी कर सकती है परन्तु सरकार अपने आप को चमकाने ओर जनता को दिखाने में करोड़ों रुपए खर्च करती है।
पिछली कांग्रेस सरकार में भी मुख्यमंत्री के साथ खाद्य मंत्री की तस्वीर प्रिंट की गई थी। करीब 77 लाख राशन कार्ड बदलने में भूपेश सरकार ने 2019 में 8 से 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे। एक राशन कार्ड प्रिंट करने पर 11 रुपये खर्च किए थे। इस बार भी फिर राशन कार्ड का रंग और फोटो बदलने में फिर से राज्यकोष से करोडों के खर्च हो रही है।
छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के साथ ही योजनाओं के नाम बदलने से लेकर अफसरों के तबादलों की प्रक्रिया तेजी से हुवा। अब इसी क्रम में प्रदेश में राशन कार्ड बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई। भाजपा सरकार भगवा रंग में राशन कार्ड को रंग डाली है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तस्वीर को हटाकर अब पीएम मोदी के साथ सीएम विष्णुदेव साय और खाद्य मंत्री दयालदास बघेल की फोटो लगाई गई है।
वहीं इस बार अंत्योदय, प्राथमिकता, निराश्रित तथा निशक्तजन श्रेणी के जारी राशन कार्ड के लिए नवीनीकरण की पूर्ण प्रक्रिया निशुल्क हुई। सामान्य श्रेणी के राशन कार्ड धारकों के लिए एप के माध्यम से नवीनीकरण के लिए 10 रुपये की राशि निर्धारित की गई थी। केंद्र सरकार के निर्देश पर पिछले साल ही सभी राशन कार्ड सदस्यों का केवाईसी की थी। अब फिर इस साल राशन कार्डों का नवीनीकरण होने से दुकानों में जाकर आवेदन करना पड़ा। यानी राशन कार्ड के सत्यापन के लिए लोग लगातार परेशान होते रहे हैं।
बता दें कि राज्य या केंद्र में जब कभी सरकारें बदलती हैं तो योजना या नामकरण में बदलाव होने की परम्परा कोई नई बात नहीं है। नई सरकार अपनी पहचान स्थापित करने के लिए कुछ बदलाव करती है। 2018 में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा लागू कई चीजों को बदल दिया। सबसे पहले राशन कार्ड में तात्कालीन मुख्य मंत्री डॉ रमन सिंह और खाद्य मंत्री पुन्नुलाल मोहले की तस्वीर को हटा दिया गया था। कांग्रेस सरकार ने नए सिरे से राशन कार्डों की छपाई की और कवर पेज पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की तस्वीर छापी गई। हर राशन कार्ड में दोनों की तस्वीर है। अब भाजपा भी इस परम्परा को कायम रखी और राशन कार्ड परिवर्तन पर करोड़ों का ख़र्च कर डाली। वहीं हर 5 साल में राशन कार्ड को बदलकर करोड़ों रुपए सरकार की ओर से बर्बाद किया जाता है।
इस बार बार हो रहे परिवर्तन को देखते हुवे लोगों का कहना है कि हर बार सरकार बदलने पर आम जनता की गाढ़ी कमाई से लिए टैक्स के पैसे बचाए जा सकते हैं। ये पैसा विकास कार्य के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अपने आप को चमकाने और फोटो छपवा कर जनता को दिखाने के लिए जिस तरह से राजनीतिक दल अपने नेताओं की फोटो छाप कर शासकीय पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं, इसे बंद कर देना चाहिए। इसके लिए संसद में एक कानून पास होना चाहिए, जिसमें राष्ट्रीय चिन्ह सभी शासकीय दस्तावेजों पर होना चाहिए, ताकि बार बार सत्ता परिवर्तन के बाद कार्ड बदलवाने की समस्या न हो। ऐसे हो रहे दुरुपयोग में यह पैसे 5 साल में व्यर्थ भी हो जाएंगे। यदि भाजपा की सरकार बदल जाएगी तो कांग्रेस की सरकार फिर यही काम करेगी। राजनीतिक जानकार का भी कहना है कि इसके लिए कानून बनना चाहिए, साथ ही राष्ट्रीय चिन्ह के अलावा व्यक्ति विशेष की फोटो किसी भी शासकीय दस्तावेजों में नहीं होने से बार-बार दस्तावेज बदलना नहीं पड़ेगा, और इस पर हो रहे खर्चे से बचा जा सकता है।