संतान की दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी (कमरछठ) व्रत

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संतान की दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी (कमरछठ) व्रत

संतान की दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना के लिए माताओं ने रखा हलषष्ठी (कमरछठ) व्रत

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी माताओं को हलषष्ठी की दी शुभकामनाएं



संतान की दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना के लिए माताओं ने आज शनिवार को हलषष्ठी (कमरछठ) व्रत रखा। इस दौरान मोहल्लों में सगरी बनाकर माताओं ने पूरे विधि- विधान पूर्वक शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की। बाद में पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी, भैंस का घी व दही से बना प्रसाद ग्रहण कर उपवास तोड़ा। नगर के कुछ महिलाओं ने अपने अपने घरों के आँगन में ही कुश का पौधा लगाकर पूजन अर्चन किया।




इस अवसर पर व्रती महिलाएं स्कंद पुराण में उल्लिखित हस्तिनापुर के राजा हस्ती की कथा सुनी। इसके अलावा कुछ महिलाएं हलषष्ठी छठ की पुस्तक लेकर व्रती महिलाओं को कथा सुनाईं। तत्पश्चात प्रसाद वितरित कर उसे ग्रहण किया। 

मान्यताओं के आधार पर यह व्रत संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने निर्जला व्रत रखते हुए हलषष्ठी माता का विधिपूर्वक पूजा अर्चना करती है। हिंदू धर्म में हलषष्ठी के व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष  भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हल षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे बलदेव छठ, हरछठ, हलछठ, ललही छठ, रांधण छठ, तिनछठी व चंदन छठ आदि नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसी के कारण इस दिन बलराम जी की पूजा करने का विधान है। मान्यताओं के अनुसार हरछठ पर भगवान बलराम के साथ छठ माता की विधिवत पूजा करने से संतान को अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान को अच्छा स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन महुआ का सेवन करने के साथ-साथ उससे दातुन करना शुभ माना जाता है।




मुख्यमंत्री ने हलषष्ठी की दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों विशेषकर सभी माताओं को हलषष्ठी (कमरछठ) की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा है कि भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलरामजी के जन्मोत्सव के रूप में हलषष्ठी मनाई जाती है। छत्तीसगढ़ में यह त्यौहार कमरछठ के नाम से मनाया जाता है। इस दिन घरों और मंदिरों में तालाब के प्रतिरूप स्वरूप सगरी बनाई जाती है। महिलाएं इकट्ठा होकर पसहर चावल, काशी फूल, महुआ पत्ते, लाई अर्पित कर भगवान शिव और सगरी की पूजा-अर्चना करती हैं। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर अपने बच्चों के स्वास्थ्य, लंबी उम्र और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। मुख्यमंत्री ने कामना की है कि सभी माताओं की कामना पूरी हो, सभी बच्चे स्वस्थ और खुशहाल रहें।

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