राज्य कोष से किये जाते है लाखों-करोडों रुपये व्यर्थ खर्च, हर बार सरकार को करोड़ों की लगती है चपत

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राज्य कोष से किये जाते है लाखों-करोडों रुपये व्यर्थ खर्च, हर बार सरकार को करोड़ों की लगती है चपत

राज्य कोष से किये जाते है लाखों-करोडों रुपये व्यर्थ खर्च, हर बार सरकार को करोड़ों की लगती है चपत

सरकार के बदलते ही नहीं दिया जाता योजनाओं पर ध्यान केवल नाम बदल वाह वाही लूटती सरकारें

अपने आप को चमकाने और फोटो छपवा कर जनता को दिखाने के बजाय इन पैसों को विकास कार्य के लिए भी किया जा सकता है इस्तेमाल



✍️विवेक तिवारी--सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव✍️

अपने आप को चमकाने के लिए अपने भारी पोस्टर जनता को लुभाने के लिए लगवाए जाते हैं। आज हम बात कर रहे ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए गठानों की जिसकी आज जर्जर हालत हो गई है। जिसे देखने से खंडहर सा प्रतीत होता है। यह पैसा सरकार को आम जनों के टैक्स एवं अन्य प्रकार की आय से होती है। जिसका पानी की तरह सत्ता पर आसीन सरकार खर्च करती है। ऐसे में शासन को चाहिए कि उस पर ही कुछ पैसे लगाकर उसे सुचारू रूप से चालू करें पर यहां शासन अपने आप को दिखाने के लिए पुराने क्रियान्वित योजनाओं को बंद कर नए रूप से चालू करती है, जिससे लाखों करोड़ों रुपए पानी में बह जाते हैं।

वही देखा जाये तो सत्ता पर आसीन सरकार लोगों के टैक्स से भरने वाले अपने खजाने को कैसे व्यर्थ बहने देती है।  उसकी मिसाल ग्रामीण क्षेत्रों में बन्द पड़े गौठान की बर्बादी से ही देखने को मिल जाती है। 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के शासन में गौ वंश के सुरक्षा हेतु गौठानो का निर्माण किया गया था। वही इन एक गौठान पर लगभग 10 से 12 लाख रुपये खर्च किये गये थे, इससे आप स्वम् अंदाज लगा सकते है कि पूरे राज्य में कितने खर्च हुवे होंगे। उस समय कुछ क्षेत्रों के लोगों को इससे अनेकों तरह के सुविधा मिलती रही, लेकिन न जाने यहां क्या अपशगुन हुआ कि भाजपा सरकार के शासन में इस सुविधा केन्द्र की सांसें बंद हो गईं। वर्तमान में गौठान लावारिस परिस्थितियों में ही है। 

यहां आलम ऐसा है कि इसके पास से गुजरने वाले लोग सरकारों को कोसने से नहीं रहते। इन गौठान के निर्माण पर पूर्व में लाखों रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन बर्बादी के आलम में यह स्थान ऐसे दिखता है कि मानो सरकारों ने अपना ध्यान इस भवन या सेड को स्वयं ही गिर कर नष्ट हो जाने पर टिका कर रख लिया हो। वर्तमान में यह भवन घास फूस से घिरा हुआ है। सरकार की बर्बाद हो रही इस सम्पत्ति को बचाने में हो रही लापरवाही को देख कर लोगों का सियासतदानों के खिलाफ गुस्सा सातवें आसमान पर है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने 21 जुलाई, 2020 को गोधन न्याय योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत, गांवों में गौठान बनाए गये और गौपालन को बढ़ावा दिया जाता था। इस योजना के ज़रिए, जैविक खेती को बढ़ावा देना, रोज़गार के नए अवसर पैदा करना, और किसानों को आर्थिक मदद देना जैसे लक्ष्य हासिल किए जाते थे।

गौठान और किसान सम्मान निधि को बीजेपी सरकार ने किया बंद':

पूर्व में भूपेश बघेल ने कहा था कि ''किसानों की आय बढ़ाने के लिए हमने इस योजना की शुरुआत की थी। वर्तमान सरकार ने इस योजना को बंद कर किसानों को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है। इस सरकार में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ता जा रहा है। क्राइम रेट बढ़ने से जनता परेशान है।

इस योजना के तहत ग्रामीणों, पशुपालकों और गौठानों (गौशाला) से गोबर की खरीदारी की जाती थी, खरीदे गए गोबर से जैविक खाद, दीये, अगरबत्ती और गुलाल समेत कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते थे। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत उंस समय हितग्राहियों को करोडों रूपए का भुगतान किया जा चुका था। योजना के लिए छत्तीसगढ़ सरकार गौ पालकों से गोबर और गौमूत्र खरीदने के दाम तय कर रखे थे। गाय के गोबर को 2 रुपये किलो के हिसाब से खरीदा जाता था और गौमूत्र को 4 रुपये प्रतिलीटर दाम पर खरीदा जाता था।

विष्णु सरकार में गौ वंश की सुरक्षा के लिए योजना

छत्तीसगढ़ में सड़क पर घूमने वाले खुलेआम गौवंशन सुरक्षित करने भी कदम उठाए गये है। CM विष्णुदेव साय ने गौवंशों की सुरक्षा के लिए गौ-अभयारण्य बनाने की प्लानिंग की है। इसके लिए अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री ने मीटिंग की थी, बैठक के दौरान उन्होंने पशुधन विकास विभाग, पंचायत और राजस्व एवं वन विभाग के समन्वय से योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे।

गौवंशों की सुरक्षा के लिए योजना

छत्तीसगढ़ की सड़कों पर घूमने वाले गौवंशों की सुरक्षा के लिए सरकार गौवंश अभ्यारण्य योजना लाई है। इस योजना के तहत सड़कों पर भूखे-प्यासे भटकने वाले गोवंश को नियमित आहार मिलेगा, साथ ही गौवंशों की सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं पर अंकुश भी लगेगा। सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं और गौवंशों के कारण कई बार यातायात बाधित हो जाता है। इसके अलावा वे कई बार सड़क दुर्घटना का कारण भी बनते हैं। साथ ही कूड़ा-कचरा और प्लास्टिक खाने से उनका स्वास्थ्य भी खराब होता है। ऐसे में गौवंश अभ्यारण्य योजना लागू से इन सब से राहत मिलेगी।

राशन कार्ड पर भी हुवे करोड़ो के व्यारे न्यारे

सरकार बदलने के साथ साथ राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में परिवर्तन किया जाता हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में भी मुख्यमंत्री के साथ खाद्य मंत्री की तस्वीर प्रिंट की गई थी। करीब 77 लाख राशन कार्ड बदलने में भूपेश सरकार ने 2019 में 8 से 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे। एक राशन कार्ड प्रिंट करने पर 11 रुपये खर्च किए थे। इस बार भी फिर राशन कार्ड का रंग और फोटो बदलने में फिर से राज्यकोष से करोडों के खर्च हो रही है। बार बार हो रहे परिवर्तन को देखते हुवे लोगों का कहना है कि हर बार सरकार बदलने पर आम जनता की कमाई से लिए टैक्स के पैसे बचाए जा सकते हैं। ये पैसा विकास कार्य के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

कई स्थानों पर बने सरकारी भवन खण्डरों में हो गये तब्दील

वही कई विभागों के लिए सरकारी स्थान पर बनाए गए भवन का उपयोग नहीं होने के कारण यह भवन भी खंडहर में तब्दील हो रहा है। कुछ विभाग अपने कर्मचारियों के लिये आवास उपलब्ध नही कर पा रही तो कई विभाग ऐसे है कि आवास बनकर तैयार तो है पर किसी कारण से रहने को तैयार नही। क्या ऐसे भवन बिना उपयोग या बिना जानकारी लिए बगैर उपयोगिता के ही बना दिये गये हो ऐसा मालूम पड़ता नजर आ रहा है। लाखों करोड़ों खर्च कर बनाए गए इन भवनों के उपयोग नहीं होने के कारण इन पर खर्च रुपये व्यर्थ में चले गए हैं। 

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