छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को अब नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने हटाया, विकास और शांति की नई राह पर अग्रसर

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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को अब नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने हटाया, विकास और शांति की नई राह पर अग्रसर

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को अब नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने हटाया, विकास और शांति की नई राह पर अग्रसर

LWE के तहत बस्तर को मिलने वाली आर्थिक मदद भी बंद 



छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया गया है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) ने बस्तर जिले को वामपंथी उग्रवाद (LWE- Left Wing Extremism) से प्रभावित जिलों की सूची से बाहर कर दिया है। हालांकि बस्तर संभाग के कुछ जिले अभी भी नक्सल प्रभावित हैं। इस फैसले के साथ ही बस्तर जिला अब आधिकारिक रूप से नक्सलमुक्त घोषित हो गया है। यह छत्तीसगढ़ राज्य, विशेषकर बस्तर क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।

बस्तर न केवल एक जिला है, बल्कि एक संभाग भी है, जिसमें कुल 7 जिले शामिल हैं - बस्तर (मुख्यालयः जगदलपुर), कोंडागांव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर (जो पूर्व में दंतेवाड़ा से अलग हुआ। हालांकि बस्तर जिला अब LWE सूची से बाहर हो चुका है, लेकिन बस्तर संभाग के अन्य कुछ जिले अब भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ का नाम आते ही नक्सलवाद की चर्चा होना आम बात है। बरसों से यहां के जंगलों में बंदूकें गरजती रहीं, गांव खाली होते रहे और डर का साया हर तरफ फैला रहा, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। छत्तीसगढ़ के जिस बस्तर को कभी लाल आतंक के गढ़ के रूप में जाना जाता था, वहां अब माओवादियों का नाम-ओ-निशान मिट चुका है। नक्सलवाद की छाया से धीरे-धीरे मुक्त हो रहा यह क्षेत्र अब विकास और शांति की नई राह पर अग्रसर है।

बस्तर के कलेक्टर एस. हरीश ने केंद्र गृह मंत्रालय के इस फैसले के बारे में कहा कि इसी के साथ LWE के तहत बस्तर को मिलने वाली आर्थिक मदद भी बंद हो गई है। नक्सलवाद प्रभावित जिलों को गृह मंत्रालय LWE (लेफ्ट विंग एक्सट्रमिज्म) की श्रेणी में रखता है। बता दें कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद खत्म करने का केंद्र एवं राज्य सरकार का घोषित लक्ष्य है।

बस्तर संभाग आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता, घने जंगलों, खनिज संपदा और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। बस्तर को LWE की श्रेणी में होने की वजह से करोड़ों रुपये का फंड जिले में विकास कार्यों और नक्सल उन्मूलन के लिए मिलता था। मार्च 2025 तक बस्तर जिले को ये राशि जारी की गई थी। अप्रैल 2025 से केंद्र सरकार ने एलडब्ल्यूई फंड पर रोक लगा दी थी। अब बस्तर को LWE श्रेणी से बाहर करने का भी ऐलान कर दिया गया है।

गृह मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2018 में देशभर में 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, जो जुलाई 2021 में घटकर 70 हुए और अप्रैल 2024 तक यह संख्या घटकर मात्र 38 रह गई है। सबसे ज्यादा गंभीर रूप से प्रभावित जिलों की संख्या भी 12 से घटकर अब 6 रह गई है।

फिलहाल छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़, बीजापुर, और कांकेर जैसे जिले अब भी नक्सलियों की गतिविधियों से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाए हैं। हालांकि सुरक्षाबलों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है और इन जिलों में भी ऑपरेशंस चल रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ये जिले भी नक्सल मुक्त हो सकते हैं।

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