सजा होने के बाद आरोपी को हाईकोर्ट से मिली अस्थायी जमानत, जमानत पर बाहर आने के बाद आरोपी ने एक अन्य नाबालिग के साथ फिर से किया दुष्कर्म
हाई कोर्ट ने दो अलग-अलग दुष्कर्म मामलों में दोषी ठहराए गए आरोपित की सजाएं एक साथ चलाने की मांग को किया खारिज
पहले अपराध की सजा पूरी करने के बाद दूसरे अपराध की सजा होगी प्रारंभ, सरगुजा के सीतापुर क्षेत्र का मामला
रेप के दोषी ने जमानत पर छूटकर फिर वही अपराध दोहराया।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दो अलग-अलग दुष्कर्म मामलों में दोषी ठहराए गए आरोपित की सजाएं एक साथ चलाने की मांग को सख्ती से खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकलपीठ ने कहा कि आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड चिंताजनक है और उसने एक बार जमानत पर छूटने के बाद फिर से वही जघन्य अपराध दोहराया, जो न्यायिक विवेक का दुरुपयोग है। ऐसे में उसे किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जा सकती। कोर्ट के आदेश के बाद दोषी को अपने किए की पूरी सजा भुगतनी पड़ेगी। हाईकोर्ट ने कहा कि एक अपराध में जमानत मिलने के बाद उसने फिर से वही अपराध किया।
दोनों ही प्रकरण में न्यायालय ने अलग अलग सजा सुनाई है। इस कारण पहले अपराध की सजा पूरी करने के बाद दूसरे अपराध की सजा प्रारंभ होगी।
सीतापुर (सरगुजा) के चुहीगढ़ाई निवासी आरोपी संजय नागवंशी ने मार्च 2014 में एक नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर कुनकुरी ले जाकर 2-3 महीने तक उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता ने 20 जून 2014 को इसकी जानकारी अपने परिवार वालों को दी। रिपोर्ट पर पुलिस ने अपराध दर्ज किया। एफटीसी पॉक्सो कोर्ट अंबिकापुर ने दिसंबर 2015 में आरोपी को 376 एवं पॉक्सो एक्ट में 10-10 वर्ष कैद और अर्थदंड की सजा से दंडित किया।
सजा होने के बाद आरोपी को हाईकोर्ट से अस्थायी जमानत मिली थी। जमानत पर बाहर आने के बाद आरोपी ने एक अन्य नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया। इस मामले में भी आरोपी को अंबिकापुर पॉक्सो कोर्ट से 2019 में 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई। वर्तमान में आरोपी अंबिकापुर केंद्रीय जेल में पिछले 7 वर्ष से बंद है। यदि दोनों सजाएं क्रमिक रूप से चलेंगी, तो उसे कुल 20 वर्ष जेल में रहना होगा।
हाई कोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज करते हुए साफ किया कि दोनों मामलों की सुनवाई अलग-अलग समय पर हुई, दोष सिद्धि भी अलग-अलग तारीखों पर हुई और किसी भी न्यायालय ने सजा को एकसाथ चलाने का निर्देश नहीं दिया। साथ ही, आरोपी ने दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान पहला अपराध छिपाया था। कोर्ट ने कहा- आरोपी आदतन अपराधी, सजा में कोई रियायत नहीं है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी का ट्रैक रिकार्ड अच्छा नहीं है। वह एक से अधिक मामलों में दोषी पाया गया है और उसे अलग-अलग सजाएं सुनाई गई हैं।
खास बात यह है कि वह पहले अपराध में सजा पाने के बाद, जमानत पर रिहा होकर फिर से वैसा ही जघन्य अपराध करता है, जो उसकी आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में अदालत अपने विवेक का प्रयोग उसके पक्ष में नहीं कर सकती। इस आधार पर कोर्ट ने आरोपी की याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि दोनों सजाएं क्रमवार (क्रमशः) चलेंगी।