हल्की आंधी-बारिश में ही खुल जाती है बिजली विभाग की पोल, घण्टों रहती है तक बिजली आपूर्ति बाधित

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हल्की आंधी-बारिश में ही खुल जाती है बिजली विभाग की पोल, घण्टों रहती है तक बिजली आपूर्ति बाधित

हल्की आंधी-बारिश में ही खुल जाती है बिजली विभाग की पोल, घण्टों रहती है तक बिजली आपूर्ति बाधित

मेंटेनेंस के नाम पर केवल दिखावा करती है विभाग, या करती है खानापूर्ति




पत्थलगांव। पत्थलगांव इलाके में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच बिजली विभाग से शहर सहित ग्रामीण इलाके के उपभोक्ता परेशान है। कारण है बिजली की की पूर्ति नही हो पाना, एक ओर जहां सरकार बिजली की पूर्ति 24 देने की बात करती है तो दूसरी ओर बिजली की आपूर्ति घण्टों तो ग्रामीण इलाकों में दिनों तक नही हो पा रही। जिससे उपभोक्ताओं में विभाग के प्रति रोष देखने को मिल रहा। इनका कहना है कि विभाग यदि मेंटेनेंस के नाम बिजली की कटौती करती है तो हल्की बारिश और हवा में बिजली बाधित क्यो हो जाती है। वही विभाग के लोगों से बात करने पर हमेशा स्टॉफ की कमी एवम कुछ मजबूरी बता अपना पड़ला झाड़ते नजर आते है। 

वहीं बिजली बंद की सूचना से अवगत कराने या जानने के लिये फोन लगाने पर यहां के कर्मचारी फोन भी नही उठाते। मेंटेनेंस के बाद भी बिजली किन कारणों से काटी जाती है यह लोगों के समझ से परे है। 

अभी कुछ दिनों से हल्की आंधी व बारिश से लोग परेशान हैं तो वही बिजली विभाग भी परेशानी में चार चांद लगा रही है। आमलोगों का कहना है कि अगर यही व्यवस्था है तो हमलोगों से भी बिल का भुगतान भीषण गर्मी व बारिश में कुछ दिनों बाद लेना चाहिए। साथ ही बिजली विभाग के उस दावे की भी पोल खुल रही है जिसमें दावा किया जा रहा था कि कही भी बिजली बाधित को घंटे के भीतर में दुरुस्त कर लिया जाएगा। आज विभाग की लचर कार्यशैली के कारण ग्रामीण इलाके में उपभोक्ता को बिजली की समस्याओं से संघर्ष करना पड़ रहा है। आधे एक घंटे की हवा और हल्की बारिश ने बिजली विभाग की कमजोर तैयारियों की पोल खोल देती है। विभाग द्वारा तारों से सटे पेड़ो की कटाई छटाई करती है पर तारो पर टहनी का गिरने से साफ हो गया कि विभाग ने पहले से कोई ठोस तैयारी नहीं करती। लोगो का कहना है कि अभी गर्मी के समय मे हल्की हवा तूफान से ये हाल है तो जब मानसुन अपना तेवर दिखाएगा तो क्या हाल होगा...?

वही कई ग्रामीण इलाको में कर्मचारियों की लापरवाही के कारण जमीनी स्तर पर मेंटेनेंस ठीक से नहीं हो पाता है। इसका अंदाजा विद्युत ट्रांसफार्मर और झूलते बिजली तारों को देखकर लगाया जा सकता है। अगर यही हाल रहा तो भविष्य में कोई बड़ी घटना हो सकती है। देखने से लगता है मानो विभाग के अधिकारी ऐसी स्थिति को खुद न्योता दे रहे हैं। मेंटेनेंस के नाम हजारों लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, ऐसी परिस्थिति विभाग द्वारा किये इन खर्चों को आईना दिखा देती है। वास्तविक स्थिति समझ मे आ जाती है यह दिखावा है या खानापूर्ति। 


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