25 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के बाद एनएचएम कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर कराया विरोध दर्ज
पूरे प्रदेश में 16,000 से अधिक एनएचएम कर्मचारी 18 अगस्त से बैठे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
रायपुर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों ने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया है। पूरे प्रदेश में 16,000 से अधिक एनएचएम कर्मचारी 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। रविवार तक कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर विरोध दर्ज कराया। जिसके बाद से हड़कंप मच गया है।
एनएचएम के पदाधिकारियों के मुताबिक संघ ने यह फैसला तब लिया, जब राज्य सरकार ने आंदोलन में सबसे आगे रहे एनएचएम के 25 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने का फैसला किया। हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उनकी लंबे समय से लंबित मांगें- जैसे सेवाओं के नियमितीकरण और काम करने की स्थिति में सुधार-को पूरा करने के बजाय सरकार ने दंडात्मक कदम उठाने का विकल्प चुना है।
कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कई वर्षों से लंबित मांगों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही। नियमितीकरण, वेतनमान और सेवा शर्तों में सुधार सहित कुल 10 मांगों को लेकर वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी।
प्रदेशभर में चल रही इस हड़ताल का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने लगा है। ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो रही हैं। नेताओं ने कहा कि यदि आंदोलन के दौरान किसी मरीज की जान जाती है, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
एनएचएम कर्मचारी संगठन ने मांग की है कि सरकार जल्द उनकी समस्याओं का समाधान करे और नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करे। उनका कहना है कि 'हमारे आंदोलन का उद्देश्य केवल अपने अधिकारों को पाना है, लेकिन सरकार की चुप्पी ने हमें मजबूर कर दिया है।'
हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति की कार्यकारिणी समिति ने 13 अगस्त को अपनी बैठक में एनएचएम कर्मचारियों द्वारा उठाई गई 10 में से चार मांगों को स्वीकार कर लिया। उन्होंने बताया कि तीन और मांगों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जबकि सेवाओं के नियमितीकरण सहित शेष तीन मांगों पर सरकार के उच्चतम स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि बार-बार नोटिस देने के बावजूद जब प्रदर्शनकारी कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं लौटे तो उनमें से 25 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। सेवा समाप्ति आदेश तीन सितंबर को जारी किया गया। बर्खास्त किए गए लोगों में छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉक्टर अमित कुमार मिरी, महासचिव कौशलेश तिवारी और प्रांतीय संरक्षक हेमंत कुमार सिन्हा शामिल हैं।
सिन्हा ने शुक्रवार को बताया कि प्रशासन की यह दमनकारी कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित और संवाद में बाधा है। इस कदम से नाराज होकर, राज्य भर के 14,678 एनएचएम अधिकारियों और कर्मचारियों ने अब तक अपने इस्तीफे दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, हड़ताल जारी रहेगी। करीब 16 हजार संविदा एनएचएम कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं और शेष भी जल्द ही अपने इस्तीफे दे देंगे।
कर्मचारियों की मांगों में नियमितीकरण, लोक स्वास्थ्य संवर्ग का गठन, ग्रेड पे और अनुकंपा नियुक्ति शामिल हैं। डॉक्टर मिरी ने कहा कि एनएचएम कर्मचारी अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर 18 अगस्त से संवैधानिक अधिकारों के दायरे में आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 160 बार ज्ञापन देने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के बाद यह आंदोलन मजबूरी बन गया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान, व्हाट्सएप पर चेतावनी पत्र और बर्खास्तगी के आदेश तेजी से भेजे जा रहे हैं। अगर हमारी मांगें हल करने में भी यही तेजी दिखाई जाती, तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होती।