रात में दो नर्स के भरोसे 100 बिस्तर का अस्पताल, पत्थलगांव की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था से मरीज परेशान घण्टों कर रहे इलाज के लिये इंतजार

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रात में दो नर्स के भरोसे 100 बिस्तर का अस्पताल, पत्थलगांव की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था से मरीज परेशान घण्टों कर रहे इलाज के लिये इंतजार

 रात में दो नर्स के भरोसे 100 बिस्तर का अस्पताल, पत्थलगांव की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था से मरीज परेशान घण्टों  कर रहे इलाज के लिये इंतजार


विवेक तिवारी-पत्थलगांव सीजी नमन न्यूज़

पत्थलगांव। चिकित्सा  के क्षेत्र में सरकार के किए गए अथक प्रयास के बावजूद पूरी चिकित्सा व्यवस्था चरमराई सी नजर आ रही  है। शासन प्रशासन के भरसक प्रयास के बावजूद मरीज कई घण्टे इलाज के लिए परेशान नजर आते दिखाई पड़ते है। अब इस स्थिति का दोष किसे दे आप स्वम् अंदाज लगा सकते है।


विदित हो कि बीती रात हुवे एक घटना ने पत्थलगांव के बने इस बड़े अस्पताल की बदहाल व्यवस्था एवम स्वास्थ्य सुविधाओं को आइना दिखा कर छोड़ दिया है। पत्थलगांव में स्थित सिविल अस्पताल दो नर्स के भरोसे चलता नजर आया। मंगलवार को देर शाम 8.15 लगभग घर वापसी के दौरान सुखरापारा के पास ट्रेलर के चपेट में आने से चोटिल हो गया था, इस घटना में मुकेश कुमार जगत, पिता दर्शन निवासी कुमेकेला सिर में चोट आई थी वह अपने परिजन रुक साय एवम अन्य के साथ पत्थलगांव सिविल अस्पताल में ईलाज हेतु भर्ती कराया गया जो कि 1.30 घण्टे से ड्रेसर के इंतजार में उसके सिर में अपने गमझे के जरिये बहते खून को रोकने का प्रयास करते नजर आये। ड्यूटीरत स्टॉफ नर्स से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ड्यूटी दे रही डॉक्टर भोजन करने हेतु घर गई है एवम ड्रेसिंग करने वाले का फोन नही लग रहा जिसकी वजह से इनका इलाज नही हो पा रहा। हम अपनी तरफ से हमारे अनुसार बोतल एवम अन्य प्रकार से ईलाज सामग्री मुहैया कर दिये है, उनके आने के बाद ही उनका इलाज हो पायेगा। हमारी टीम की 9.30 बजे तक कि उपस्थिति तक के हालात दयनीय थी। वही परिवार के लोगो का कहना था कि क़रीब 1.30 घण्टे से मरीज को भर्ती कराये है पर अभी तक कोई बेहतर इलाज की संभावना नजर नही आ रही है। ऐसे में आम आदमी सरकार की बेहतर ईलाज एवम स्वास्थ्य सम्बंधित दावों को क्या समझे, जब इस प्रकार के छोटी मोटी घटना में घण्टे लग रहे तो क्या इमरजेंसी जैसे हालातों में क्या व्यक्ति की जान बचा पाना इनके भरोसे के लायक है.? सिविल अस्पताल के ऐसे कृत्य सरकार के इन खोखले दावे को भी सामने लाते नजर आ रही है।


वही आये दिन ऐसे कई मामले आते ही रहते है जिसमे  मरीज चिकित्सकों के आने की राह देखते हुए इधर-उधर भटकते रहतेनजर आते है। लोगों का कहना है कि कभी कभी इस अस्पताल में चिकित्सकों का दर्शन दुर्लभ रहते है यह भगवान भरोसे चल रहा है अस्पताल से ज्यादा तो अपने निजी क्लिनिकों एवम घरों में नजर आते है । यहां इलाज के नाम पर केवल मरहमपट्टी कर दी जाती है, बेहतर इलाज हेतु अपने क्लिनिकों- घरों में बुलाया जाता है और जाँच के नाम पर अच्छी फीस ली जाती है । आखिर ये सरकार से तनख्वाह किस चीज की लेते है। इलाज कराने आने वाले मरीजों का कहना रहता है कि चिकित्सकों का इंतजार करते करते हम निराश हो जाते है और  अन्यत्र या फिर उनके प्राइवेट क्लीनिक में  जाना ही पड़ता है। वहीं देखा जाये तो देखरेख के अभाव में  यहाँ की शौचालय भी सही सलामत नहीं है। हालत यह है कि गंदगी में आकंठ डूबे ये शौचालय साक्षात बीमारी को खुला निमंत्रण दे रहे है।

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