NCERT से 10 गुना महंगी हैं प्राइवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें, निजी स्कूल संचालकों की मनमानी के आगे बेबस शिक्षा विभाग

Breaking Posts

6/trending/recent

Hot Widget

Type Here to Get Search Results !

Ads

Footer Copyright

NCERT से 10 गुना महंगी हैं प्राइवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें, निजी स्कूल संचालकों की मनमानी के आगे बेबस शिक्षा विभाग

 NCERT से 10 गुना महंगी हैं प्राइवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें, निजी स्कूल संचालकों की मनमानी के आगे बेबस शिक्षा विभाग


विवेक तिवारी-पत्थलगांव सीजीनमन न्यूज़

पत्थलगांव-एक तरफ स्कूलों में वर्दी व किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग इन निजी स्कूल संचालकों पर कार्रवाई करने से क्यों कतरा रहा है यह समझ से परे है। अभिभावको ने बताया कि अभी भी कई स्कूलों में एनसीईआरटी सिलेबस नहीं पढ़ाया जा रहा है। वर्दी, बेल्ट व किताबों के नाम पर अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है। शिक्षा विभाग ऐसे में क्यों मूकदर्शक है समझ से परे है। लगता है इसमें भी कहीं ना कहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ही मिलीभगत है जो आज तक इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।हालांकि समय-समय पर शिक्षा विभाग द्वारा कसावट की बात कही जाती है। जो सिर्फ कागजों में सिमट कर रही जाती है।  विदित हो की हर बार नए सत्र में यहा के निजी स्कूलों की मनमानी की वजह से अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है ।शासन के आदेश के बाद भी न तो फीस वसूली पर लगाम लग पाई है और न ही निजी प्रकाशक और स्कूल संचालकों के बीच का तिलस्म टूट पाया है। हालात इस कदर हो चुके है की हर निजी स्कूल संचालक ने अपनी स्टेशनरी की दुकानें फिक्स कर रखी हैं। एनसीइआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशकों की किताबें चलाई जा रही हैं। अभिभावकों का कहना है की स्कूलों की मनमानी की वजह से वर्तमान में शिक्षा को मात्र व्यापार बनकर रह गया है यही कारण है कि निजी स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं। सरकार व विभागीय आदेशों का उन पर कोई असर होता नहीं दिखाई दे रहा है। संचालको द्वारा वार्षिक शुल्क, डेवलपमेंट चार्ज, निजी प्रकाशन की किताबें, वर्दी इत्यादि के नाम पर अभिभावकों की जेब काटी जा रही है। वहीं गांव गांव में भी कई ऐसे प्राइवेट स्कूल खुले नजर आते है जहां ठेका की तरह स्कूल खोल दिये गये है जो केवल कमाई का जरिया बनता दिखाई देता है।

-: यह है नियम :-

निजी स्कूल अब अभिभावकों से छिपाकर स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। जितनी फीस बढ़ाने की जानकारी उन्होंने फार्म-6 में दी है, उतनी ही बढ़ी फीस वे अभिभावकों से ले सकेंगे। बकायदा इसकी जानकारी के लिए उन्हें स्कूल के नोटिस बोर्ड पर फार्म-6 की प्रति भी लगानी होगी। यदि ऐसा नहीं किया और मनमर्जी से फीस बढ़ाकर ली तो स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई होना है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Bottom