तापमान में उतार चढ़ाव और बेमौसम बारिस वनोपज के लिए बना नुकसानदायक, तेंदूपत्ता तोड़ने वालों को सताने लगी रोज़ी रोटी कि चिंता

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तापमान में उतार चढ़ाव और बेमौसम बारिस वनोपज के लिए बना नुकसानदायक, तेंदूपत्ता तोड़ने वालों को सताने लगी रोज़ी रोटी कि चिंता



विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव

जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले में तापमान में उतार चढ़ाव और बेमौसम बारिस वनोपज के लिए नुकसानदायक हो रही है। क्षेत्र में एक बार फिर मौसम सक्रिय हो गया है। इसके कारण इस वर्ष कम तेंदूपत्ता मात्रा में संग्रहित हुआ है। ऐसे में वनोपज के व्यापार में संकट के बादल छाने लगे हैं। तेंदूपत्ता तोड़ाई कर जो मजदूर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, उनके सामने भी विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। पिछले दिनों से हुई बेमौसम मुसलाधार बारिश ने तेंदूपत्ता संग्राहकों व किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। ज्ञात हो कि जंगलों में तेंदू के वृक्षों में नए पत्ते आना शुरू ही हुए थे कि इसी समय बारिश और तापमान में अचानक आई गिरावट से तेंदूपत्ता की ग्रोथ रुक गई।


बताया जा रहा है कि बूदाबांदी और तापमान में उतार चढ़ाव के कारण पत्ता में फुंसीनुमा (मतोना) बीमारी हो जाती है। इसके बाद पत्ता सिकुड जाता है। सिकुड़ा हुआ पत्ता उपयोग में नहीं आता जिसके चलते तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले मजदूरों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। बेहतर उत्पादन और ग्रोथ के लिए तेंदूपत्ता को तेज धूप के साथ गर्मी की जरूरत होती है। लेकिन इस बार बीच- बीच में मौसम में बदलाव हुआ। जिसके चलते तेंदूपत्ता को भारी नुकसान हुआ है।  क्षेत्र में हजारों मजदूर तेंदूपत्ता सीजन में पत्ता संग्रहण कर अपना भरण-पोषण करने का काम हर साल करते हैं। वनांचल क्षेत्र के अंचलवासियों को तेंदूपत्ता आय का बेहतर साधन है। ज्ञात हो कि इस बार तेंदूपत्ता पर मौसम ने भी कहर ढा रखा है। लगातार बदली, बूंदाबांदी, ओला और बारिश की स्थिति बनी होने से पत्ते पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए हैं। तैयार हुए भी हैं तो इसका स्तर काफी खराब हो गया है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग सुबह से शाम पत्ता तोड़ने से बेचने में लग जाती है और दोपहर के बाद बारिश हो होती है जिससे काफी चिंता बढ़ा दी है, जिससे हमें रोज़ी रोटी कि चिंता सताने लगी है।

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