पत्थलगांव शहर सहित ग्रामीण इलाकों में थमने का नाम नही ले रहा बिजली चोरी का मामला, विभाग बनी तमाशबीन
हुकिंग करतें करेंट के चपेट में आने से हुई थी ग्रामीण की मौत
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। पत्थलगांव शहर एवम ग्रामीण ईलाकों में बिजली चोरी नहीं थमने का नाम नही ले रही है। कई घर, दुकान हो या फैक्टरी चोरी की बिजली से चल रहे एवम रोशन हो रहे हैं। जिससे बिजली कंपनी को लाखों करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। अपने निजी कार्यों में उपयोग के लिये हुकिंग से बिजली चोरी के चलते कभी कभी ग्रामीण अपनी जान भी गंवा लेते है। अभी हाल ही में परसो घरजियाबथान के कोडेकेला निवासी स्व समय नाथ पैंकरा अपने खेत मे पानी पटाने के लिये हुकिंग कर पम्प लगा रहा था और करेंट के चपेट में आने से उसकी मृत्यु हो गई। आखिर ऐसे मामलों में जवाबदेही किसकी माने, उसके स्वम् की या विभाग की जो जानते हुवे भी तमाशबीन बने रहती है।
विभाग द्वारा खुले तारों के बजाय केबल वायर का काम तो धीरे धीरे ग्रामीण एवम शहर के कई स्थानों में करवाया जा रहा है। लेकिन बिजली चोरी रोकने में विभाग अब तक नाकाम सिद्ध नजर आ रहा है। वहीं सामान्य उपभोक्ताओं से पूरी दादागिरी से वसूली करने वाली विद्युत कंपनी बड़े चोरों को पकडऩे में नाकाम है। केवल लाखों करोड़ों का बकाया बिल और कार्रवाई करने की बात कहकर बड़े और मोटे बिल वालों की फाइलें कहीं कोने में दब जाती है, एवम खानापूर्ति कर लिया जाता है। अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण अंचल में बिजली के तार में हुकिंग कर लगातार बिजली चोरी हो रही है। हुकिंग के अलावा बड़े उपभोक्ता भी बाइपास कनेक्शन से बिजली चोरी कर रहे हैं। इसका खामियाजा मध्यम वर्गों को भुगतना पड़ता है, जो नियमित रूप से बिजली बिल भुगतान करते हैं। शहर के लगभग सभी वार्डों में बिजली तार खुले हैं, जिससे लोग कही से भी आसानी से हुकिंग कर लेते हैं। खुले तार की जगह यदि केबल लगा दिया जाए तो बिजली चोरी पर आसानी से रोक लगाई जा सकती है।
हुकिंग एवम मीटर से छेड़छाड़ से लाखों करोड़ों रुपए की बिजली चोरी
बताया जाता है कि मीटर से छेड़छाड़ कर भी कई लोगों के द्वारा बिजली चोरी की जा रही है, जिससे विभाग को सालाना लाखों रुपए की चपत लग रही है। बावजूद इसके विद्युत वितरण कंपनी इन पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। ये वो बिजली है, जिसका इस्तेमाल विद्युत तारों से हुकिंग कर गैर-कानूनी तरीके से किया जाता है। इसका पैसा विद्युत कंपनी को नहीं मिल पाता है। इसे विद्युत कंपनी प्रतिमाह लाखों रुपए के नुकसान में रहती है।
इनमें एकल बत्ती से लेकर घरेलू व फैक्टरी,क्रेशर भी शामिल हैं। इसके अलावा चोरी से बिजली का उपयोग करने वालों की भी कमी नहीं है। ऐसे लोग विद्युत तारों में हुकिंग और मीटर से छेड़छाड़ कर बिजली चोरी करते हैं। विद्युत कंपनी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं। बावजूद इसके वे कार्रवाई करने के बजाय केवल तमाशा देख रही हैं। इससे लोग और फायदा उठा रहे हैं। कहीं कहीं तो विभाग के ही कर्मचारियों के द्वारा अवैध बिजली उपयोग करने के एवज में मंथली भी वसूली करने की बात सामने आ रही है।
दण्ड का प्रावधान
बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ दण्ड का भी प्रावधान है। कंपनी की मानें तो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 अंतर्गत बिजली चोरी के मामलों में सजा अथवा जुर्माना हो सकता है। दोष साबित होने की स्थिति में बिल का छह गुना तक वसूला जा सकता है। वहीं बिजली चोरी के दोषी को तीन महीने से तीन साल तक की सजा हो सकती है।