अधिकारियों कर्मचारियों का नम्बर सार्वजनिक होंने के बाद भी रहता है बंद या नही उठाते, फोन नहीं लगने से जनता की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ते आ रही नजर

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अधिकारियों कर्मचारियों का नम्बर सार्वजनिक होंने के बाद भी रहता है बंद या नही उठाते, फोन नहीं लगने से जनता की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ते आ रही नजर

अधिकारियों कर्मचारियों का नम्बर सार्वजनिक होंने के बाद भी रहता है बंद या नही उठाते, फोन नहीं लगने से जनता की परेशानी कम होने के बजाय बढ़ते आ रही नजर



विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव

जशपुर। एक और जहां सरकार आमजन एवम अधिकारियों के बीच सामंजस्य बनाए जाने या उनके किसी परेशानी के निवारण-शिकायत हेतु उनके मोबाइल नम्बर को सार्वजनिक स्थानों पर लिखा जाता है। परन्तु ऐसे में अधिकांश बार अधिकारी का फोन बंद या नही उठाना जनता के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। इस ओर उच्चाधिकारियों को ध्यानाकर्षण करने की आवश्यकता है। ताकि लोगों अपनी शिकायतों का समाधान प्राप्त हो सके।

अधिकतर थाना प्रभारियों के सरकारी मोबाइल नंबर मिलते है बंद,

पुलिस और जनता के बीच आपसी सम्बंध एवम किसी अप्रिय घटना के सम्बंध में सूचना देने जनता के बीच इनके नम्बर सार्वजनिक तौर पर अंकित दिखाई मिलते है। और इनके पास विभाग की तरफ से सरकारी मोबाइल नंबर दिए गए हैं। ये नंबर लोगों में भी सार्वजनिक किए गए हैं, जिससे कोई दुर्घटना या अपराध होने की स्थिति में लोग संबंधित थाना या चौकी प्रभारी को सूचना दे सकें। अकसर देखा जाता है कि कुछ समय बाद चौकी या थाना प्रभारी का दूसरी जगह तबादला हो जाता है। ऐसे में लोगों को उस चौकी या थाना प्रभारी का स्थायी मोबाइल नंबर देने के उद्देश्य से यह व्यवस्था की गई है। लोगों की अधिकतर शिकायत रहती है कि जब भी फोन करते हैं तो जवाब आता है कि करेंटली स्विच ऑफ । इस कारण कई बार आम लोग को मोबाइल संपर्क नहीं हो पाना मुश्किल हो जाता है, इससे लोगों में हताशा देखने को मिलती है। वही पत्रकारों को भी किसी मामले में जानकारी लेने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस पर उच्चाधिकारियों को ध्यानाकर्षण करने की आवश्यकता है। 

शासन-प्रशासन को जनहित योजनाओं के कार्यक्रम चलाकर कर्मचारियों के माध्यम से आपके द्वार द्वार पहुंचाने के लिये प्रयासरत है । इसी उद्देश्य से कभी कोई दिक्कत या परेशानी होने पर उच्चाधिकारियों को अवगत कराने उनके नम्बर को सार्वजनिक किया जाता है, पर फोन नही लगने से काफी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है। अधिकारियों के सरकारी नंबर बंद होने या नही उठाने से मुश्किलें कम होने के बजाये बढ़ जाती हैं। वही अधिकारियों के नम्बर सार्वजनिक करने से यह दर्शाता है कि अधिकारी दरअसल जनता की सेवा करने के लिए हैं, पर यहां कुछ उल्टा ही हो रहा है। फोन न उठाना या बंद रखने अपने आदत में सुमार कर लिया गया है। 

विदित हो कि 21वीं सदी में मोबाइल ने संचार के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है। इस तीसरी सहस्त्राब्दी में शासन के तरीकों में परिवर्तन लाने के लिए मोबाइल को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जा रहा है। शुरुआत में मोबाइल का उपयोग सिर्फ संचार के माध्यम के रूप में किया जाता था, लेकिन सरकारी एजेंसियों द्वारा आज इसका उपयोग लोगों तक न सिर्फ महत्वपूर्ण जानकारियाँ पहुँचाने के लिए किया जा रहा है बल्कि उन्हें "कभी भी एवं कहीं भी" सरकारी सेवाएँ उपलब्ध करवाए जाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। आज मोबाइल के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग, व्यवसाय इत्यादि से संबंधित सेवाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं। पिछले दशक में स्मार्टफोन एवं बेतार आधारित अन्य तकनीकों के प्रयोग से देश में जबर्दस्त बदलाव देखने को मिला है। इसी स्थिति का लाभ उठाने के लिए मोबाइल का प्रयोग एक माध्यम के रूप में किया जा रहा है ताकि जन-जन तक लोक सेवाओं को आसानी से पहुँचाया जा सके।



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