पत्थलगांव में ईद की नमाज अदा कर लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर दी बधाई, मांगी अमन चैन की दुआ
दिया भाईचारे के साथ रहने का पैगाम
पत्थलगांव में आपसी भाईचारे व सामाजिक सौहार्द के माहौल में एखलास व एहतराम के साथ गुरुवार को ईद का त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाया गया। यहाँ के ईदगाह में मौलाना नशीर आलम अजीजी के नेतृत्व में नमाज अदा करवाई गई । ईद की नमाज अदा कर लोगों ने एक दूसरे को गले लगाकर बधाई दी और अमन चैन की दुआ माँगी। ईद के त्यौहार पर लोगों ने भाईचारे के साथ रहने का पैगाम दिया। इस दौरान बच्चे बूढ़े से लेकर युवा तक काफी उत्साहित दिखे। नमाज अदा करने के दौरान अध्यक्ष मोनू खान, उपाध्यक्ष सोनु कादरी, निजामुद्दीन,शौकत मोलना, अब्दुल रहमान,अनवर अली, फिरोज, बदरुद्दीन, फखरूद्दीन, मुस्लिम मिस्त्री,मनसुर आलम के साथ साथ समुदाय के अन्य लोग भी शामिल हुवे।
बुधवार के शाम को शव्वाल के चांद के दीदार के बाद पुष्टि हो गई कि गुरुवार को ईद मनाया जायेगा। ईद-उल-फितर के दिन अमीर और गरीब की खाई मिट जाती है। ईद का त्यौहार सबके साथ खुशियां मनाने का पैगाम देता है। सभी मुसलमान चाहे वो अमीर हो या गरीब सभी इस दिन एक साथ नमाज अदा करते हैं। इस दिन सभी लोग ईद की खुशियों में शामिल होते हैं।
ईद उल फितर पूरे देश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है।दुनिया भर में ईद का त्योहार रमज़ान का पाक महीना ख़त्म होने के बाद मनाया जाता है। करीब महीने भर तक चले रोजों के बाद चांद का दीदार किया जाता है और उसी के बाद ईद की तारीख की जानकारी प्राप्त होती है। यह पवित्र अवसर हमें एक-दूसरे के साथ एकता, समरसता, और सहयोग का अनुभव कराता है। ईद पुरे भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ईद का त्यौहार मनाया जाता है। जिसे लेकर समुदाय के लोग पूर्व से ही तैयारी कर लेते हैं।
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ओर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी ईद की बधाई
रमजान के महीने में रोजा समाप्त होने के बाद सभी ईद के चांद का बेसब्री से इंतजार कर रहे होते हैं। इस ख़ास अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख़्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने ईद उल फितर के अवसर पर प्रदेश वासियों सहित देश वासियों, विशेष कर मुस्लिम समुदाय को बधाई व शुभकामनाएं दी हैं। सारे गिले शिकवे भूला कर एक दूसरे से गले मिल कर ईद की मुबारकबाद दी जाती है। इस खास मौके पर हर मुस्लिम के लिए ईद के पहले फितरा देना फर्ज़ होता है।
ईद-उल-फितर मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है.
मुस्लिम समुदाय में ईद के वक्त अच्छी खासी रौनक देखने को मिलती है। इस दौरान मस्जिदों को सजाया जाता है, सभी लोग इस दिन नए कपड़े पहनने के साथ-साथ अपने-अपने घरों में पकवान बनाते हैं। ईद पर अपनों से छोटों को ईदी के रूप में तोहफों के अलावा पैसे भी दिए जाते हैं और सारे गिले शिकवे भूल कर आपस में एक दूसरे से गले मिल कर ईद की मुबारकबाद दी जाती है।
किस तरह मनाते हैं ईद
मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े त्योहार ईद पर घरों में मीठे पकवान, खासतौर पर सेवई बनाई जाती है। इस पकवान का नाम शीर-कोरमा है। इस्लाम धर्म का यह त्योहार गिले शिकवे भूल कर आपस में भाईचारे का संदेश देता है।
ईद-उल-फितर का इतिहास
इसकी शुरुआत 02 हिज़री यानी 624 ईस्वी में पहली बार हुई थी। जंग 02 हिज़री 17 रमजान के दिन हुई थी। यह इस्लाम की पहली जंग थी। इस लड़ाई में 313 निहत्थे मुसलमान थे। वही, दूसरी ओर तलवारों और अन्य हथियारों से लैस दुश्मन फौज की संख्या 1 हजार से अधिक थी, इस जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद की अगुआई में मुसलमान बहुत बहादुरी से लड़े और जीत हासिल की। इस जीत की खुशी में मिठाई बांटी गई और एक-दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद दी गई। बताया जाता है कि इस जंग का नेतृत्व ख़ुद पैग़ंबर मोहम्मद साहब ने किया था और इस जंग में मुस्लिम समुदाय की फतह हुई थी। इसी खुशी में ईद मनाए जाने की बात कही जाती है।
क्या है ईद के चांद का महत्व
मुस्लिम धर्म को मानने वाले अनुयायी विशेष कैलेंडर को मानते हैं। जिसको चंद्रमा की उपस्थिति और अवलोकन द्वारा निर्धारित किया गया है। इसके अनुसार रमज़ान के महीने के बाद ईद का चांद नज़र आता है। रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत चांद के दीदार से ही होती है और ये ख़त्म भी चांद के दीदार से होता है।
करते हैं अल्लाह का शुक्रिया
मुस्लिम समुदाय के लोग ईद वाले दिन अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं क्योंकि अल्लाह ने उन्हें 30 दिनों तक रोज़े रखने की ताकत दी है। रमज़ान के महीने में दान भी किया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि इस पाक महीने में दान देने से उसका दोगुना फल मिलता है।