सुरक्षा बल के जवानों के एक्शन से नक्सलियों की नींद उड़ी, 60 किलोमीटर तक अंदर घुसकर नक्सलियों के बड़े नेटवर्क को खत्म करने का किया काम
मारे गये नक्सलियों का विभिन्न राज्यों में कुल 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का था इनाम, सभी के शव बरामद
नारायणपुर में अबूझमाड़के जंगल में सुरक्षा बल के जवानों के एक्शन से नक्सलियों की नींद उड़ चुकी है। करीब 900 से ज्यादा जवानों की संयुक्त टीम ने अबूझमाड़ के जंगलों में 60 किलोमीटर तक अंदर घुसकर नक्सलियों के बड़े नेटवर्क को खत्म करने का काम किया है। छत्तीसगढ़ में 16 घंटे तक चली भीषण मुठभेड़ में 60 लाख रुपये से अधिक के नकद इनाम वाले 10 नक्सलियों के मारे गए है। इसके बाद, बस्तर आईजी पी सुंदरराज ने कहा कि मढ़ को नक्सलियों का अभेद्य गढ़ माना जाता था, इस मिथ को सुरक्षाबलों ने तोड़ दिया है, माड़ माओवादियों का गढ़ है। जवानों ने नक्सलियों के शीर्ष नेतृत्व को भी करारा झटका दिया है। इस धारणा के विपरीत कि नक्सली मढ़ में बेखौफ होकर काम कर सकते हैं, सुरक्षा बलों ने पूरे क्षेत्र में गहन तलाशी अभियान चलाया। इस अथक खोजबीन के दौरान वे नक्सली गतिविधि के केंद्र तक पहुंचे, जहां उन्होंने प्रमुख नेताओं को घेर लिया, जिससे माओवादियों में हड़कंप मच गया। उन्होंने बताया कि मारे गए लोगों में एक विशेष जोनल कमेटी सदस्य (एसजेडसीएम), दो डिवीजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम) और दो एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम) शामिल हैं, जो मुख्य रूप से अबूझमाड़ और गढ़चिरौली डिवीजन में सक्रिय थे।
बस्तर संभाग के कुछ हिस्से अब भी नक्सलवाद की बची-खुची साख को कवच प्रदान कर रहे हैं। यहां नक्सलियों का किला अब लगभग ध्वस्त हो चला है, लेकिन बुझती हुई लौ की धमक कम घातक नहीं होती। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के लिए बीते पांच वर्ष सुकून के रहे, क्योंकि न बड़े अभियान चले और न ही बड़े स्तर पर घेराबंदी हुई। राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार बनते ही बस्तर में नक्सल रणनीति आश्चर्यजनक रूप से बदल गई। अचानक नक्सल हमले तेजी से बढ़े और संभाग के माओवादी प्रभावित क्षेत्रों से सुरक्षाबलों को लक्षित कर लगातार हमले होने लगे। राज्य सरकार ने भी सक्रियता दिखाई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही अनेक बार यह प्रतिबद्धता दर्शा चुके हैं कि नक्सलवाद को बस्तर से ही नहीं, देश से निर्मूल करना है। राज्य में नक्सलियों के खिलाफ सरकार और सुरक्षाबलों की सक्रियता दो स्तरों पर दिखी। पहला, लगातार शिविर बना कर क्षेत्र में अभियान चलाए गए और सूचना आधारित लक्षित हमलों में तेजी लाई गई। शुरू में सरकार पर दबाव देखा जा रहा था, लेकिन अब लगता है कि नक्सली परेशानी में है, उनकी कमर टूट रही है।
मारे गए नक्सलियों में सबसे महत्वपूर्ण कैडर एसजेडसीएम जोगन्ना था, जिस पर 25 लाख रुपए का नकद इनाम था। उसके खिलाफ 196 आपराधिक मामले दर्ज थे। अन्य में कंपनी नंबर 10 के डीवीसीएम मल्लेश मदकम शामिल था। मल्लेश मदकम पर 43 मामले दर्ज थे और आठ लाख रुपए का इनाम था। डीवीसीएम विनय के खिलाफ गढ़चिरौली में आठ मामले दर्ज थे और उन पर 8 लाख रुपये का नकद इनाम था। इसके अलावा, जोगन्ना की पत्नी और एसीएम दलम डॉक्टर संगीता डोगे आत्राम के सिर पर 5 लाख रुपये और सुरेश के सिर पर 8 लाख रुपये का इनाम था। पुलिस ने बताया कि बाकी पांच कैडर पर 9 लाख रुपये का इनाम था। एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि कुल मिलाकर इन उग्रवादियों पर एक राज्य में 70 लाख रुपये का इनाम था, जबकि विभिन्न राज्यों में कुल 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था। अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल से बरामद एक उत्खनन मशीन से पता चला है कि नक्सली हथियार, गोला-बारूद, राशन और विस्फोटकों के भंडारण के लिए बंकर बनाने की योजना बना रहे थे।
घटनास्थल के वीडियो और तस्वीरों से ऐसा लगता है कि नक्सली अचानक पकड़े गए क्योंकि सुरक्षा बलों ने जब उनके शिविर पर हमला किया तो वे तड़के सो रहे थे। तस्वीरों में मुठभेड़ के बाद मच्छरदानी बंधी हुई दिख रही थी और टेंट (माओवादी शिविर) बरकरार था, जिसमें राशन से भरे ड्रम और दवाओं से भरे बैग थे, जो दर्शाता है कि यह स्थान नक्सली कमांडरों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना था।
बस्तर आईजी ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि नक्सलियों की टीम नारायणपुर के अबूझमाड़ इलाके में मौजूद है। उन्होंने कहा कि 'माड़ बचाओ अभियान' के तहत, जिला रिजर्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स और विशेष कार्य बल के 900 जवानों के संयुक्त बल के साथ 29 अप्रैल की रात को काकुर-टेकेमेटा अभियान शुरू किया गया, जिसमें 60 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की गई। नारायणपुर के सोनपुर कैंप और कांकेर के छोटेबेठिया से जवान सुबह करीब 3:50 बजे टेकमेटा के जंगलों में पहुंचे और नक्सलियों को घेर लिया। उन्हें सरेंडर करने के लिए कहा। लेकिन नक्सलियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने पोजीशन ली और जवाबी फायरिंग की। इस अभियान के दौरान 30 अप्रैल को सुबह 3:50 बजे से रात 8 बजे तक भीषण गोलीबारी हुई। आईजी ने बताया कि मारे गए लोगों में महाराष्ट्र, तेलंगाना और (बस्तर) छत्तीसगढ़ के माओवादी कमांडर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना में कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ।
वहीं, तीन महिलाओं सहित दस नक्सलियों के शवों को बेस पर लाया गया, जबकि बरामद हथियारों में एक एके-47, एक मैगजीन और 26 जिंदा राउंड, एक 5.56 इंसास राइफल, दो .303 राइफल, एक .315 राइफल, एक 12 बोर राइफल, सात जिंदा राउंड, तीन मज़ल-लोडिंग राइफल और एक बैरल ग्रेनेड लांचर, चार जिंदा ग्रेनेड शेल शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अभियान के दौरान नक्सली ठिकानों पर भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, आईईडी, प्रेशर कुकर, कोडेक्स तार, कंप्यूटर, प्रिंटर, उपग्रह संचार उपकरण, एक उत्खनन मशीन, दैनिक उपयोग की वस्तुएं, नक्सली साहित्य, सौर प्लेट और बर्तन बरामद किए गए। उन्होंने बताया कि टेकेमेटा और काकुर के नजदीकी इलाकों में डीआरजी नारायणपुर, कांकेर और बीएसएफ की टीमें इलाके को सुरक्षित करने के लिए लगातार एरिया डोमिनेशन कर रही हैं। पुलिस ने कहा कि इस अभियान ने नक्सल नेतृत्व के उच्च स्तर के लोगों में भय की भावना पैदा कर दी है, क्योंकि सुरक्षा बल उनके गढ़ों के करीब पहुंच रहे हैं।
नक्सलियों पर भारी सुरक्षाबल
कांकेर जिले के छोटेबेठिया थाना क्षेत्र में बिनागुंडा एवं कोरोनार के मध्य हापाटोला के जंगल में डीआरजी एवं बीएसएफ की टीम ने नक्सलियों को घेरकर बड़ी संख्या नक्सलियों को मार गिराया। यह कार्रवाई सटीक खुफिया सूचना के आधार पर की गई। यही कारण है कि सुरक्षाबल इस आमने-सामने की लड़ाई में नक्सलियों पर हावी दिखे। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद पहली बार अब तक इतनी बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए हैं। आम तौर पर नक्सली अपने साथियों के शव साथ ले जाने में सफल रहते हैं। इसलिए हताहत नक्सलियों की संख्या का सही अनुमान लगाना संभव नहीं हो पाता था, परंतु इस बार परिस्थिति अलग थी। सुरक्षाबल योजना और तैयारी में नक्सलियों पर भारी पड़े।