बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की भर्ती को हाईकोर्ट ने किया निरस्त, शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के आवास पहुंच की अपनी आवाज बुलंद

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बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की भर्ती को हाईकोर्ट ने किया निरस्त, शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के आवास पहुंच की अपनी आवाज बुलंद

बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की भर्ती को हाईकोर्ट ने किया निरस्त, शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के आवास पहुंच की अपनी आवाज बुलंद

भीषण गर्मी के बीच अपने छोटे बच्चों को लेकर राजधानी पहुंचीं थी महिलाएं



छत्तीसगढ़ के बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की भर्ती बिलासपुर हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है।

कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि बीएड (B.ed) डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त कर उनके स्थान पर डीएड (D.ed) डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। उनका कहना है कि उन्हें 6-7 महीने ड्यूटी करते हो गए हैं। ऐसे में उनके पदों को निरस्त ना किया जाए। भर्ती को निरस्त किए जाने से उनकी परेशानी बढ़ी है। इसके बाद प्रदेश के बीएड डिग्रीधारी सहायक शिक्षक राजधानी रायपुर में शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के निवास पहुंचे थे। जशपुर , बिलासपुर , बस्तर और सरगुजा से बड़ी संख्या में सहायक शिक्षकों ने मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के आवास पहुँच कर अपनी मांगों के सन्दर्भ में अपनी आवाज बुलंद की। अपनी मांगों को लेकर महिलाएं भी इस भीषण गर्मी के बीच अपने छोटे बच्चों को लेकर राजधानी पहुंचीं हुई थीं।

शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के आवास के सामने धरने में शामिल सहायक शिक्षकों ने कहा कि नियमतः भर्ती हुई है तो हमारी मांगे जायज है, राज्य शासन हमारी मांगों को कोर्ट में मजबूती के साथ रखे। 42 दिन का समय दिया गया था हमें, हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।  गुजारिश कर रहे हैं की सेवा बहाल किया जाए। हमें न्याय दिलाएं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य शासन सुप्रीम कोर्ट में हमारी बात मजबूती से रखे, हमारा पक्ष रखे ताकि हमें न्याय मिल सके। 

बता दें कि डीएड  डिग्रीधारी अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। डीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों का कहना है कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का हक उनका है। बीएड डिग्रीधारियों को हायर सेकंडरी के छात्रों को पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे में ये नियमों के खिलाफ हैं।

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