बड़ी कार्रवाई बस्तर के जगदलपुर में फॉरेस्ट विभाग के कार्यालय को किया गया सील, मुआवजा की राशि समय पर नहीं देने पर हुई कार्रवाई
बस्तर जिला सत्र न्यायालय के आदेश के बाद हुई बस्तर वन मंडल अधिकारी के दफ्तर पर ताला लगाने की कार्रवाई
बस्तर में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही देखने को मिल रही है।बस्तर के जगदलपुर में फॉरेस्ट विभाग के कार्यालय को सोमवार को सील कर दिया गया। इस कार्रवाई से डीएफओ समेत ऑफिस के अधिकारी कर्मचारी हक्के-बक्के रह गए। दरअसल वर्ष 2021 में नेशनल हाईवे 30 पर फॉरेस्ट विभाग की एक गाड़ी से भनपुरी सोनारपाल निवासी कमल कश्यप की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उसकी पत्नी सरोज कश्यप ने क्षतिपूर्ति प्राप्ति के लिए फॉरेस्ट विभाग के खिलाफ जगदलपुर न्यायालय में दावा पेश कर मुआवजे की मांग की गई थी। मृतक पत्नी, दो बच्चों और माता-पिता का अकेला वारिस था। मगर विभाग ने शासन को पत्र लिखने व उच्च न्यायालय में जाने का हवाला देकर मुआवजा राशि नहीं दी जा रही थी। अंत में 6 मई 2024 को जगदलपुर न्यायालय ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए डीएफओ कार्यालय को सील कर कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया।
बस्तर जिला सत्र न्यायालय के आदेश के बाद बस्तर वन मंडल अधिकारी के दफ्तर पर ताला लगाने की कार्रवाई हुई। देर शाम तक जिला सत्र न्यायालय के कर्मचारी और पक्षकार के वकील की मौजूदगी में वन विभाग के दफ्तर में कुर्की जारी रही। कार्यालय में वन मंडल अधिकारी की मौजूदगी के बीच आखिरकार देर शाम तक प्रार्थी के नाम पर चेक जारी नहीं किए जाने की वजह से कार्यालय को लॉक कर दिया गया।
इस केस में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद तृतीय अपर दावा अधिकरण जगदलपुर न्यायाधीश ने प्रार्थी के पक्ष में 1 करोड़ 84 लाख 16 हजार तीन सौ पैंतालीस रुपए के करीब रकम और ब्याज सहित मुआवजे के तौर पर देने का आदेश जारी किया। फरवरी 2021 में जारी आदेश के बाद भी भुगतान नहीं मिलने पर पीड़ित पक्ष के वकील ने रकम वसूली के लिए आवेदन फाइल किया। जिसके बाद 6 मई 2023 को पीड़ित पक्ष के पक्ष में रकम वसूली के लिए कुर्की की कार्रवाई शुरू हुई। कुर्की की कार्रवाई करने टीम जगदलपुर वन विभाग के दफ्तर पहुंची। "डीएफओ कार्यालय के अलावा इस राशि की वसूली कलेक्ट्रेट कार्यालय से भी की जानी है। संभावित है कि कलेक्ट्रेट कार्यालय में भी कुर्की की कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ित पक्ष के वकील नितिन जैन के अनुसार, लगातार वन विभाग राशि देने में आनाकानी और विभागीय चर्चा करता रहा। राशि देने में टाल मटोल करता रहा। कभी आचार संहिता का बहाना बना बनाया जाता तो कभी हाई कोर्ट जाने की दलील दी जा रही थी, मगर जगदलपुर न्यायालय ने इस पर कड़ा विरोध करते हुए कार्यालय सील कर दिया। अब कार्यालय की सामग्री को बेचकर पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाएग। इधर डीएफओ उत्तम कुमार गुप्ता का कहना है कि, न्यायालय ने 9 मई तक का समय दिया था। 3 दिन पूर्व कार्यालय सील कर दिया गया हमारे द्वारा शासन को पत्र लिखा गया है क्योंकि आचार संहिता 4 जून तक प्रभावशील रहेगा तब तक प्रकरण में कुछ किया नहीं जा सकता। हालांकि हमारे द्वारा शासन को राशि आवंटित करने हेतु पत्राचार किया गया है।