खेत मे धान रोपाई के दौरान आकाशीय विद्युत की चपेट में आई 7 महिला मजदूर, दो युवति की मौत, दो की हालत गंभीर, तीन सामान्य
24 घंटे इमरजेंसी की सुविधा का दावा करना हुवा खोखला साबित
पत्थलगांव थानाक्षेत्र में आकाशीय बिजली गिरने से 2 युवती की मौत और 5 मजदूर झुलस गए। पत्थलगांव के ग्राम चंदागढ़ में खेत मे रोपा लगाने के दौरान हुवा हादसा, घायलों को अस्पताल में कराया गया भर्ती। पुलिस व प्रशासन मौके पर रहे मुस्तैद।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जशपुर जिले के पत्थलगांव थानाक्षेत्र में ग्राम चंदागढ़ में आज शुक्रवार के दोपहर को हुवे गांव में बारिश के बीच महिलाये सुरेश पैंकरा नामक किसान के खेत में धान की रोपाई कर रही थीं, इस दौरान अचानक आकाशीय बिजली गिरी, जिससे खेत मे काम कर रही सभी महिलाये झुलस गईं। सूचना मिलने पर स्थानीय लोगों ने निजी वाहन की व्यवस्था कर तुरंत घायलों को तमता के प्राथमिक अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका उपचार शुरू किया गया। गम्भीर हालत की वजह से 4 महिलाओ को ग्रामीणों द्वारा निजी वाहन से पत्थलगांव के सिविल अस्पताल में लाया गया जहा पहुंचते ही दो मजदूर श्रद्धा यादव ,पति रंजीत यादव 22 वर्ष, राखी पैंकरा पिता गणेश राम पैंकरा, 22 वर्ष की मौत हो गई । वही 3 महिला को तमता के स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराया जा रहा है उनकी स्थिति बेहतर बनी हुई है। वहीं 2 महिलाएं पत्थलगांव में भर्ती है।
24 घंटे इमरजेंसी की सुविधा का दावा करना हुवा खोखला साबित
पत्थलगांव के सिविल अस्पताल में यूं तो 24 घंटे इमरजेंसी सेवा देने का दावा किया जाता है, लेकिन इसके पीछे की हकीकत बेहद खतरनाक है। इमरजेंसी वार्ड में रात हो या दिन के समय विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिलते। सच तो यह है कि इमरजेंसी के नाम पर अस्पताल प्रबंधन किसी भी डॉक्टर की तैनाती रात में कर देते हैं। ऐसे डॉक्टर मरहम पट्टी तो ठीक, लेकिन गंभीर मरीज अस्पताल में आने पर इंजेक्शन और ग्लूकोज चढ़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पाते। और ईलाज के लिये पहुंचे मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है, जिसमे कई तो वहां पहुंचने से पहले ही अपना दम तोड़ देते है।
वहीं यहां के सरकारी अस्पताल में कई आधुनिक मशीनें भी हैं पर इसका उपयोग नहीं हो पाता। अधिकतर देखा जाता है कि अस्पताल के आसपास ही अस्पताल के ही कर्मचारियों के रिश्तेदारों या उन्हीं के लैब एवम क्लिनिक खुले हुए हैं। जहां उन्हें इस जांच की दोगुनी कीमत मिल जाती है। लगता है यही कारण है कि वे मरीज का अस्पताल में इलाज न कर अपने निजी स्थान पर भेज देते हैं और ईलाज के नाम पर मोटी कमाई कर लेते है।