छत्तीसगढ़ में जल्द ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की हो सकती है घोषणा
निर्वाचन आयोग की तरफ से पूरी कर ली गई है तैयारी, विधानसभा के शीत सत्र के ठीक बाद राज्य में लग सकती है आदर्श चुनाव आचार संहिता
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जल्द ही नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की घोषणा हो सकती है। चुनाव का एलान कभी भी हो सकता है। इसे लेकर निर्वाचन आयोग की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है। सब कुछ ठीक रहा तो 21 दिसंबर या उससे पहले ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो सकती है।
सियासी गलियार में इस बात की खूब चर्चा है कि प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव जनवरी और फरवरी में कराये जा सकते है। नगरीय निकाय चुनाव जनवरी तक और पंचायत चुनाव की प्रक्रिया फरवरी के पहले हफ्ते तक पूरी हो सकती है। सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा के शीत सत्र के ठीक बाद 21 दिसंबर को राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लग सकती है।
विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 से 20 दिसंबर तक लगेंगे। ऐसे में 21 दिसंबर तक नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तारीख तारीखें घोषित हो सकती हैं। पांच से छह चरणों में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराए के संकेत मिल रहे हैं। नगरीय निकाय चुनाव के लिये जनवरी में वोटिंग कराये जाएंगे। चुनाव प्रक्रिया जनवरी से शुरू हो सकती है। फरवरी के पहले या दूसरे हफ्ते तक पंचायत चुनाव की प्रक्रिया भी पूरी हो सकती है।
वर्तमान में प्रदेश में 14 नगर निगम, 52 नगर पालिका परिषद और 123 नगर पंचायत हैं। महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष और वार्डों की आरक्षण की कवायद शुरू कर दी गई है। निकाय चुनाव कों लिए वार्डों का आरक्षण जिला स्तर पर कलेक्टर करेंगे। वहीं, महापौर और अध्यक्षों के चुनाव के लिए आरक्षण राजधानी रायपुर में किया जाएगा। 15 दिसंबर तक आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके बाद कभी भी आचार संहिता लग सकती है।
नगर पालिक निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायतों के वार्डों की कार्यवाही के लिए संबंधित जिला कलेक्टरों को विहित प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सभी जिला कलेक्टरों को चुनाव को लेकर प्रशिक्षण दिया। इससे पहले निकाय चुनाव को लेकर नियमों को भी प्रकाशित किया जा चुका है।
नगरीय निकाय चुनाव में महापौर, वार्ड और अध्यक्ष पद के दावेदार लंबे समय से आरक्षण का इंतजार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आरक्षण का फैसला होने के बाद दावेदार अपनी-अपनी पार्टी के सामने उम्मीदवार बनने का दावा पेश करेंगे। अभी महापौर और अध्यक्ष का आरक्षण तय नहीं है इस कारण दावेदार जोर नहीं लगा रहे हैं।
इस बार जनता चुनेगी महापौर
इस बार राज्य में जनता महापौर चुनेगी। राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने भूपेश बघेल सरकार के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होता था। इस बार जनता सीधे अपना मेयर चुनेगी। निकायों को लेकर जब 11 दिसंबर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा। इसके तीन से चार दिन बाद वार्ड वार आबादी के अनुसार आरक्षण की सूची आएगी।
कैबिनेट बैठक में सरकार ने निकायों में 50 प्रतिशत आबादी के हिसाब से OBC आरक्षण देने का फैसला लिया था। अब इसे राज्यपाल की सहमति से राजपत्र में शामिल कर दिया गया है। इससे पहले OBC को 25 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जाती रही है। ये शर्त भी रखी गई है कि जिन इलाकों में ST-SC का जहां पहले से ही आरक्षण 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा है तो वहां OBC को आरक्षित नहीं किया जाएगा।
अलग-अलग चरणों में होगा चुनाव, EVM के साथ बैलेट पेपर भी
2019 में हुआ पिछला नगर निगम चुनाव बैलेट पेपर से हुआ था। इस बार चर्चा है कि नगर निगम, पालिका और पंचायत ये तीनों के चुनाव एक साथ होंगे। एक साथ इनका ऐलान होगा। हालांकि ये अलग-अलग चरण में होंगे।
शहरी चुनाव यानी की नगर निगम के चुनावों में EVM और पंचायत के चुनावों में बैलेट पेपर के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है। बैलेट पेपर की जरूरत इस वजह से पड़ सकती है, क्योंकि ज्यादा उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे।
पिछली बार निकाय चुनाव में मतदाताओं ने एक-एक वोट डाले थे, लेकिन इस बार पार्षद, मेयर और अध्यक्ष के लिए अलग-अलग वोट डाले जाएंगे।