आदिवासी जमीन की बिना कलेक्टर की अनुमति के रजिस्ट्री करने का मामला पकड़ा तूल

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आदिवासी जमीन की बिना कलेक्टर की अनुमति के रजिस्ट्री करने का मामला पकड़ा तूल

आदिवासी जमीन की बिना कलेक्टर की अनुमति के रजिस्ट्री करने का मामला पकड़ा तूल 

उप पंजीयक संघ का दावा है कि डिप्टी रजिस्ट्रार की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने कलेक्टर के आदेश का किया पालन

बिलासपुर कमिश्नर एक्शन लेते हुए डिप्टी रजिस्ट्रार को किया सस्पेंड

बिलासपुर कमिश्नर क्या सक्ती कलेक्टर के खिलाफ इस मामले में कार्रवाई करने राज्य सरकार को लिखेंगे पत्र



आदिवासी जमीन की बिना कलेक्टर की अनुमति के रजिस्ट्री करने का मामला तूल न पकड़ता अगर बिलासपुर कमिश्नर इस केस में एक्शन लेते हुए डिप्टी रजिस्ट्रार को सस्पेंड नहीं किए होते। बिलासपुर संभाग के संभाग आयुक्त महादेव कावरे ने सक्ती के तत्कालीन उप पंजीयक एवं वर्तमान बिलासपुर उप पंजीयक प्रतीक खेमुका को निलंबित कर दिया है। 

सक्ती जिले में ट्राईबल लैंड केस में जो हुआ, वह तो एक बानगी है। छत्तीसगढ़ के अधिकांश कलेक्टर सालों से ये चूक कर रहे हैं। फर्क इतना ही है कि कोई पैसा लेकर आंखें मूंद ले रहा तो कुछ को रीडर घूमा दे रहे हैं। जबकि, भू-राजस्व संहिता 165 में यह क्लियर है कि आदिवासी की कोई भी जमीन कलेक्टर की अनुमति के बगैर नहीं बेची जा सकती। मगर छत्तीसगढ़ में डायवर्टेड आदिवासी जमीन को कलेक्टर लिख कर दे दे रहे हैं...इसमें कलेक्टर की अनुमति की जरूरत नहीं है। सक्ती कलेक्टर ने भी ऐसा ही किया। दरअसल, सिस्टम की विडंबना यह है कि सम्मानजनक चढ़ावा न चढ़ाने पर कलेक्टर की अनुमति पाने चप्पल घिस जाएंगे। और पैसे दे दिए तो काम जल्द हो जा रहा।

वही पूरे प्रदेश की बात करें तो हर जिलो में आदिवासी के भूमियों पर कब्जा कर 170 ख का गलत इस्तेमाल कर उनके जमीन को गैर आदिवासी बना दिया जाता है। इन सब खेल में सम्बंधित विभाग के ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियों कर्मचारियों का हिस्सा बटा रहता है। क्योंकि इनके रहमोकरम के बिना यह सम्भव ही नही होता। शहरी क्षेत्रों के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी रईस वर्ग के लोग इस तरह का कृत्य करते नजर आते है, कभी अपने नाम पर तो कभी अपने स्टॉप के नाम पर करवा लेते है। सुनने को मिलता है कि लाखों की भूमि को कभी अपने दम दिखा तो कभी उन्हें डरवाकर ओने पौने दाम पर हड़प लिया जाता है। छोटे वर्ग के लोग आखिर कब तक ऐसे लोगों के चुंगल में फंसते रहेंगे। 



उप पंजीयक संघ का दावा है कि प्रतीक खेमुका की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने कलेक्टर के आदेश का पालन करते हुए रजिस्ट्री की, एक आदिवासी डायवर्टेड भूमि के रजिस्ट्री के अनुमति के लिए कलेक्टर के पास आवेदन लगाया गया था, कलेक्टर ने यह लिखकर आवेदन खारिज कर दिया कि “डायवर्टेड भूमि के मामले में अनुमति की जरूरत नहीं होती है। डायवर्टेड भूमि के मामले में 165 (6) लागू नहीं होता है.”। मगर प्रश्न उठता है कि अगर कलेक्टर लिखकर देगा कि डायवर्टेड लैंड की अनुमति की जरूरत नहीं तो डिप्टी रजिस्ट्रार क्या करेगा। सवाल यह भी उठता है कि बिलासपुर कमिश्नर क्या सक्ती कलेक्टर के खिलाफ इस मामले में कार्रवाई करने राज्य सरकार को पत्र लिखेंगे।

संघ का ये भी दावा है कि राज्य भर में अनेक आवेदन डायवर्टेड आदिवासी भूमि के बिक्री के अनुमति के लिए लगता है, तो कलेक्टर ही लिख कर देते हैं कि इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है। संघ ने ये भी दावा किया है कि उप पंजीयक द्वारा इस रजिस्ट्री में किसी भी रजिस्ट्री नियम या स्टांप नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। उप पंजीयक ने अपने पदीय कर्तव्यों का विधि पूर्वक निर्वहन किया।

उधर, रजिस्ट्री अधिकारी के निलंबन के विरोध में छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक संघ खड़ा हो गया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार के आदेश के नियमों के खिलाफ यह फैसला दिया गया है। संघ ने कहा है कि पूरे छत्तीसगढ़ के कलेक्टर डायवर्टेड ट्राईबल लैंड को अनुमति देने से पल्ला झाड़ ले रहे हैं। तो क्या कलेक्टरों को सस्पेंड किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के कलेक्टरों ने पिछले डेढ़ दशक से हजारों की संख्या में ऐसा खेला किया है। राज्य भर में अनेक आवेदन डायवर्टेड आदिवासी भूमि की बिक्री के अनुमति के लिए लगते हैं, और कलेक्टर ही लिख कर देते हैं कि इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है। क्या सरकार इन सभी कलेक्टर को भी सस्पेंड करेगी।

आयुक्त बिलासपुर द्वारा उप पंजीयक को निलंबन के पूर्व कोई सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया। छत्तीसगढ़ पंजीयन मुद्रांक संघ संभाग आयुक्त बिलासपुर के इस कृत्य की कड़ी निंदा करता है। आयुक्त बिलासपुर का यह निलंबन आदेश एक कर्तव्यनिष्ठ शासकीय अधिकारी को हतोत्साहित, प्रताड़ित और भयभीत करने वाला है। कलेक्टर के आदेश का पालन करने पर कमिश्नर ने उप पंजीयक को निलंबित कर दिया, जिसका छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक संघ कड़ी निंदा करता है। संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र श्रीवास ने चेतावनी दी है कि सोमवार से पहले अगर प्रतीक खेमूका का निलंबन आदेश वापस लेने की मांग की है। वरना, संघ सोमवार से विरोध स्वरूप सामूहिक अवकाश एवं कड़े कदम उठाने के लिए बाध्य होगा।।



कलेक्टर के माध्यम से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने 10 बिंदुओं पर सौपा था ज्ञापन 

राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री छग, राजस्व मंत्री छत्तीसगढ़ के नाम कलेक्टर के माध्यम से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर सिंह मरकाम विधायक व पार्टी पदाधिकारियों की उपस्थिति में जनपद पंचायत सक्ती के अंतर्गत गैर आदिवासी व्यक्ति के द्वारा क्रय किये गये आदिवासी भूमि की रजिस्ट्री शून्य करने व जनपद पंचायत सक्ति को विशेष अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग करने के साथ साथ 10 बिंदुओं पर ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सक्ती जिला अंतर्गत जनपद पंचायत सक्ती में संवैधानिक नियमों के विपरीत आदिवासी भूमि खरीदी की जा रही है, जो कि आदिवासी वर्ग के हित में नहीं है। इसी तारतम्य में तहत्तील सक्ती वि. खं. एवं जिला सक्ती के खसरा नं. 14/3 कुल रकबा 0.12 एकड़/0.049 हेक्टेयर (परिवर्तित) आदिवासी वर्ग के व्यक्ति जानकी बाई बेवा गणेश राम हिमांशु उर्फ सोनु पिता-गणेशराम वगै. निवासी ग्राम बोरदा पोस्ट-जाजंग तहसील सक्ती जिला सक्ती छ.ग. के हक स्वामित्व कि जमीन को तत्कालिन उप-पंजीयक अधिकारी प्रतीक खेमुका के द्वारा गैर आदिवासी वर्ग के व्यक्ति के नाम रजिस्ट्री कर दिया गया है।

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