ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्का की खेती से दोगुना लाभ, कम लागत, अधिक मुनाफा और जल संरक्षण में मिली सफलता

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ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्का की खेती से दोगुना लाभ, कम लागत, अधिक मुनाफा और जल संरक्षण में मिली सफलता

ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्का की खेती से दोगुना लाभ, कम लागत, अधिक मुनाफा और जल संरक्षण में मिली सफलता



रायपुर। जल संरक्षण और किसानों की आय बढ़ाने के लिए संचालित पानी बचाओ अभियान का सकारात्मक असर अब बालोद जिले में दिखने लगा है। डौंडी विकासखंड के ग्राम छिंदगांव के आदिवासी कृषक श्रवण कुमार के लिए यह अभियान आर्थिक रूप से अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ। पूर्व में ग्रीष्मकालीन धान की खेती करने वाले श्रवण कुमार ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग के मार्गदर्शन से इस बार अपनी 02 एकड़ भूमि में मक्का की खेती की। इससे उन्हें 88,200 रुपये की शुद्ध आमदनी हुई, जो धान की तुलना में दोगुनी है।

किसान श्रवण कुमार ने बताया कि मक्का उत्पादन पर कुल 11,800 रुपये का खर्च आया, जिसमें खाद, बीज और अन्य व्यवस्थाएं शामिल थीं। वहीं, मक्का की बिक्री से 1 लाख रुपये की आमदनी हुई, जिससे उन्हें 88,200 रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। इसके विपरीत, गर्मी के मौसम में धान की खेती में ज्यादा लागत और पानी अधिक लगता है और उसकी तुलना में लाभ कम होता है।

मक्के की खेती से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई, बल्कि पानी की खपत भी अत्यंत कम रही, जिससे भूजल संरक्षण में भी मदद मिली। इसके अलावा, मक्के के अवशेष खेतों में सड़ाने से मिट्टी की उर्वरता में सुधार हुआ, जिससे खरीफ सीजन में धान का उत्पादन प्रति एकड़ 3-4 क्विंटल बढ़ गया। इस सफलता से प्रेरित होकर श्रवण कुमार ने इस वर्ष भी रबी सीजन में मक्का की खेती करने का निर्णय लिया है।

किसान श्रवण कुमार ने जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में संचालित पानी बचाओ अभियान की सराहना करते हुए कहा कि प्रशासन की प्रेरणा से वे धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती के लिए प्रेरित हुए हैं, जिसका लाभ भी मिला है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति होगी, बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।

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