पत्थलगांव थानाक्षेत्र में दो अलग-अलग स्थानों पर बाइक सवारो के दुघर्टना होने के कारण 5 घायल एवम 1 की मौत
छोटी मोटी दुर्घटना में है ये हाल, तो कुछ बड़े हादसे में क्या होगा इस अस्पताल का हाल..?
पत्थलगांव। पत्थलगांव थानाक्षेत्र अंतर्गत बीती रात करीब 9.30 बजे दो अलग-अलग स्थानों पर बाइक सवारो के दुघर्टना होने के कारण 5 घायल एवम 1 की मौत हो गई है। घायलों को परिजनों के मदद से पत्थलगांव के सिविल अस्पताल लाया गया उनका इलाज किया गया।स्थिति को देखते हुवे चिकित्सकों ने दो युवतियों को बेहतर इलाज हेतु अम्बिकापुर रेफर कर दिया।
मिली जानकारी के मुताबिक पहली घटना ग्राम बूढ़ाडाँड़ के पास बताई जा रही है जहां मालती राठिया उम्र 20 वर्ष, नीलम राठिया उम्र 21 वर्ष, कौशल राठिया उम्र 20 वर्ष अपनी अपाचे बाइक से पत्थलगांव से अपने घर शिवपुर की ओर जा रहे थे तभी एक मोड़ के पास उनकी बाइक अनियंत्रित होकर सड़क किनारे स्थित जामुन के पेड़ से टकरा गई इस हादसे में चालक कौशल राठिया की मौत हो गई, एवम घायल नीलम व मालती की स्थिति को देखते हुवे चिकित्सकों ने उन्हें अम्बिकापुर रेफर कर दिया गया है। कौशल के मौत की खबर सुनते ही परिजन और परिचित अस्पताल पहुंचे।
दूसरी घटना ग्राम जामजूनवानी के पास बताई जा रही है जहां एलबर्ड कुजूर, अंकित किंडो औऱ प्रेणना किंडो स्प्लेंडर बाइक में सवार होकर बरोखी में जाने के लिए सुखरापारा वाहन बुक करने आये थे। और सुखरापारा से पुडापानी घर जा रहे थे तभी मोड़ के पास उनकी बाइक अनियंत्रित हो गई और तीनों सड़क में गिरकर घायल हो गये। बाइक चालक को सीने में गम्भीर चोट लगी है वहीं अन्य दो को भी हल्की चोट लगी है जिनका इलाज पत्थलगांव के सिविल अस्पताल में जारी है।
छोटी मोटी दुर्घटना में है ये हाल तो कुछ बड़े हादसे में क्या होगा इस अस्पताल का हाल
बता दे कि चिकित्सा के क्षेत्र में सरकार के किए गए अथक प्रयास के बावजूद पूरी चिकित्सा व्यवस्था चरमराई सी नजर आ रही है। शासन प्रशासन के भरसक प्रयास केवल दिखावा मात्र बनकर रह गया है। शासकीय अस्पताल में मरीज इलाज के लिए परेशान नजर आते दिखाई पड़ते है।
बीती रात हुवे घटना ने पत्थलगांव के बने इस बड़े अस्पताल की बदहाल व्यवस्था एवम स्वास्थ्य सुविधाओं को आइना दिखा कर छोड़ दिया है। 2 बाइक सवारो में घायलो को अस्पताल लाया गया जहां मात्र 1 चिकित्सक 2 नर्स उपस्थित नजर आये, उनके द्वारा ही उनका प्राथमिक उपचार किया गया। पूछने पर अलग अलग वार्डो में स्टॉफ का होना बताया गया। वही कीटनाशक के सेवन से अस्पताल में भर्ती मरीज व घायलो के इलाज के लिये कोई विशेष स्टॉफ व सुविधा नजर नही आई। ऐसे में एक बात सामने आती है जहाँ ऐसे छोटे मोटे दुर्घटना में यहाँ का यह हाल बना हुआ है तो कभी बड़े हादसे में क्या यह अस्पताल में घायलों या मरीजों को बेहतर ईलाज मुहैया कराने में सक्षम होगा.?
ऐसे हालात में आम आदमी सरकार की बेहतर ईलाज एवम स्वास्थ्य सम्बंधित दावों को क्या समझे, जब इस प्रकार के छोटी मोटी घटना दुर्घटना में ये है हाल तो क्या इमरजेंसी जैसे हालातों में क्या व्यक्ति की जान बचा पाना इनके भरोसे के लायक है.? सिविल अस्पताल के ऐसे कृत्य सरकार के इन खोखले दावे को भी सामने लाते नजर आती है। नये कॉलेज, अस्पताल बनाने से नही बल्कि यहाँ जो बने है उन अस्पतालों पर सुविधा व ईलाज को बेहतर बनाना जरूरी है।