कमला राइस मिलर विवाद:- एक पक्ष ने कराया अपहरण और मारपीट का मामला दर्ज, अब दूसरे पक्ष ने कराया धोखाधड़ी का मामला दर्ज
विवाद अब सिर्फ व्यापारिक रहा नहीं ये समाजिक प्रतिष्ठा का बना प्रश्न
पत्थलगांव । पत्थलगांव के चर्चित कमला राइस मिल विवाद में जहां पहले अपहरण और मारपीट का मामला दर्ज हुआ था, अब वही मामला उलटी दिशा में घूम गया है। राइस मिल संचालक परशुराम अग्रवाल के मुंशी ने झगरपुर, लैलूंगा के मुकेश अग्रवाल, यश अग्रवाल व अन्य के खिलाफ BNS की धारा 318(4) के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।इससे पहले झगरपुर, लैलूंगा वालों ने कमला राइस मिल संचालक परशु अग्रवाल, आयुष अग्रवाल और उनके भतीजे श्रीराम कुलर वाला के खिलाफ धारा 140(3), 296, 115(2), 351(3) के तहत अपराध दर्ज कराया था।
5 लाख का ‘वजन’ घोटाला!
रिपोर्ट के अनुसार, मुंशी ने थाने में बताया कि जुलाई 2024 से 11 अप्रैल 2025 तक मुकेश अग्रवाल व उसका बेटा यश अग्रवाल बार-बार कमला राइस मिल में चावल बेचने आते थे। लेकिन कांटा (तौल) के समय चुपके से पीकप के पीछे मजदूरों को बैठाकर वजन बढ़ाते थे — और इस तरीके से लगभग 5 लाख रुपये का नुकसान राइस मिल को पहुंचाया गया।
11 अप्रैल को भी ऐसा ही कुछ हुआ। दो पीकपों में 5270 किलो चावल की तौल कर 1,52,830 रुपये नगद दिए गए, लेकिन बाद में पुनः कांटा करने पर प्रत्येक वाहन में 400-400 किलो वजन कम पाया गया। पूछताछ में मुकेश ने माना कि "कांटे के वक्त कुछ लोग पीकप में बैठा दिए थे।"
पूजा में बुलाया, पैसा लौटा, फिर भी FIR!
घटना के दिन परशुराम अग्रवाल के घर कुलदेवी का पूजन था। उन्होंने मुकेश व यश को घर बुलाया और नुकसान के बदले 3 लाख रुपये मांगने की बात कही। मुकेश ने सहमति जताई और अपने परिचित हरिराम पूनमचंद मुकेश के यहां से 3 लाख दिलवा दिए। इसके पश्चात शाम को विवाद के दौरान समाज की बैठक में अपनी गलती मानते हुए सबके सामने राजीनामा करने के उपरांत परशुराम ने उन्हें 3 लाख रुपये की राशि लौटा दी गई। बता दे कि समाज के वरिष्ठों ने भी समझौते को मंजूरी दी।
राशि लौटाने के कुछ ही घंटों बाद मुकेश अग्रवाल ने परशुराम और उनके बेटे पर अपहरण व मारपीट का केस दर्ज करा दिया। अब सप्ताह भर बाद धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध मामला सामने आने पर लोगों को हैरान कर दिया है।
“समझौते के बाद भी मुकदमा?”
अग्रवाल समाज अब दो धड़ों में बंटता दिख रहा है। एक ओर पत्थलगांव के परशुराम अग्रवाल — जो समाज के अध्यक्ष हैं, वहीं दूसरी ओर लैलूंगा के मुकेश के भाई समाज सचिव। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब समाज ने मामले का निपटारा कर दिया था, तो फिर कानूनी कार्रवाई का रास्ता क्यों चुना गया? हालांकि इस मामले में पिटाई का एक वीडियो भी सामने आ चुका है।
अब निगाहें प्रशासन और समाज दोनों पर
कमला राइस मिल विवाद अब सिर्फ व्यापारिक नहीं रहा, ये समाजिक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। समाज के बीच खलबली मच गई है, और अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर कौन है असली पीड़ित? और क्या चावल के साथ-साथ सच भी तौल में भारी-हल्का हो रहा है?”