छत्तीसगढ़ राज्य के पांचों संभागों बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर और सरगुजा में होगी वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत

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छत्तीसगढ़ राज्य के पांचों संभागों बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर और सरगुजा में होगी वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत

छत्तीसगढ़ राज्य के पांचों संभागों बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर और सरगुजा में होगी वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत

हाई कोर्ट ने ट्रैफिक चालान मामलों की सुनवाई को आसान और डिजिटल बनाने की दिशा में उठाया बड़ा कदम



छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ट्रैफिक चालान मामलों की सुनवाई को आसान और डिजिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राज्य के पांचों संभागों बस्तर, बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर और सरगुजा में वर्चुअल कोर्ट की शुरुआत की जा रही है। इन वर्चुअल कोर्ट में सुनवाई की जिम्मेदारी संबंधित जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सीजेएम को सौंपी गई है।

हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनीष कुमार ठाकुर के हस्ताक्षर से मंगलवार को जारी आदेश के मुताबिक बस्तर संभाग की वर्चुअल कोर्ट जगदलपुर में संचालित होगी, जो बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, सुकमा आदि जिलों के चालान मामलों की सुनवाई करेगी। इसी तरह बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर और अंबिकापुर में स्थापित कोर्ट अपने-अपने संभागीय जिलों को कवर करेंगी।

बिलासपुर संभाग में सीजेएम की कोर्ट में बिलासपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जांजगीर-चांपा, सक्ती, कोरबा, मुंगेली, रायगढ़, सारागढ़-बिलाईगढ़ के ट्रैफिक चालान के केस सुने जाएंगे।

इस व्यवस्था से वाहन चालकों को अब कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। ऑनलाइन माध्यम से ही चालान की जानकारी, सुनवाई और भुगतान संभव होगा। इससे समय की बचत होगी और कोर्ट पर बोझ भी कम होगा। यह पहल छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रणाली के डिजिटलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। आम जनता को न्याय तक आसान और तेज पहुंच दिलाने की दिशा में यह एक कारगर पहल होगी।

इस तरह काम करेगा वर्चुअल कोर्ट : इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित किया जाएगा। वाहन चालक अपने चालान की जानकारी संबंधित पोर्टल या एप पर प्राप्त कर सकेंगे। इसके बाद वे ई-हियरिंग के माध्यम से जुड़कर या सीधे ऑनलाइन सुनवाई के जरिए केस निपटा सकते हैं।

जनता को मिलेगा बड़ा फायदा : वर्चुअल कोर्ट की यह पहल न्याय प्रक्रिया को आम लोगों के लिए और अधिक सुलभ बनाएगी। ट्रैफिक से जुड़े छोटे-छोटे मामलों में अब लोगों को दिनभर की छुट्टी लेकर कोर्ट नहीं जाना होगा। विशेषकर दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।




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