छत्तीसगढ़ प्रदेश में हर साल 1000 करोड़ रुपए के जीएसटी की होती है चोरी

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छत्तीसगढ़ प्रदेश में हर साल 1000 करोड़ रुपए के जीएसटी की होती है चोरी

छत्तीसगढ़ प्रदेश में हर साल 1000 करोड़ रुपए के जीएसटी की होती है चोरी

ग्राहको से लिया जाता है GST, सरकारी खाते में इसे जमा करते समय करते है दस्तावेजों में हेराफेरी

किसी भी तरह की हेराफेरी के इनपुट मिलने पर सर्वे और छापेमारी के निर्देश



रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश में हर साल 1000 करोड़ रुपए के जीएसटी की चोरी होती है। इसके लिए लेनदेन और स्टॉक में हेराफेरी के साथ कच्चे में कारोबार होता है। खरीदारी के दौरान ग्राहकों से जीएसटी लिया जाता है लेकिन, सरकारी खाते में इसे जमा करते समय दस्तावेजों में हेराफेरी होती है।

पिछले काफी समय से चल रहे इस खेल को देखते हुए राज्य सरकार ऑनलाइन जीएसटी पोर्टल के जरिए कारोबारियों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। उक्त कारोबारियों की पहचान कर जीएसटी का हिसाब किया जा रहा है। किसी भी तरह की हेराफेरी के इनपुट मिलने पर सर्वे और छापेमारी के निर्देश दिए गए हैं।

स्टेट जीएसटी के अधिकारियों का कहना है कि जीएसटी चोरी करने के लिए कच्चे में लेनदेन कर फर्जीवाड़े का खेल हो रहा है। हालांकि अधिकांश कारोबारी नियमानुसार जीएसटी जमा कर रहे हैं। बता दें कि प्रदेश में कुल 1 लाख 90 हजार कारोबारी पंजीकृत हैं। इनमें स्टेट जीएसटी में सबसे ज्यादा 1 लाख 20 हजार और सेंट्रल जीएसटी में 70,000 कारोबारी हैं।

 बिल ही नहीं देते

अधिकांश होटल, कैटरिंग, डेकोरेशन, मैरिज पैलेस संचालक आयोजन के बाद बिल देने में कोताही बरतते हैं। जबकि पंजीकृत कारोबारी को 200 रुपए के अधिक पर पक्का बिल दिया जाना अनिवार्य है। इसमें सीजीएसटी और एसजीएसटी का उल्लेख किया जाना है लेकिन, सर्विस के बाद बिल में इसका ब्यौरा तक नहीं रहता है। जबकि इसकी वसूली होती है। दिनभर में हुए कारोबार और अर्जित आय का पक्का हिसाब अधिकांश कारोबारी नहीं करते हैं।

शुरू होगी कार्रवाई

जीएसटी चोरी करने के इनपुट मिलने पर अंबिकापुर और नारायणपुर में पिछले महीने दो बड़े फर्मों में सर्वे किया गया। इस दौरान जीएसटी चोरी पकड़ी गई थी। इसे लेकर हंगामा हुआ था। फर्म को सील करने और कार्रवाई की चेतावनी देने के बाद बकाया राशि कारोबारियों द्वारा जमा कराई गई थी।

इस तरह होता है खेल

कारोबारी दूसरे राज्यों के सामान की खरीदी कर वास्तविक खरीदी की राशि का कम मूल्यांकन करते हैं। साथ ही विक्रय करते समय कई गुना ज्यादा कीमत लेते हैं। इसकी बीच के अंतर की राशि तकनीकी रूप से हेराफेरी करने पुराने स्टॉक और कच्चे में हिसाब रखा जाता है। इस तरह का खेल लोहा, सीमेंट, ज्वेलरी, प्लायवुड सेनेटरी, स्टील, ग्रोसरी सहित अन्य में किया जाता है।

त्योहारी सीजन के शुरू होने पर कारोबारी गतिविधियों के बढ़ते ही जीएसटी की टीम सक्रिय हो गई है। हेराफेरी करने वालों के ठिकानों में छापेमारी शुरू होगी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि 1 अगस्त से जीएसटी चोरी करने वालों के ठिकानों में सर्वे और छापेमारी होगी। बता दें कि स्टेट जीएसटी को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 27000 करोड़ रुपए का लक्ष्य दिया गया है।


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