प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत बनने वाले लाखों रुपये की गौठाने पड़े सुने, छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की महत्वकांक्षी योजना का पंचायतों में बुरा हाल.

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प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत बनने वाले लाखों रुपये की गौठाने पड़े सुने, छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की महत्वकांक्षी योजना का पंचायतों में बुरा हाल.

 प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत बनने वाले लाखों रुपये की गौठाने पड़े सुने, छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार की महत्वकांक्षी योजना का पंचायतों में बुरा हाल.

कागजों पर ही जोर शोर से होता है दिखावा, जमीनी हकीकत अलग, जानवर तो दूर इंसान भी दिखते है बमुश्किल से.


विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव

पत्थलगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत पंचायतों में बनने वाले लाखों रुपये की गौठाने सुने पड़े हुवे है। सरकार की महत्वकांक्षी योजना में से एक इस योजना का पंचायतों में बुरा हाल देखने को मिलता है। ग्रामीणों की माने तो जितना जोर शोर से इस योजना की शरुआत की गई थी वो केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। पर वास्तविकता तो खाली पड़े गौठान से ही लग जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अपने इस योजना में किस तरह से फैल होते नजर आ रही है। यह तस्वीर तो जिले में बने केवल एक पंचायत का हाल बयां कर रही है, ऐसे ही कई पंचायत है जहां कुछ ऐसे ही नजारा देखने को मिलता है।



मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा 20 जुलाई 2020 को छत्तीसगढ़ गोधन न्याय योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के माध्यम से पशुपालकों से उचित दाम पर गोबर की खरीद की जाती है एवं उस गोबर का गौठान में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया जाता है। लेकिन कई जगहों पर बने गौठान की दशा कुछ और ही स्थिति बयां करती है। छत्तीसगढ़ शासन की एक महत्वपूर्ण योजना गोधन न्याय योजना है जिसमें कि पूरे छत्तीसगढ़ में गोठान कार्य का होना पाया गया है जो कि जितना कागजों पर बड़े जोर से दिखाया जाता है वास्तविकता में ऐसा दूर दूर तक नहीं है। वहीं  जनपद पंचायत पत्थलगांव का देखा जाये तो यहाँ लगभग पंचायतों में गोठान निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जो कि केवल कागजों पर है गोठानो में मवेशियों आना जाना तो छोड़िये इंसान भी आना जाना नही करते है। मवेसी लावारिस रूप में विचरण करते नजर आते है, जैसे गोठान से इनका लेना देना कुछ भी नहीं। रही बात शासन की योजनानुसार गोबर खरीदी एवं खाद निर्माण का कार्य तो वो केवल टारगेट पुरा करने का कार्य किया जा रहा जो कि कागजों पर ही देखा जा सकता है, वास्तविकता से इसका कोई लेना देना ही नहीं है।



गोधन न्याय योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौठान का निर्माण किया गया है। राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक गौठान जिसे जिला प्रशासन ने भी सर्वोपरि प्राथमिकता मानकर चल रहा है। जिस गौठान के निर्माण के लिए लाखो रूपए खर्च किए जा चुके है। कई पंचायतों में तो देखा जाता है कि वहाॅ का मुख्यद्वार बंद रहता  है और मवेशियां नजर नहीं आती है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण योजना का अंदाजा आप स्वम् लगाने में सक्षम है। नरवा गरुवा घुरवा के तहत बनाई गई गौठाने शो पीस बनकर रह गई हैं। जिले के कई गौठानों में न पानी की व्यवस्था है और न ही अब तक शेड का निर्माण हुआ है, जिस वजह से यहां पशुओं के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। जिले के सभी गौठानों में पानी की टंकी तो बना दी गई है, साथ ही गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए हैं लेकिन यहां पशु ही नहीं पहुंच पाने की वजह से अधिकतर गौठानों का हाल बेहाल हो चुका है। वहीं कई सरपंचों एवम सचिवों की माने तो अभी तक गोठान के निर्माण के लिए पैसे नहीं मिले हैं, इसलिए काम बेहद सुस्त तरीके से चल रहा है। कई ऐसे भी पंचायत है जहां गोठान में तमाम वो सुविधाएं हैं जो गोठान की शोभा बढ़ाती हैं। यहां कोई मवेशी को नहीं लाता। इसलिए मवेशी गांव और शहर के चौक-चौराहों पर मुसीबत खड़ी करती है। सुविधाएं सारी हैं लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा। यानि गोठान में लापरवाही और अव्यवस्था का आलम यह है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं नजर आता है। जिस तेजी से गोठान योजना की शुरुआत की गई थी, उससे दोगुनी तेजी से अव्यव्स्था फैली है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो जिस उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई थी वो कभी पूरा नहीं हो पाएगा।


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