विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव- पत्थलगांव में सरकारी जमीन पर कब्जा करने की होड़ मची हुई है। यहां शायद ही कोई ऐसा इलाका बचा है, जहां अतिक्रमण करने का मामला न मिले। हालत इस कदर हो चुके है नेशनल हाईवे सड़क की सरकारी जमीन पर भी अवेध कब्जा करते हुवे राजस्व अधिकारियों,नगर पंचायत,एन एच अधिकारी ,आर आई और पटवारियों की मिलीभगत से छग शासन द्वरा प्रस्तावित 152 प्रतिशत पर लेकर व्यवस्थापन किये जाने की तैयारी शुरू हो गयी है विदित हो की छग सरकार द्वारा नगरीय क्षेत्र के शासकीय भूमि पर सालों से कब्जा कर आशियाना बनाकर रहने वाले लोगों के लिए 152 प्रतिशत राशि देने पर व्यवस्थापन देने का प्रावधान है इसी का आड़ लेकर पत्थलगांव क्षेत्र के भू माफिया सरकारी भूमि पर फर्जी कब्जा दर्शा कर पट्टे के खेल को अंजाम दे रहे है हद तो यह है कि बड़े बड़े भू माफियाओ द्वारा इस तरह कई जगहों में फर्जी कब्जा दर्शा कर पट्टा बनवा लिया गया है या बनवाने की तैयारी है। nh 43 के साथ साथ मदनपुर इंजको के सिविल कोर्ट के पास अभी तक कुल दो मामलों में देखा गया है कि किस तरह से अधिकारियों के मिलीभगत से इस कार्य को लगातार अंजाम दिया जा रहा है। अब आगे ऐसे कई फर्जी मामले खुलने के आसार है। देखना होगा कि सम्बंधित विभगा हाथ पर हाथ धरे रहते है या इनपर कोई कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
वही जिम्मेदार अधिकारी एव कर्मचारी बगैर भौतिक सत्यापन के ही कार्यालय से ही पैसे की लालच में अनापत्ति देने के साथ ही प्रकरण का प्रतिवेदन प्रस्तावित कर दे रहे है। जबकि इसी खाली जमीन में कब्जा की शुरुवात में ही शिकायत होने पर मार्च 2022 को पत्थलगांव अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा अवैध निर्माण पर तत्काल स्थगन आदेश के बावजूद अनावेदक द्वारा न्यायालय की स्थगन आदेश को नजर अंदाज करते हुए चोरी छिपे निर्माण कर लिया गया ।अब भू माफिया द्वारा शासन की स्कीम के तहत भूमि स्वामी का अधिकार एवं पट्टा प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया है विदित हो कि उक्त मार्ग नेशनल हाईवे 43 सड़क की है यदि भूमि स्वामी का अधिकार दिया जाता है तो भविष्य में चौड़ीकरण एवं अन्य प्रयोजन हेतु नेशनल हाईवे सड़क को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। भू माफिया ने पूरी तैयारी के साथ जिसमें पटवारी ,आर आई, नगर पंचायत और नेशनल हाईवे 43 सभी से सांठ गांठ कर उनका अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया गया है ।जबकि नेशनल हाईवे के संबधित इंजीनियर एवं पटवारी, आर आई ,नगर पंचायत अधिकारी द्वारा मौका का निरीक्षण ही नहीं किया गया है । साथ ही राजस्व विभाग ने भी बगैर मौके का निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन के ही प्रतिवेदन स्वीकार कर लिया है।
वहीं इन दिनों दलालों और जालसाजों का आतंक बढ़ने लगा है, एवम इस कार्यों में इनकी संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। खाली पड़ी जमीन पर गिद्ध की नजर गड़ाए रहते हैं, लोगों की माने तो ग्रामीण इलाके के जमीनों को जबरदस्ती या उनके बरगला कर कम कीमत में एग्रीमेंट कराकर अधिक दामो में प्लाटिंग कर या ऐसे ही बिक्री कर दिया जाता है। खासकर ऐसे जमीनों पर नजर रहती है जहां जमीन मालिक स्वयं नहीं रहते या दूसरे शहर में रहते हैं। ऐसे में जमीन हथियाना और उसे बेच देना उनके लिए आसान होता है। सुनने को आया है कि गांव के भोले भाले आदिवासीयों की जमीन अन्य आदिवासी के नाम रजिस्ट्री कराकर उसे प्लाटिंग कर आसानी से मुनाफा पाया जा रहा है। इसमें बकायदा पटवारी, आरआई, बाबू एवम अधिकारी के सम्मिलित होने की बात सामने आती है, परन्तु आजतक इस मामले में किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गई है, क्योंकि इसके एवज में गाढ़ी एवम मोटी कमाई होने के कारण सब मिलकर बखूबी साथ देते नजर आते है। वही नगरीय क्षेत्रों व आसपास ग्रामीण क्षेत्रों अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोज कहीं ना कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। धड़ल्ले से चल रही अवैध प्लाटिंग में पटवारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है।
लोगों की माने तो जब भू-माफिया से इस मामले पर इनसे पूछने पर उन्होंने धड़ल्ले से इस अवैध प्लाटिंग को प्रशासन के अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर अंजाम देने की बात कहते हुए कहा कि जहां शिकायत कर सकते हो कर लो, अधिकारी हमारा आदमी है, कोई कार्यवाही नही होगी।अवैध प्लाटिंग में लगे जमीन दलाल व सरकारी अमले की मिली भगत से बड़ी मात्रा में बड़े रकबे का नामांतरण हो रहा है। तथा बिना ले आउट अनुमोदन कराए व्यपवर्तित भूमि को छोटे-छोटे टुकडों मे बेचा जा रहा है, जिसके कारण अवैध प्लाटिंग एवं भूमि विवाद बढ़ रहा है। फर्जी वसीयत बनाकर जमीन दलाली का बड़ा खेल खेलते नजर आते है, तहसीलदार और दलालों की मिलीभगत से इन कार्यों को अंजाम देते है।
वहीं सूत्रों की माने तो ये पटवारियों से भी अधिक जानकारी रखते है रकबा एवम खसरा नम्बर बकायदा मुहबोली याद रहता है, इस कार्य मे इनको पटवारी एवम सम्बंधित कर्मचारियों का पूर्ण सहयोग रहता है। बकायदा कार्यालय में बैठकर गोपनीयता भंग करते देखा जा सकता है। वहीं इन्हें किसकी जमीन में क्या विवाद है इनको पूरी जानकारी रहती है।
कुछ महीनों पूर्व sdm एवम पत्रकारो के बीच हुई थी इस मामले पर चर्चा
विगत कुछ महीने पूर्व ही जमीन दलालों के आतंक के कारण sdm आर एस लाल के साथ पत्रकारों की बैठक हुई थी, इस बैठक में sdm के द्वारा बकायदा हर जमीन की रजिस्ट्री के दौरान दस्तावेज की पूर्ण जांच एवम दलालों पर नजर रखने की बात कही गई थी। पर समय बीतने के साथ साथ अब पूर्व की भांति इनका आतंक फिर से फलने फूलने लगा है। और राजस्व विभाग की बाते ठंडे बस्ते में समा गई है।