रायगढ़ रोड में स्कुली बस की टक्कर से घायल हुवे युवक की अम्बिकापुर में इलाज के दौरान हुई मौत, कई स्कूल की बसें रहती है अनफिट जांच का विषय..
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। पत्थलगांव के रायगढ़ रोड जोगपाल स्कूल के समीप 30 मई की रात 10 बजे लगभग सत्यम पब्लिक स्कूल की स्कूली बस वाहन क्रमांक सीजी 14 एमएच 1139 की चपेट में आने से दो युवक गम्भीर रूप से घायल हो गए। उक्त घटना के बाद स्कूली बस चालक तेज गति से वाहन को चलाते वहां से फरार हो गया। हालांकि उस दुर्घटनाकारित स्कूली बस को कुछ युवा पीछा भी किया गया परन्तु वाहन की गति तेज होने के कारण पकड़ पाना सम्भव न हुवा। इस घटने के शिकार हुवे दोनो जख्मी युवाओं को पुलिस की मदद से पत्थलगांव सिविल अस्पताल लाया गया जहां उनकी हालत को देखते चिकित्सकों के द्वारा उन्हें अम्बिकापुर रेफर किया गया था। भालुपखना निवासी रन कुमार मांझी एवम नंद कुमार यादव अपनी मोटरसाइकिल क्रमांक सीजी 12 के 5272 सीडी डीलक्स में किसी कार्य हेतु पत्थलगांव आये थे, देर रात लगभग 10 बजे वापसी के दौरान जोगपाल स्कूल के समीप सत्यम पब्लिक स्कूल करूमहुवा की बस चालक तेज गति से लापरवाही पूर्वक चलाते हुवे सामने से टक्कर मार दी थी। उक्त घटना में घायलों को बेहतर इलाज हेतु अम्बिकापुर रेफर किया गया था, जहां जाने में बाद दो तीन के भीतर ही इलाज के दौरान रन कुमार मांझी की मौत हो गई है। इस मामले पर पुलिस ने बताया कि डायरी के नही आने के कारण अभी कार्रवाई अधूरी है डायरी आने के बाद इस मामले पर वाहन एवम चालक पर उचित कार्रवाई की जायेगी।
नियम को ताक पर रखकर बस संचालक एवम स्कूल संचालक स्कूली बसों का दुरपयोग करते नजर आ रहे है। लगता है मानो उनके द्वारा बच्चों की सुरक्षा की अनदेखी करते हुवे केवल अपनी मुनाफे की पड़ी रहती है। आजकल की कई स्कूलों की बसें बिना कागजात एवम अनफिट रहती है। ये सब बातें किसी दुर्घटना के बाद ही सामने आती है, या कहें तो rto विभाग की छत्रछाया इनपर हो, जिसकी वजह से बेखौफ और बेधड़क कभी सवारी बस के तौर पर तो कभी शादी में बुकिंग चलाते नजर आते है। कई ऐसे घटना सामने आते है जिसमे बसों के परमिट, इन्सुरेंस एवम अन्य जरूरी दस्तावेज नही होती पर यू ही अपने मुनाफा हेतु सड़कों पर दौड़ाया जाता है।
इन दिनों देखा जा रहा है कि बस मालिक स्कूल बसों का छुट्टी के दौरान गलत तरीके से उपयोग कर रहे है। कभी शादी में बुकिंग तो कभी अन्य वाहन के खराब होने के कारण बस संचालक स्कूली वाहन को लाइन में भेजवा दिया जाता है। जिन बसों का काम केवल स्कूल समय में बच्चों को लाना लेजाना है उन बसों का गलत तरीकों से उपयोग किया जा रहा है। देखा जाये तो इस काम मे आरटीओ विभाग की घोर लापरवाही सामने नजर आ रही है।
वही ट्रैफिक पुलिस जो दुपहिया एवम चारपहिया वाहनों की तो बखूबी चेकिंग करते नजर आती है परन्तु उनके आंख के सामने पीले रंग की बस जो केवल स्कूली बच्चों के उपयोग के लिए बनी होती है उसपर सवारी ढोते देख कर भी नजरअंदाज करते नजर आती है। कई नामीगिरामी बस मालिक भी जानकर इस काम को बदस्तूर करते नजर आते है, इनपर किसी प्रकार का कार्यवाई न होना समझ से परे है या कहा जा सकता है कि इनके एवम सम्बंधित विभाग से अच्छी साँठगाँठ होगी जिसके एवज में बेखोफ सड़क पर दौड़ाते नजर आते है। इनके इन गलत उपयोग के कारण इसका खामियाजा बस में बैठे सवारी को भुगतना पड़ता है। इस मामले में बीमा कम्पनी भी अपना हांथ उठा लेती है क्योंकि इन बसों का उपयोग जिस काम मे होना चाहिये उस कार्य मे उपयोग नही किया जा रहा है। परन्तु बस में बैठे लोगों को इसकी जानकारी न होने के कारण ये भोलेभाले उक्त बस में बैठकर सफर करते नजर आतें है। माना जा रहा है कि विभाग द्वारा यदि स्कूली बसों का दस्तावेज खंगाला जाए तो कई ऐसे होंगे जो पूरी कागजात पेश नहीं कर पायेंगे या उनमें कई त्रुटियां पाई जायेगी। कुछ स्कूल बसों या छोटे वाहनों में निर्धारित क्षमता से ज्यादा नन्हे एवम बड़े विद्याथियों को बैठा लाने ले जाने का कार्य करवाते है। वही बस आपरेटर भी छोटे बच्चों एवम सवारियों की जान जोखिम में डालकर स्कूली बसों को सड़क पर दौड़ते नजर आते है।