शासन के निर्देश के बावजूद पत्थलगांव तहसील न्यायालय के लंबित मामलों में नही आ रही तेजी..दिन भर रहता है भू माफियाओं के डेरा..हितग्राही के सही कार्यो को छोड़ तत्काल हो रहे भू माफियाओं के गलत कार्य

Breaking Posts

6/trending/recent
Type Here to Get Search Results !

शासन के निर्देश के बावजूद पत्थलगांव तहसील न्यायालय के लंबित मामलों में नही आ रही तेजी..दिन भर रहता है भू माफियाओं के डेरा..हितग्राही के सही कार्यो को छोड़ तत्काल हो रहे भू माफियाओं के गलत कार्य

 शासन के निर्देश के बावजूद पत्थलगांव तहसील न्यायालय के लंबित मामलों में नही आ रही तेजी..दिन भर रहता है भू माफियाओं के डेरा..हितग्राही के सही कार्यो को छोड़ तत्काल हो रहे भू माफियाओं के गलत कार्य


विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव

पत्थलगांव - तहसील न्यायालय पत्थलगांव अपनी उदासीनता और लंबित प्रकरणों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है जशपुर जिले में सबसे बड़ा तहसील पत्थलगांव ही है और आए दिन यहां हजारों की संख्या में हितग्राही सुबह से शाम अपने कार्य के लिए चक्कर लगाते दिखाई देते हैं लेकिन भू माफियाओं के कार्यों की वजह से तहसील न्यायालय में प्रकरणों में गति नहीं आ रही है अधिकारी जांच के लिए नोटिस तो काट देते हैं लेकिन जांच दल महीनों हितग्राहियों को चक्कर लगाता है और भू माफियाओं के खरीद बिक्री वाली जमीनों का काम मोटी रकम देने की वजह से तत्काल हो जाता है।


पत्थलगांव तहसील न्यायालय का हमेशा से विवादों में घिरे रहने का मुख्य कारण भू माफिया ही है जो दिन भर उप पंजीयक कार्यालय तहसील में होने की वजह से वहीं डेरा जमाए रहते हैं और आने जाने वाले हितग्राहियों के केस की जानकारी वे लेते रहते हैं और बाहर जाकर उनकी जानकारी सार्वजनिक करते है और तहसील न्यायालय विवादों में बना रहता है वो दिन भी दूर नही जब इन भू माफियाओं की वजह से यहां के अधिकारी भी लपेटे में आ जाएंगे।क्योंकि लगातार तहसील न्यायालय में डेरा रहने से यहां के कर्मचारियों से इनके मधुर संबंध हो गए है और रसूखदार होने की वजह से आम जनता की फाइलों तक इनके हाथ आसानी से पहुंच जाते है रजिस्ट्री के लिए लगने वाले दस्तावेज नक्शा,खसरा,B1,अधिकार अधिलेख और भी अन्य दस्तावेज जो ऑनलाइन या अधिकारी के साइन से ही निकलने है वो इन्हें बिना आवेदन किये आसानी से उपलब्ध हो जाते है जिसमे कांट छाट करके और पटवारी व राजस्व निरीक्षकों से सेटिंग कर जमीन के नक्शे व नम्बरो को आसानी से बदल दिया जाता है।और बाद में जमीन मालिक अपनी जमीन व नंबर खोजता रह जाता है पिछले 3 से 4 सालो की रजिस्ट्रियों की बारीकी से जांच हो तो आदिवासी अंचल के भोलेभाले आदिवासीयो की जमीनो के अनेक फर्जीवाड़े के साथ नेशनल हाइवे में अधिग्रहित भूमि व शासकीय भूमि की अनेक फर्जी पंजीयन का खुलासा हो सकता है।

Top Post Ad


 

Below Post Ad

Ads Bottom