शांति एवम सौहार्दपूर्ण तरीके से पत्थलगांव के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने निकाला मोहर्रम का जुलूस, मोहर्रम के जुलूस में लोगों की उमड़ी भीड़
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। पैगम्बर मुहम्मद के पोते हज़रत इमाम हुसैन को याद करते हुए नगर में मुहर्रम का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस बिलाइटंगर स्थित मस्जिद से निकल तीनो प्रमुख मार्गों से होते हुवे मस्जिद पर आकर समाप्त हुई। इस दौरान इस साल किसी कारणवश ताजिया नही बनाया गया। मुस्लिम समुदाय के द्वारा निकाले गए इस जुलूस में समुदाय के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। इस्लामिक साल के पहले महीने मोहर्रम में पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुस्लिम कौम के लोगों ने गमगीन गानों के साथ जुलूस निकाला। मुहर्रम में बच्चों में खासा इसका उल्लास देखने को मिला । इसके साथ ही युवा, बड़े ,बुजुर्ग और लोगों ने “या हुसैन या हुसैन” के नारे लगाए । शांतिपूर्ण और सौहार्द रूप से मुहर्रम पर्व मनाने प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया गया था। वही जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन भी पूरी तरीके से मुस्तैद रही।
इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह महीना बहुत अहम होता है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी ।पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ यज़ीदी फौज के साथ लड़ते हुए हक व इंसाफ के लिए शहादत दे दी थी। उनकी याद में मोहर्रम के महीने में गमगीन माहौल में जुलूस निकालते हैं। उनकी शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर मनाते हैं, जिसे असूरा भी कहा जाता है।
मौलाना नशीर आलम अजीजी ने इसकी जानकारी देते हुवे बताया कि मुहर्रम गम और मातम का महीना है। मुहर्रम इस्लामिक साल का पहला महीना होता है। मान्यताओं के अनुसार, 680 ईस्वी में मोहर्रम की 10वीं तारीख को कर्बला के मैदान में नरसंहार हुआ था और लड़ते-लड़ते हजरत इमाम हुसैन शहीद कर दिए गए थे तभी से उनकी याद में मोहर्रम का त्योहार मनाने की परंपरा है। मौलाना नशीर ने बताया कि हमारे समुदाय के लोग इनका जुलूस ईशान के साथ निकालते है। उन्होंने इस्लाम को बचाया था,उनके याद के हैसियत से उन्हें याद किया जाता है। और इनका जुलूस घर घर में निकालते है लहराते है, इनकी ओज और बुलंद हो, वो क्या थे याद करते हुवे जुलूस निकाला जाता है।
मुहर्रम के रैली में एक हाथ में तिंरँगा झंडा तो दूसरे हाथ मे धर्म का झंडा पकड़ चल रहे मुस्लिम समाज के युवाओ ने देश प्रेम, एकता और सद्भावना का संदेश भी दिया। जिसे कई लोगों ने इसका सराहना भी किया।