अलग अलग स्वीकृति की राशि से करोड़ की लागत से बना स्वामी आत्मानन्द विद्यालय में एक साल के अंदर ही दिखने लगा भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार की पाठशाला में कैसे पढ़ेगा देश का भविष्य
विवेक तिवारी सीजीनमन न्यूज़ पत्थलगांव
पत्थलगांव। पत्थलगांव में अलग अलग स्वीकृति की राशि से लभगभ करोड़ की लागत से बना स्वामी आत्मानन्द विद्यालय में एक साल के अंदर ही होने वाला भ्रष्टाचार दिखने लगा है। स्कूल की छत में कराया गया फालसिलिंग लगभग निकल कर जमीन पर गिरने लगा है। इससे आप स्वम् ही अंदाजा लगा सकते है कि किस हद तक भ्रष्टाचार किया गया होगा। वही कुछ अभिभावकों का कहना है की करोड़ों की लागत से पुराने भवन को नया रूप दिया गया है इतने लागत में नया भवन ही निर्माण हो सकता है।
विदित हो कि छत्तीसगढ़ में स्वामी आत्मानंद ने मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने निस्वार्थ रूप से अपना जीवन आदिवासियों के लिए समर्पित किया और युवाओं को करुणा और दूसरों की सेवा करने की शिक्षा देकर प्रेरित किया है। उनकी विरासत को सम्मान देने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में इतना बड़ा निवेश किया कि आने वाली कई पीढ़ियों को इसका लाभ मिलेगा। परन्तु उनके इस ड्रीम प्रोजेक्ट में भी भ्रष्टाचारी अपना जेब भरने कोई कसर नही छोड़ रहे है। पत्थलगांव में साल भर 2021-22 में पुराने भवन में बने आत्मानन्द विद्यालय में स्कूल में लगी फालसिलिंग गिर जाने से विद्यालय के शिक्षक बच्चों के भविष्य के लिये चिंतित नजर आये। उन्होंने कहा कि फालसिलिंग गिरने के बाद इसकी सूचना आरईएस को इसकी जानकारी दी गई है, विभाग द्वारा इसकी जांच भी की गई है। वही आरईएस के एसडीओ नागमत यादव में बताया की अभी विद्यालय के हुवे कार्य की राशि का पूर्ण भुगतान नही हुवा है, यदि फालसिलिंग गिरा है तो उसे दोबारा बनवाया जायेगा। एवम जिम्मेदार व्यक्ति के ऊपर कार्यवाही की जायेगी।
विद्यालय के निर्माण के साल भर बाद ही दम तोड़ने लगा है। और धीरे धीरे स्कूल भवन निर्माण कार्य में किए गए अनियमितता का पोल खुलने लगा है। वही अब यहां बच्चों की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। शिक्षा के मंदिर निर्माण में गड़बड़ी से स्कूल के छात्र भी नाराज हैं। छात्रों ने कहा कि जहां सैकड़ों विद्यार्थी बैठकर पढ़ाई करेंगे, ऐसे निर्माण में गड़बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ेंगे और कैसे बढेंगे, यह बड़ा सवाल है, ऐसे भ्रष्टाचार होने से भविष्य में स्कूली बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा खर्च करती है, और तमाम तरह की योजनाएं चलाकर उन्हें इस काबिल बनाती है, जिससे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सके। लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिये किये जा सके प्रयास उन तक पहुंचने से पहले ही कमीशनखोरी और लापरवाही के चलते पहले ही दम तोड़ रही हैं। बच्चों के लिए बने इस भवन की गुणवत्ता की जांच होनी चाहिए, ताकि ऐसे कमीशन खोर विभागीय अधिकारियों की आड़ में भवन निर्माण का कार्य कर रहे ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई हो सके।