लड़कियां और महिलाएं अनुचित लाभ हासिल करने के लिए लड़के या पुरूष के साथ लंबे समय तक बनाती है शारीरिक संबंध, बाद में गलत तरीके से कराती हैं एफआईआर :- Allhabad High Court

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लड़कियां और महिलाएं अनुचित लाभ हासिल करने के लिए लड़के या पुरूष के साथ लंबे समय तक बनाती है शारीरिक संबंध, बाद में गलत तरीके से कराती हैं एफआईआर :- Allhabad High Court

लड़कियां और महिलाएं अनुचित लाभ हासिल करने के लिए लड़के या पुरूष के साथ लंबे समय तक बनाती है शारीरिक संबंध, बाद में गलत तरीके से कराती हैं एफआईआर :- Allhabad High Court



Allhabad High Court. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक केस की सुनवाई के दौरान यौन अपराधों के वास्तविक मामलों को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यौन अपराधों के वास्तविक मामले अब अपवाद हैं और प्रचलित प्रवृत्ति में मुख्य रूप से बलात्कार के झूठे आरोप शामिल हैं। यह कानून पुरूषों के प्रति बहुत ही पक्षपाती है।

कोर्ट ने टिप्पणी की है कि चूंकि कानून की सुरक्षा की बात आती है तो लड़कियों/महिलाओं का दबदबा होता है, इसलिए वे किसी लड़के या पुरुष को फंसाने में आसानी से सफल हो जाती हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसी प्रथम सूचना रिपोर्ट तब भी दर्ज की जाती है जब कुछ समय/लंबे समय तक लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के बाद, किसी भी मुद्दे पर लड़के और लड़की के बीच विवाद होता है। साथी का स्वभाव समय के साथ दूसरे साथी के सामने प्रकट होता है और तब उन्हें एहसास होता है उनका रिश्ता जीवन भर जारी नहीं रह सकता तब ये परेशानी शुरू हो जाती है। 


विवेक कुमार मौर्य बनाम राज्य और अन्य का मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि यौन अपराधों के वास्तविक मामले अब अपवाद हैं और मौजूदा प्रवृत्ति में मुख्य रूप से बलात्कार के झूठे आरोप शामिल हैं। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी विवेक कुमार मौर्य बनाम राज्य और अन्य के मामले में सुनवाई के दौरान की है। कोर्ट ने देखा कि बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां लड़कियां और महिलाएं अनुचित लाभ हासिल करने के लिए आरोपी के साथ लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद गलत तरीके से एफआईआर दर्ज कराती हैं। कोर्ट में एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि कानून पुरुषों के प्रति अत्यधिक पक्षपाती है और अदालतों को ऐसे मामलों में जमानत याचिकाओं पर विचार करते समय सतर्क रहना चाहिए।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या टिप्पणी की

हाईकोर्ट ने कहा कि समय आ गया है कि कोर्ट को ऐसे जमानत आवेदनों पर विचार करते समय बहुत सतर्क रहना चाहिए। कानून पुरुषों के प्रति बहुत पक्षपाती है। एफआईआर में कोई भी बेबुनियाद आरोप लगाना और वर्तमान मामले की तरह किसी को भी ऐसे आरोपों में फंसाना बहुत आसान है। 

लड़कियों में खुलेपन की संस्कृति बढ़ रही- न्यायालय 

इसके अतिरिक्त न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया, फिल्मों और टीवी शो का प्रभाव युवा लड़कों और लड़कियों द्वारा अपनाई जाने वाली खुलेपन की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब ऐसा व्यवहार भारतीय पारिवारिक मूल्यों से टकराता है तो कभी-कभी परिणामस्वरूप झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं।

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