पुरानी कहावत है घर का भेदी लंका ढाये जो भाजपा कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए चरितार्थ होते आ रही नजर

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पुरानी कहावत है घर का भेदी लंका ढाये जो भाजपा कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए चरितार्थ होते आ रही नजर

पुरानी कहावत है घर का भेदी लंका ढाये जो भाजपा कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए चरितार्थ होते आ रही नजर

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए इस बार 2023 विधानसभा चुनाव में गुटबाजी और अंतर्कलह बन सकती है बड़ी चुनौती



छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा 2023 का चुनाव तैयारियां जोरों पर है। भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य में चुनाव के तारिखों का एलान के साथ प्रदेश में आदर्श आचार संहिता भी लगाया जा चुका है। वहीं भाजपा ने 90 में से 85 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है, कांग्रेस 90 में से 31 पर ही नामो की घोषणा की है, बाकी सीटो के लिए आजकल में नाम घोषणा करने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी बीच भाजपा कॉंग्रेस दो ही पार्टियों में कुछ बातों को लेकर अंतर्कलह देखा जा रहा है। टिकट बंटवारे को लेकर दोनो पार्टीयो में अपने ही लोग नाराज नजर आ रहे है। 

पुरानी कहावत इन दोनों पार्टियों के लिए चरितार्थ होते नजर आ रही है। कहते है घर का भेदी लंका ढाए का मतलब है आपसी मतभेद के कारण परिवार के राज दूसरों को बता कर परिवार का पतन कराना। यहां ‘घर’ की जगह ‘दल’ भी उपयोग किया जा सकता है। ठीक वैसे ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए इस बार विधानसभा चुनाव में गुटबाजी और अंतर्कलह बड़ी चुनौती रहेगी ऐसे राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है।

चुनाव के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के संभावित प्रत्याशियों को लेकर कई विधानसभा क्षेत्रों में विरोध के साथ साथ अंतर्कलह से जूझते नजर आ रहे हैं। इसी बीच दोनों पार्टियों में रूठे लोगों के मान-मनौवल का दौर भी जारी है। दोनो ही पार्टियों के शीर्षनेता बागियों से परेशान है तो दोनो ही पार्टियों को भितरघात की चिंता सता रही है। उम्मीदों के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जो जीत में बाधा बन सकती हैं। बाधाओं ने भाजपा-कांग्रेस को चिंता में डाल रखा है। भाजपा निचले स्तर पर कार्यकर्र्ताओं की नाराजगी से जूझ रही है तो ऊपरी स्तर पर दिग्गजों के बीच अंदरूनी मतभेद उभरकर सामने आने लगे हैं।

राज्य के कई सीटों से जब से दोनो पार्टियां प्रत्याशियों की घोषणा की है, लेकिन इनके प्रत्याशियों के नाम आते ही कई स्थानो पर विरोध सामने आने लगे है। दूसरी ओर देखा जा रहा है कि प्रत्याशी रहे नेताओं को कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है।

वही कुछएक सीटों में कार्यकर्ता विरोध में खुलकर मैदान में आ चुके हैं, प्रदेश कार्यालयों पर जाकर अपना प्रदर्शन भी कर चुके है। वहीं कुछ सीटें ऐसी हैं जहां अंदरखाने विधायकों और प्रत्याशियों से नाराजगी है। ऐसे में टिकट वितरण के बाद इस अंतर्कलह से निपटना कांग्रेस भाजपा के लिए इस विधानसभा चुनाव में किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। देश की दोनो ही बड़ी पार्टी आपस में एकता दिखाने की कोशिश में लगी है, लेकिन जमीनीस्तर पर दोनो पार्टियों में आंतरिक संघर्ष देखने को मिल रहा है, जो इनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। और सबसे बडी बात यह है कि इन दोनों पार्टियों में सत्ता किसके हाथ लगती है।







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