छत्तीसगढ़ के पीडिया में हुवे नक्सली मुठभेड़ मामले में सियासत जारी,
पीडिया में हुए एनकाउंटर के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने मंगलवार को किया था बस्तर बंद का आह्वान
बस्तर संभाग के सातों जिलों में दिखाई दिया बंद का असर, 10 मई को हुवा था मुठभेड़
गूंगे-बहरे युवक को नक्सली बताकर मार डालने का लगाया आरोप
छत्तीसगढ़ के पीडिया नक्सली मुठभेड़ मामले में सियासत जारी है।छत्तीसगढ़ में पीडिया में हुए एनकाउंटर के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने कल मंगलवार को बस्तर बंद बुलाया था। बस्तर बंद को समर्थन बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने दिया है। इसी के साथ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी इसका समर्थन किया है।
इस दौरान बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव इन सभी जिलों में बंद का असर दिखाई दिया। सुबह से बंद दुकानें दोपहर 3 बजे के बाद ही खुलीं। वहीं यात्री बसों के पहिए भी थमे रहे और सड़कें सूनसान रहीं। संभाग के सातों जिलों में बंद का असर दिखाई दिया। हालांकि, इमरजेंसी सेवाएं इस बंद से अलग थी।
दरअसल, पीडिया इलाका नक्सलियों का गढ़ है। यहां 10 मई को पुलिस की नक्सलियों के पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के साथ मुठभेड़ हुई थी। पुलिस ने दावा किया है मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मारा गया है। इनके पास से हथियार समेत अन्य सामान भी बरामद किए गए हैं। जबकि सर्व आदिवासी समाज, सीपीआई और कांग्रेस ने इसे फर्जी बताया है। स्थानीय ग्रामीणों और मृतकों के परिवार के सदस्यों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ करने का आरोप लगाया है और कहा है कि मारे गए लोग माओवादी नहीं थे। पुलिस और राज्य सरकार ने इस आरोप को खारिज कर दिया है।
इधर, सर्व आदिवासी समाज के सदस्य और CPI नेता पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा है कि पुलिस ने निर्दोषों को मारा है। पुलिस की कहानी गजब है। गूंगे-बहरे युवक को नक्सली बताकर पुलिस ने मार डाला है। एनकाउंटर फर्जी है। मनीष कुंजाम ने कहा कि वे पीडिया गांव जाकर आए हैं। एक रात ग्रामीणों के बीच गुजारे हैं। मनीष कुंजाम ने कहा कि ग्रामीण तेंदूपत्ता तोड़ने गए थे। पुलिस ने गोलीबारी की। कुछ लोग घर के अंदर चले गए, कुछ जंगल में ही छिपने लगे थे और उन्हें मार दिया गया।
छत्तीसगढ़ के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कोंटा (सुकमा) विधानसभा से कवासी लखमा ने भी पीडिया में हुई मुठभेड़ को फर्जी बताया है। उन्होंने कहा कि, पुलिस का दावा है कि एनकाउंटर में 12 नक्सलियों को ढेर कर दिया है। लेकिन, हमें जानकारी मिली है कि तेंदूपत्ता तोड़ने गए गांव वालों को उठाकर मारा गया है। कवासी लखमा ने CM विष्णुदेव साय पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि, जब भाजपा की सरकार में विष्णुदेव साय CM बने थे तो हमें विश्वास था कि आदिवासियों के हित के लिए काम करेंगे। लेकिन अब प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री है, फिर भी आदिवासी सुरक्षित नहीं है। फर्जी एनकाउंटर में आदिवासी मारे जा रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बेला भाटिया ने कहा कि इतावार गांव से 19 लोग और पीडिया गांव से 57 लोगों को पुलिस पकड़कर ले गई। जिन्हें नक्सली बताकर मारा था वे ग्रामीण थे। उनमें से 2 ऐसे लोग थे जो दूसरे गांव के रहने वाले थे। अपने रिश्तेदार के घर आए थे। तेंदूपत्ता तोड़ने गए तो उन्हें मार दिया गया। बेला ने कहा कि, पुलिस ने 12 लोगों की हत्या करने के बाद उनके रिश्तेदारों से शव उठवाया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने दावा किया है कि पुलिस के डर से आदिवासी जान बचाकर भागे, कुछ लोग डर के मारे पेड़ पर चढ़ गए। मगर पुलिस ने पेड़ पर चढ़े उन आदिवासियों को गोली मारी और वो नीचे गिर गए। बीजापुर जिले के पीडिया में हुआ एनकाउंटर फर्जी है। पुलिस ने 10 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की, वहां 2 नक्सली होने की जानकारी मिली है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पीडिया मुठभेड़ को फेक एनकाउंटर बताया है उनके मुताबिक स्थानीय लोग कह रहे हैं कि तेंदूपत्ता तोड़ने गए ग्रामीणों को पुलिस ने मारा है। 2 मासूम बच्चों को भी ब्लास्ट में जान गंवानी पड़ी।