न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम: न्याय, ईमानदारी और समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता

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न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम: न्याय, ईमानदारी और समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता

न्यायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम: न्याय, ईमानदारी और समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता

नव-पदोन्नत और नव-नियुक्त न्यायाधीशों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ



रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा 21 अगस्त 2024 को नव-पदोन्नत जिला जज (प्रवेश स्तर) के ओरिएंटेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम और नव-नियुक्त सिविल जज वर्ग- दो (प्रवेश स्तर) के इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्घाटन समारोह सफलता पूर्वक आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम नव-नियुक्त और नव-पदोन्नत न्यायिक अधिकारियों को उनकी भूमिकाओं के लिए आवश्यक कौशल, ज्ञान और नैतिक आधार प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है।

   उद्घाटन सत्र का प्रारंभ राष्ट्रगान और मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के  मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति श्री रमेश सिन्हा द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। अपने  संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने न्यायाधीशों की भूमिका की महत्वपूर्णता पर जोर दिया, जो विधि का शासन बनाए रखने तथा सभी नागरिकों को न्याय प्राप्त हो सुनिश्चित करने के संबंध में निभाई जाती है। उन्होंने नव-पदोन्नत जिला जजों और नव-नियुक्त सिविल जजों को उनकी नवीन भूमिकाओं के लिए बधाई दी तथा न्यायपालिका में उनके पद के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य न्यायाधिपति श्री सिन्हा ने यह भी बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम इस प्रकार तैयार किया गया है जिससे न्यायाधीशों को कानूनों को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त हो। उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा को न्यायाधीशों के महत्वपूर्ण गुणों के रूप में बताया, जिसे किसी के द्वारा सिखाया नहीं जा सकता बल्कि वह व्यक्तित्व में समाहित होता है। न्यायाधीश की कार्यशैली पारदर्शी और निष्पक्ष होनी चाहिए और ये गुण उनके आदेश और निर्णयों में भी परिलक्षित होने चाहिए।

   महिलाओं की न्यायपालिका में बढ़ती भागीदारी को देखते हुए मुख्य न्यायाधिपति ने विशेष रूप से महिला न्यायिक अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने व्यक्त किया कि न्यायपालिका में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक सकारात्मक और प्रगतिशील न्यायपालिका का सूचक है। यह तथ्य न्यायपालिका की समावेशिता, विविधता और लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। मुख्य न्यायाधिपति ने प्रतिभागियों को तकनीकी दक्षता हासिल करने और कानून के लगातार बदलते पहलुओं के साथ चलने के लिए निरंतर शिक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

   स्वागत और प्रारंभिक संबोधन में न्यायमूर्ति श्री संजय के. अग्रवाल ने न्यायाधीशों की नवीन भूमिकाओं के साथ जुड़े दायित्वों की गंभीरता पर बल दिया। उन्होंने नव-पदोन्नत और नव-नियुक्त न्यायाधीशों से हमेशा निष्पक्षता, ईमानदारी तथा सहानुभूति के साथ कर्तव्य निर्वहन करने पर जोर दिया। उनके द्वारा न्यायाधीशगण से यह भी अपेक्षा की गई कि वे निरंतर शिक्षा के मूल्यों को बनाये रखें। न्यायमूर्ति श्री संजय के. अग्रवाल ने न्यायिक आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर किया और न्यायाधीशों को न्याय के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को अडिग बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के न्यायमूर्ति श्री सचिन सिंह राजपूत, न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री अरविंद कुमार वर्मा, न्यायाधीश उपस्थित थे। कार्यक्रम में सीएसजेए के निदेशक श्री सिराजुद्दीन कुरैशी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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