चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर रायपुर की विशेष कोर्ट में किया पेश, कोर्ट ने पांच दिन तक ईडी को रिमांड पर सौपा
ED के अफसरों को कारोबारियों के ठिकानों से करोड़ों का मिला हिसाब-किताब
बघेल एसोसिएट्स और बघेल बिल्डकॉन के माध्यम से की गई ये गतिविधियां, बिना ब्याज के दिया लोन
वहीं शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज
छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में हुए 3200 करोड़ के शराब घोटाले में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की। ईडी की टीम ने सुबह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित निवास में छापा मारा और कुछ घंटे के भीतर ईडी ने भूपेश के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर रायपुर की विशेष कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें पांच दिन यानि 23 जुलाई की सुबह 11 बजे तक ईडी को रिमांड पर सौंप दिया गया।
इस कार्रवाई के विरोध में आक्रोशित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भूपेश के निवास और ईडी दफ्तर के सामने पुतला दहन कर जमकर नारेबाजी की। इस दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झूमाझटकी भी हुई।
ईडी का आरोप है शराब घोटाले में भूपेश बघेल के बेटे की भूमिका है। जिस कारण से उनकी गिरफ्तारी हुई है। उनके खिलाफ मनी लॉड्रिंग की जांच चल रही है। हालांकि विपक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई बदले के भावना से की गई है।
ED के अफसरों को कारोबारियों के ठिकानों से करोड़ों का हिसाब-किताब मिला था। इसके साथ ही साक्ष्य मिले कि चैतन्य बघेल को पप्पू बंसल, होटल कारोबारी अग्रवाल के माध्यम से पैसा पहुंचाया गया। ED के वकील ने न्यायालय में ये बातें कही है।
किस आरोप में हुई है गिरफ्तारी
ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने बताया चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर की गई है। ईडी इस मामले में लगातार साक्ष्य एकत्र कर रही थी। इसी प्रक्रिया में कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि चैतन्य बघेल ने बहुत सारे पैसा का लेयर किया है। चैतन्य बघेल ने अपराध की आय से स्वयं को आर्थिक रूप से लाभान्वित किया है। अब तक की जांच में यह सामने आया है कि उन्होंने लगभग 13 करोड़ रुपये का सीधा लाभ प्राप्त किया और करीब 1000 करोड़ रुपये की अपराध की आय को इधर-उधर करने में सिंडिकेट की मदद की है।
बिना ब्याज के दिया लोन
सौरभ पांडे ने बताया कि चैतन्य बघेल की दो प्रमुख कंपनियां बघेल एसोसिएट्स और बघेल बिल्डकॉन के माध्यम से यह गतिविधियां की गई हैं। जांच में सामने आया है कि उन्होंने सहेली ज्वेलर्स और ढिल्लन सिटी मॉल लिमिटेड के साथ मिलकर साइफनिंग का तरीका अपनाया। इनका तरीका था किसी को नकद में लोन देना, फिर उस लोन को वापस न लेना और उस पर ब्याज भी न दिखाना।
ईडी के वकील ने कहा-पप्पू बंसल का जो स्टेटमेंट हमारे पास है, उसमें बंसल ने कई ट्रांजेक्शन का खुलासा किया है। इसमें बताया गया है कि चैतन्य बघेल के पास उस चैनल से पैसा आता था, और जिसे भी ये डील करते थे। यह बेसिकली अभी तक इन्वेस्टिगेशन में सामने आया है। अभी तक की जांच में लगभग 13 करोड़ के आसपास का लाभ हमें बिल्कुल सही रूप से दिखाई पड़ रही है, जिससे चैतन्य बघेल लाभान्वित हुए हैं।
वहीं, चैतन्य बघेल के वकील फैजल रिजवी ने बताया कि पप्पू बंसल के बयान और एक-दो इन्वेस्टमेंट के मामले में गिरफ्तारी हुई है। ED जिस प्रॉपर्टी के बारे में बोल रही है, उसका ऑलरेडी दिल्ली में प्रकरण चल रहा है। 5 अगस्त को उसपर सुनवाई होगी। इनके एडवोकेट भी उसमें शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित होकर की गई है।
ये पैसा हवाला कारोबारी की मदद से चैतन्य बघेल ने अलग-अलग राज्यों में इन्वेस्ट करवाया। ED के अफसरों को चैतन्य के खिलाफ सबूत 10 मार्च को मारी गई रेड के अलावा 15 जुलाई को होटल कारोबारी के यहां मारी गई रेड से मिला है।
महादेव ऐप से जुड़े चैतन्य के लिंक की दी जानकारी
जिस होटल कारोबारी के यहां ED ने रेड मारी थी, वो कारोबारी महादेव ऐप के खजांची की शादी में राजस्थान में भी शामिल हुआ था। इस कारोबारी ने महादेव ऐप से जुड़े चैतन्य के लिंक की जानकारी दी है।
जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने किया खारिज
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में कांग्रेस नेताओं की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एकतरफ शुक्रवार को जहां भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को ईडी ने गिरफ्तार किया वहीं, दूसरी तरफ हाईकोर्ट ने कवासी लखमा को झटका दिया है। जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती।
जमानत याचिका पर सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच में हो रही थी। कवासी लखमा के वकील ने कोर्ट में लखमा की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए जमानत की मांग की। वकील ने कहा- साल 2024 में केस दर्ज किया गया था। उसके डेढ़ साल बाद गिरफ्तारी की गई। यह गलत है। इस पूरे डेढ़ साल में कवासी लखमा का कभी पक्ष नहीं लिया गया। जब कवासी लखमा को गिरफ्तारी का शक हुआ तो उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई तक उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
वकील ने कहा कि ईडी की तरफ से यह बताया गया कि केवल बयानों के आधार पर उन्हें आरोपी बनाया गया है। जबकि, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। पूर्व मंत्री को राजनीतिक षडयंत्र के तहत फंसाने का आरोप लगाया गया है। हालांकि ईडी के पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।



