राज्य दिवस पर भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ की संस्कृति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया

Breaking Posts

6/trending/recent

Hot Widget

Type Here to Get Search Results !

Ads

Footer Copyright

राज्य दिवस पर भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ की संस्कृति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया

राज्य दिवस पर भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ की संस्कृति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया

नई दिल्ली के प्रगति मैदान के एम्फीथिएटर में छत्तीसगढ़ दिवस समारोह देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे




रायपुर। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2023 में प्रगति मैदान में यह शाम छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला और संस्कृति से भरी शाम थी। छत्तीसगढ़ दिवस समारोह के अवसर पर राज्य के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने यहां एम्फीथिएटर में अपनी प्रस्तुतियों से सैकड़ों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में छत्तीसगढ़ रेजिडेंट कमिश्नर श्रुति सिंह मुख्य अतिथि थीं और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि ने छत्तीसगढ़ मंडप का दौरा किया और शिल्पकारों और कारीगरों से बातचीत  की। छत्तीसगढ़ पैवेलियन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) के 42वें संस्करण में हथकरघा और हस्तशिल्प सहित अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहा है।

इस वर्ष की थीम 'वसुधैव कुटुंबकम' को दर्शाते हुए 300 वर्ग फुट के क्षेत्र में प्रदर्शन के लिए कुल 10 स्टॉल लगाए गए हैं। मंडप राज्य की प्रगति को प्रदर्शित कर रहा है । यहाँ प्रत्येक क्षेत्र की विशेषता के अनुसार उनके औद्योगिक, कृषि, हर्बल और हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है।

इस वर्ष छत्तीसगढ़ पवेलियन का आयोजन प्रगति मैदान के हॉल नंबर 2, प्रथम तल पर किया गया है। आज प्रगति मैदान के एम्फीथिएटर में सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, जिसके बाद सांस्कृतिक दलों ने नृत्य प्रस्तुतियां दीं। दर्शकों ने बस्तर की कुल देवी की आराधना हेतु नृत्य आमचो बस्तर की प्रस्तुति को तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहा।

ददरिया गीत भी प्रस्तुत किया गया। भोजली नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति ने पूरे दर्शकों पर जादू कर दिया। समूह द्वारा हरेली त्यौहार के अवसर पर विशेष रूप से किये जाने वाले 'गौर नृत्य' एवं 'गेड़ी नृत्य' का प्रदर्शन किया गया।

महिला कलाकारों के समूह ने विशेष रूप से दिवाली उत्सव के दौरान किया जाने वाला लोक नृत्य 'सुआ नाचा' या तोता नृत्य दिखाया। यह पूजा से संबंधित नृत्य का एक प्रतीकात्मक रूप है। नर्तक एक तोते को बांस के बर्तन में रखते हैं और उसके चारों ओर एक घेरा बनाते हैं। फिर कलाकार ताली बजाते हुए उसके चारों ओर घूमते हुए गाते और नृत्य करते हैं। यह छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं के प्रमुख नृत्य रूपों में से एक है।

पुरुष कलाकारों के समूह ने सतनामी समाज के सबसे लोकप्रिय अनुष्ठानों में से एक लोक नृत्य 'पंथी' नृत्य दिखाया। समूह के नेता के नेतृत्व में एक गीत की संगत में धीमी गति के साथ नृत्य शुरू हुआ। धीरे-धीरे गति बढ़ती गई और एक मनमोहक वातावरण बन गया। जिसे वहाँ उपस्थित दर्शकों ने ख़ूब सराहा।



Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Bottom